अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
प्रश्नकर्ता : आत्मा का अनुभव हो जाने पर क्या होता है ?
दादाश्री : आत्मा का अनुभव हो गया, यानी देहाध्यास छूट गया। देहाध्यास छूट गया, यानी कर्म बंधना रुक गया। फिर और क्या चाहिए॒?
प्रश्नकर्ता : मैं चाहता हूँ कि आप मुझे यह ज्ञान का मार्ग बताएँ। सिर्फ इतना ही।
दादाश्री : हाँ, मैं आपको यह मार्ग दिखाऊँगा। सिर्फ दिखाऊँगा नहीं, परंतु आपका आत्मा आपके हाथो में दे दूँगा।
प्रश्नकर्ता : फिर तो मेरा मनुष्य जीवन का उद्देश्य सफल हो जाएगा। इससे ज्यादा मैं और क्या माँग सकता हूँ?
दादाश्री : हाँ, पूरी तरह से सफल हो जाएगा। अगणित जन्मों के प्रयास के बावजूद जो आप नहीं पा सके, वह मैं आपको सिर्फ एक घंटे में दे दूँगा। फिर आपको यह एहसास होगा कि मनुष्य जीवन का जो ध्येय है, वह आपने पा लिया। अन्यथा, यह आप हज़ारों जन्मों के प्रयत्न के बावजूद भी नहीं पा सकते।
Q. ' मैं कौन हूँ ' की वैज्ञानिक समझ ?
A. भिन्न, नाम और 'खुद' ! दादाश्री : क्या नाम है आपका ? प्रश्नकर्ता : मेरा नाम चन्दूलाल* है। दादाश्री : वा़कई आप चन्दूलाल हैं ? प्रश्नकर्ता : जी...Read More
Q. क्या आप खुदको पहचानते हैं ?
A. प्रश्नकर्ता: वास्तव में तो ‘मैं आत्मा ही हूँ’ न ? दादाश्री: अभी आप आत्मा हुए नहीं है न ? चन्दूलाल ही हैं न॒? ‘मैं चन्दूलाल हूँ’ यह आरोपित भाव है। आपको...Read More
Q. अहंकार क्या है ? मैं वास्तव में कौन हूँ ?
A. 'मैं चन्दूलाल हूँ' यह अहंकार है। क्योंकि जहाँ 'मैं' नहीं, वहाँ 'मैं' का आरोपण किया, उसका नाम अहंकार। प्रश्नकर्ता : 'मैं चन्दूलाल हूँ' कहें, उसमें अहंकार...Read More
A. प्रश्नकर्ता : मनुष्य का ध्येय क्या होना चाहिए ? दादाश्री : मोक्ष में जाने का ही! यही ध्येय होना चाहिए। आपको भी मोक्ष में ही जाना है न ? कहाँ तक भटकना ?...Read More
Q. भगवान कहाँ हैं ? क्या भगवान का अस्तित्व है ? भगवान क्या करते हैं ?
A. तब इन फॉरेन के सायंटिस्टों ने पूछा कि, 'तो भगवान नहीं है, क्या?' तब मैंने कहा, 'भगवान नहीं होते तो इस जगत में जो भावनाएँ है, सुख और दुःख का जो अनुभव होता...Read More
Q. क्या इस संसार को भगवान ने बनाया है ?
A. उसे मोक्ष कहते ही नहीं ! छोटा बच्चा हो वह भी कहता है कि, 'भगवान ने बनाया'। बडे़ संत हो वे भी कहते हैं कि 'भगवान ने बनाया'। यह बात लौकिक है, अलौकिक (रीयल)...Read More
Q. इस संसार को बनानेवाला कौन है ? इस संसार को चलानेवाला कौन है ?
A. फैक्ट वस्तु नहीं जानने से ही यह सब उलझा हुआ है। अब आपको, 'जो जाना हुआ है' वह जानना है, या 'जो नहीं जाना हुआ है' वह जानना है? जगत क्या है ? किस तरह बना ?...Read More
A. आत्मा-अनात्मा का वैज्ञानिक विभाजन ! जैसे इस अँगूठी में सोना और ताँबा दोनों मिले हुए हैं, उसे हम गाँव में ले जाकर किसी को कहें कि, 'भैया, अलग अलग कर दीजिए...Read More
Q. विवाहित होने के बावजूद भी आत्मज्ञान प्राप्ति संभव है?
A. दादाश्री : हाँ, ऐसा रास्ता है। संसार में रहकर इतना ही नहीं, पर वाइफ के साथ रहते हुए भी आत्मज्ञान मिल सके, ऐसा है। केवल संसार में रहना ही नहीं, पर...Read More
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