हमारे पास जो कुछ भी है, उसके पीछे एक उद्देश्य है और हम अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन कार्यों को पूरा करते हैं । इसका अर्थ यह है कि किसी भी कार्य को करने के लिए हम उसके पीछे एक उद्देश्य निर्धारित करते हैं, चाहे वह जाने या अनजाने में हो।
लेकिन जीवन जीने के बारे में क्या?
क्या हमारे जीवन का कोई लक्ष्य है या हम आँखें बंद करके बहते प्रवाह के जा रहे हैं?
क्या आपने कभी सोचा है कि यह प्रवाह कहाँ जाके खत्म होगा?
क्या वह मंज़िल आपके लिए फायदेमंद है?
क्या होगा यदि यह प्रवाह गलत दिशा में जा रहा है, क्या आपने कभी अपनी सुरक्षा के लिए प्रवाह के खिलाफ़ जाने की कोशिश की है?
लेकिन, यह काम करने से पहले, आपको यह जानना ज़रूरी हे कि आपकी सुरक्षा किसमें हैं और आप यहाँ क्यों हैं ...
उसके लिए चलिए समझते हे कि, " मानव जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए?"
मनुष्य जन्म होने के बाद, दो प्रकार के लक्ष्य, जिन्हें पूरा करने के लिए आपको अधिक प्रयत्न करने की आवश्यकता रहती है। प्रथम यह कि आपको अपना जीवन इस तरह से जीना है कि कोई भी जीवित व्यक्ति को आपके निमित्त से दुःख न हो। आपको अपना समय उन लोगों की संगत में बिताना होगा जो आपके आत्मा की प्राप्ति, सज्जनों का संग तथा बुरी कंपनी (कुसंग) से यथासंभव बचाये। जीवन में यही हमारा उद्देश्य होना चाहिए।
और दूसरा लक्ष्य, जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होना यह है। मनुष्य जीवन कर्म के बंधन से शाश्वत मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त करने के लिए है। आत्मज्ञान प्राप्ति द्वारा केवलज्ञान (पूर्ण स्वरुप) की प्राप्ति केसे हो, यह जानना जीवन का ध्येय होना चाहिये। यदि आप प्रत्यक्ष जीवंत ज्ञानी पुरुष (जो अपने पूर्ण सवरूप को पूरी तरह से अनुभव कर चुके हैं और दूसरों को भी पूर्ण आत्म सवरूप का अनुभव का ज्ञान प्रदान करने में सक्षम हैं); से मिल पाते हैं, तो उनसे आत्मज्ञान प्राप्त करें, फिर उनके सत्संग में रहें। उनके साथ, आपके जीवन के सभी लक्ष्य पूरे होंगे, आपकी सभी उलजनें हल हो जाएंगी, और आपको मुक्ति (मोक्ष की) प्राप्त होगी।
प्रश्नकर्ता: मनुष्य का ध्येय क्या होना चाहिए?
दादाश्री: मोक्ष में जाने का ही! यही ध्येय होना चाहिए। आपको भी मोक्ष में ही जाना है न? कब तक भटकना है? अनंत जन्मों से भटक भटक... भटकने में कुछ बाकी ही नहीं रखा है न! तिर्यंच (जानवर) गति में, मनुष्यगति में, देवगति में, सभी जगह भटकता ही रहा है। क्यों भटकना पड़ा? क्योंकि ‘मैं कौन हूँ,’ इतना ही नहीं जाना। खुद के स्वरूप को ही नहीं पहचाना। खुद के स्वरूप को जानना चाहिए। ‘खुद कौन है’ वह नहीं जानना चाहिए? इतना घूमे फिर भी नहीं जाना आपने? सिर्फ पैसे कमाने के पीछे पड़े हो? मोक्ष के लिए भी थोड़ा-बहुत करना चाहिए या नहीं करना चाहिए?
प्रश्नकर्ता: करना चाहिए।
दादाश्री: अर्थात स्वतंत्र होने की ज़रूरत है न? ऐसे परवश कब तक रहना है?
प्रश्नकर्ता: मैं ऐसा मानता हूँ कि स्वतंत्र होने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन स्वतंत्र होने की समझ की ज़रूरत है।
दादाश्री: हाँ, उस समझ की ही ज़रूरत है। उस समझ को हम जान लें तो बहुत हो गया, भले ही स्वतंत्र नहीं हो पाएँ। स्वतंत्र हो पाएँ या न भी हो पाएँ, वह बाद की बात है। फिर भी उस समझ की ज़रूरत तो है न? पहले समझ प्राप्त हो गई, तो बहुत हो गया।
उपरोक्त संदर्भित माहिती: पुस्तक : मैं कौन हूँ? (पृष्ठ क्रमांक #२० परिच्छेद द्वितीय)
आप वर्तमान में प्रत्यक्ष ज्ञानी पुरुष पूज्य दीपकभाई से मिल सकते है और उनसे अपने आध्यात्मिक प्रश्नों के सभी उतर प्राप्त करते सकते हैं। तब आप तय कर सकते हैं कि जीवन में आपका लक्ष्य क्या होना चाहिए।
Q. मोक्ष (मुक्ति) क्या है? क्या मैं इसके बारे में अधिक जान सकता हूँ?
A. क्या आपको सुख पसंद है या दुःख? सुख, सही न? क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि यदि आप सुख... Read More
Q. क्या आपको कभी अपने सच्चे स्वरुप के बारे में शंका हुई है? खोज करें अपने सच्चे स्वरुप की!
A. वास्तव में,'मैं कौन हूँ' के मुद्दे पर किसी को कोई संदेह या शंका नहीं है? हालाँकि, यह शंका पहली बार... Read More
A. अनादिकाल से, हम खुद देह स्वरूपमें ही रहे और देह को ही सब कुछ माना है। उसके कारण देह को जो कुछ भी... Read More
Q. 'मैं कौन हूँ' की वैज्ञानिक समझ क्या है?
A. हम कहते हैं, 'मैं चन्दुलाल हूँ।' हम यह भी कहते हैं कि, 'मेरा नाम चन्दुलाल है।' तो परोक्ष रूप से,... Read More
Q. क्या आप आत्मज्ञान के बारे में जानना चाहते हैं?
A. आत्मज्ञान तब होता है जब आपको, 'मैं कौन हूँ' इस प्रश्न का उत्तर पता चलता है । यह आपको तब अनुभव होता... Read More
Q. आत्मज्ञान का क्या महत्व है? यह केसे हितकारी है?
A. अक्रम विज्ञान में, आत्मज्ञान न केवल एक आध्यात्मिक प्रगति में मदद करता है, लेकिन साथ में सांसारिक... Read More
Q. क्या वैवाहिक जीवन जीनेवालों के लिए आध्यात्मिक ज्ञान संभव है?
A. आपने सुना होगा कि मुक्ति पाने की अपनी गहरी इच्छा को पूरा करने के लिए, लोग अपने घर और परिवार को... Read More
Q. आध्यात्मिक जागृति के बाद आप क्या अनुभव करते हैं?
A. जलती हुई मोमबत्ती की एक छवि एक कमरे के भीतर अंधेरे को दूर नहीं कर सकती है, लेकिन साक्षात जलती हुई... Read More
Q. आध्यात्म के पंथ पर केवलज्ञान (सर्वज्ञ) दशा को प्राप्त करने के लिए महत्त्व पूर्ण चरण कौन से है?
A. आत्मा पर अज्ञानता के आवरण की वजह से अंधकार छाया हुआ है| जैसे एक मटके में हज़ार वॉट का बल्ब लगाया हो... Read More
subscribe your email for our latest news and events