"मैं निराश महसूस करता हूं" हम में से कई लोगों के लिए सबसे अधिक अनुभवों में से एक है। यह सच है कि जीवन में कई बार ऐसा भी होता है जब सब कुछ नीरस लगने लगता है। जब कोई असफलता, नामंजूरी और अस्वीकृति का सामना करता है, तो नेगेटिव दृष्टिकोण आ जाता है। एक नेगेटिव दृष्टिकोण स्वयं, लोगों और स्थितियों के प्रति और भी अधिक नेगेटिविटी को आकर्षित करता है। यह तब होता है जब आप जीवन में निराशा महसूस करने लगते हैं और आपके मन में आशाहीन विचार आने लगते हैं। यदि आप इस समय कुछ नहीं करते हैं, तो आप जल्द ही निराशा और डिप्रेशन का सामना कर सकते हैं। तो, जब आप निराश और असहाय महसूस करते हैं तो क्या करेंगे? अगर आपको बस यह एहसास हो जाए कि मैं एक लो फेस/फेज़ से गुजर रहा हूं और दृढ़ता से इससे बाहर आने का फैसला करता हूं, तो यह आशावादी होने की दिशा में उठाया गया पहला पॉजिटिव कदम है।
आशापूर्ण जीवन जीने के लिए आपको पहले 'निश्चय' करना चाहिए, और शुरुआत करने की चाबी 'पॉजिटिविटी' है।
क्या होता है जब मायूसी और निराशा की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं? नेगेटिविटी कई गुना बढ़ जाती है और सब कुछ नेगेटिव लगने लगता है! तो क्यों न इसकी शुरुआत में ही नेगेटिविटी पर पूर्ण विराम लगा दिया जाए? तो, ऐसा कैसे करें? खैर, पहले अपनी दृष्टि को जीवन के पॉजिटिव पक्ष की ओर मूड जाएँ! यहाँ एक ऊर्जावान और उद्देश्यपूर्ण जीवन शुरू करने की चाबियाँ दी गई हैं जब सब कुछ निराशाजनक लगता है:
- पॉजिटिविटी: जब आप पॉजिटिविटी का चश्मा पहनते हैं (हर स्थिति में पॉजिटिव देखने की दृष्टि प्राप्त करते हैं), तो आपका जीवन पॉजिटिव हो जाता है। पॉजिटिविटी अनुकूल परिस्थितियों को आकर्षित करती है। हम आशावान और ख़ुशी का अनुभव करते हैं, जिससे जीवन में निराशा दूर हो जाती है। हम छोटी-छोटी बातों को नज़र अंदाज कर देते हैं जो हमें परेशान करती हैं और प्रत्येक मामले के पॉजिटिव पक्ष पर ध्यान केंद्रित करती हैं। पॉजिटिविटी हमें और हमारे आसपास के लोगों को प्रेरित करती है और सफलता प्राप्त करती है।
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प्रार्थना: जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए निराशा का अनुभव होना स्वाभाविक है। यह तब है जब पॉजिटिव रहना चुनौतीपूर्ण प्रतीत हो सकता है। यह तब होता है जब प्रार्थना हमें पॉजिटिव रखने का काम करती है। जब आप भगवान से प्रार्थना करते हैं, तो आप अपनी सारी चिंताओं को उन्हें समर्पित कर देते हैं और हल्का महसूस करते हैं। जब हमारी प्रार्थनाएं दिल से और श्रद्धापूर्वक होती हैं, तो हमें निश्चित रूप से उससे सहायता मिलती है।
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जादुई रबर: कई बार हम पॉजिटिव रहने की कोशिश करते हैं और अपने वर्तमान पर फोकस करते हैं। लेकिन भूतकाल की घटनाएं आपके दिमाग में आती रहती हैं और हमें मानसिक और इमोशनल (भावनात्मक) रूप से परेशान करती हैं। ऐसी चमक और परिणामी नेगेटिव विचारों को नज़रअंदाज करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। उसी क्षण, हम सोचते हैं कि इन विचारों से कैसे छुटकारा पाया जाए। उस समय यह जादुई रबर मदद करेगा। इसमें प्रत्येक नेगेटिव विचार और प्रभाव को मिटाने के लिए नीचे दिए गए तीन स्टेप्स का पालन करना चाहिए:
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आलोचना (स्वीकार): मन में जिस व्यक्ति के या जिसके नेगेटिव विचार बार-बार आते रहते हैं, उसके भीतर बिराजे हुए भगवान पर याद करे । उनकी उपस्थिति में, अपने मन में उन सभी गलतियों को स्वीकार करें जो उस व्यक्ति के लिए या उसके साथ हुई थीं। यहाँ, गलतियाँ उस व्यक्ति के लिए नेगेटिव विचार हैं। वे भूतकाल में किए गए उस व्यक्ति के लिए दुखदायी बर्ताव या व्यवहार भी शामिल कर सकते हैं। सेल्फ-नेगेटिव विचारों के लिए, अपने भीतर बिराजे हुए भगवान को याद करके स्वीकार करें। अब आपके पास कोई है जो आपकी सुन रहा है और जिस पर आप विश्वास से निर्भर रह सकते हैं। जब आप निराश महसूस करते हैं तो कोशिश करने के लिए यह एक समर्थ उपाय है।
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प्रतिक्रमण (माफी मांगो): अब, उन सभी गलतियों के लिए भीतर बिराजे हुए भगवान से क्षमा मांगिये।
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प्रत्याख्यान (संकल्प करें शक्ति मांगकर): ऐसी गलतियों को कभी भी न दोहराने के लिए भगवान से अनंत शक्ति मांगें।
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जब भी आपके मन में नेगेटिव, निराशाजनक विचार आते हैं, तो क्या इन सरल स्टेप्स का पालन करना आसान नहीं है?
