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मुझे ऑफिस में गुस्सा क्यों आता हैं?

क्रोध और माया, वे तो रक्षक हैं। वे तो लोभ और मान के रक्षक हैं। लोभ की यथार्थ रक्षक माया और मान का यथार्थ रक्षक क्रोध। फिर भी मान के लिए थोड़ी बहुत माया इस्तेमाल होगी, कपट करते हैं। कपट करके भी मान प्राप्त कर लें, क्या ऐसा करते हैं लोग?

और क्रोध कर के लोभ कर ले। लोभी क्रोधी नहीं होता और यदि क्रोध करे तो समझना कि इसे लोभ में कोई बाधा आई है, इसलिए मूआ क्रोध करता है। वर्ना लोभी को गालियाँ देने पर भी उल्टा कहेगा, ''भले ही वह शोर मचाता रहे, हमें तो अपना रूपया मिल गया न।'' लोभी ऐसे होते हैं, क्योंकि कपट सब का रक्षण करेगा ही न! कपट अर्थात माया और क्रोध वे सभी रक्षक है।

अपने मान पर आँच आए, तब मनुष्य क्रोध कर लेता है। अपना मान भंग होता हो, वहाँ  क्रोध होता है।

क्रोध भोला है। भोला पहले नष्ट होता है। क्रोध तो गोला-बारूद है और गोला-बारूद होगी, वहाँ लश्कर लड़ेगा ही। क्रोध गया फिर लश्कर क्यों लड़ेगा॒? फिर तो (ऐरे-गैरे) सब भाग जायेंगे। कोई खड़ा नहीं रहेगा।

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