लेकिन आप सोच रहे होंगे, जब सामनेवाला व्यक्ति आपको दुःख पहुँचाए तो क्या करना चाहिए?
दिलचस्प बात यह है कि, इसका उत्तर भी यही है कि दु:खी होने पर हमें उन्हीं स्टेप्स का पालन करने चाहिए क्योंकि हम दुःख से बाहर आना चाहते हैं। दूसरों से अपनी गलतियों का एहसास करने की अपेक्षा रखना और हमारा दुःख मिट जाए यह सिर्फ हमारे दु:खो को बढ़ाएगा।
यह ध्यान देने योग्य है कि विचार प्याज की परतों की तरह होते हैं। जब हम एक बार जादुई रबड़ (तीन स्टेप्स) का उपयोग करते हैं, तो विचार की केवल एक परत (राग या द्वेष की भावना के साथ) चली जाती है। फिर भी, हम हल्का और खुश महसूस करते हैं। यदि आप निराश महसूस करते हैं यदि कोई और आपको बार-बार चोट पहुँचा रहा है, तो आपको यही प्रयास करना चाहिए।
खुशियों की दुकान शुरू करें:
कल्पना कीजिए कि आपके पास मिठाई की दुकान है। तब क्या आप जब चाहो मिठाई नहीं खाओगे? अपनों को भी मिठाइयाँ बाँटेंगे ना। आपको उन्हें खरीदने के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है; आपके पास वह काफी मात्रा में है। इसी तरह अब हम खुशियों की दुकान खोलते हैं। दूसरे शब्दों में, हम इस जीवन में हमसे मिलने वाले सभी लोगों को केवल खुशी देने का दृढ़ निश्चय करें, चाहे वह मित्र हो या शत्रु! जब हम दूसरों को खुश करते हैं, तो हमारी खुशी कई गुना बढ़ जाती है। निराश न होने का शायद यह सबसे अच्छा तरीका है। जब हम खुश होते हैं, तो हमें बाहर खुशी के लिए भीख मांगने नहीं जाना पड़ता है। हमारे रिश्ते भी खिलेंगे क्योंकि लोग हमारे आसपास रहना पसंद करेंगे। जब आप खुशी देते हैं, तो आपको खुशी मिलती है। तो, तब निराशा की कोई भावना सामने नहीं आएगी। बस इतना दृढ़ निश्चय करना है। बाकी अपने आप हो जाएगा।
शाश्वत सुख की प्राप्ति:
हम सभी खुश रहना चाहते हैं और दूसरों को खुश करना चाहते हैं। लेकिन सवाल यह है कि 'खुश कैसे रहें?' अक्सर, हम खुश रहने का निर्णय करते हैं लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। किसी तरह हम दु:खी हो जाते हैं। हम खुशी चाहते हैं जो हमें कभी नहीं छोड़े। हमें ऐसा शाश्वत सुख कहाँ से मिल सकता है? अच्छा, वो सुख बाहर कहीं नहीं है। यह हमारे भीतर है। हमारा आत्मा (शुद्ध आत्मा) अनंत सुख का धाम है। केवल ज्ञानी पुरुष के पास हमें आत्म-साक्षात्कार कराने के लिए विशेष शक्तियां हैं। जब हमें आत्म-साक्षात्कार होता हैं, तो हम भी अनंत सुख का धाम के साथ पॉजिटिविटी हो जाते हैं। आत्म-साक्षात्कार हमारे जीवन को शक्तिवान, उद्देश्यपूर्ण, आशावान और आनंदमय बनाता है! फिर, हमें खुशी की तलाश के लिए खुद को आगे नहीं बढ़ाना पड़ेगा; हम इसे अपने भीतर ही जयादा पाएंगे!
तो, क्यों न ज्ञानी से मिलें और कभी भी निराश न होने के लिए आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करें?