Related Questions

क्या भगवान ने एस दुनिया को बनाया है?

तथ्य यह है कि भगवान इस दुनिया के निर्माता बिल्कुल नहीं हैं!

अगर हम कहें कि भगवान सृष्टिकर्ता है, तो यह कई सवाल खड़े करता है, जिनके लिए कोई जवाब नहीं है, जैसे:

  1. अगर भगवान ने दुनिया बनाई, तो भगवान को किसने बनाया?
  2. भगवान ने इस दुनिया को कैसे बनाया? क्या वह एक के बाद एक चीजों को बनाने के लिए कुम्हार की तरह मेहनत करते होगे?
  3. क्या भगवान पक्षपाती है? तो वे इस दुनिया में एक व्यक्ति को गरीब और दूसरे को अमीर क्यों बनाएगे?
  4. यदि भगवान अनंत सुखधाम हैं, तो उन्होंने इस दुनिया को चिंताओं और दु:खो से क्यों भरा?
  5. जब बारिश होती है, तो क्या भगवान पानी बनाने जाते हैं?

नहीं, ये सभी नेचरल एडजस्टमेन्ट हैं!

उदाहरण के लिए: जब हाइड्रोजन के दो परमाणु और ऑक्सीजन का एक परमाणु अन्य सबूत के साथ एक साथ आते हैं, तो इसके परिणामस्वरूप पानी का निर्माण होता है। किसी को बैठना और बनाना नहीं है, यह अपने आप होता है, स्वचालित रूप से।

यह दुनिया पूरी तरह से साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेन्स (वैज्ञानिक सांयोगिक प्रमाण) द्वारा चलाई जाती है। उपरोक्त उदाहरण में, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, वायु, समय, स्थान साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेन्स (वैज्ञानिक सांयोगिक प्रमाण) जाता है। अनगिनत प्रमाण एक साथ आने से कुछ बन जाता है। वे एक साथ आते हैं या नहीं, एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो कुदरत के नियमों के अनुसार चलती है। जब वे एक साथ आते हैं तो काम पूरा हो जाता है, और जब वे एक साथ नही आते हैं, तो कोई घटना नहीं होती है ...

यह किस आधार पर तय किया जाता है?

इस जीवन में जो भी कर्म बांधता है, वह कॉज़ेज़ हैं। जिसके परिणाम अगले जन्म में प्रभाव के रूप में भुगतना पड़ता है। इस प्रकार पूरी दुनिया कर्म इफ़ेक्ट (प्रभाव) की नींव पर कार्य करती है।

यह कुदरत है जो सब कुछ और सभी को व्यवस्थित रखती है। भगवान इस प्राकृतिक प्रक्रिया में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं।

इसलिए भगवान कृष्ण ने कहा है, 'भगवान ने इस दुनिया को नहीं बनाया है; यह स्वाभाविक रूप से है।'

फिर भगवान की भूमिका क्या है?

भगवान प्रत्येक जीव ’में शुद्ध चेतना के रूप में रहते है और जो कुछ भी होता है वह उसके ज्ञाता-द्रष्टा स्थिति में रहते है। वह हमेशा अपने स्वयं के अनंत सुख में रहते है, जो सुख आत्मा का अनंत सुख है।

आत्मा यानि हमारा अपना स्वरुप, सच्चा स्वरुप; और वह शुद्ध आत्मा है।

अज्ञानता से हम अपने दुःख की दुनिया का निर्माण करते हैं

अज्ञानता से हम खुद को अपना नाम या अपना शरीर या अपनी प्रकृति मानते हैं। हालाँकि, तथ्य यह है कि इसमें से कोई भी हमारा सच्चा स्वरुप नहीं है; वे सभी मात्र कर्म का प्रभाव हैं। अच्छे कर्म से अच्छे प्रभाव पड़ता है और हमें अच्छा स्वभाव, एक अच्छा शरीर और एक स्वस्थ मन मिलता है। दूसरी ओर, बुरे कर्मो का बुरा प्रभाव होता हैं।

इन कर्मों के प्रभाव को रोंग बिलिफ से अपने मानकर, हम कर्म के बाद कर्म को बांधते रहते हैं और हम अपने नए दुःख की दुनिया बनाते रहते हैं। कॉज़ेज़(कारण) तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक ‘मैं जॉन हूं *' (पाठक को जॉन नाम की जगह अपना नाम समजना है) हमारी बिलिफ में संलग्न है। केवल जब ज्ञानी पुरुष हमें जागृत करके हमें हमारे सच्चे स्वरुप का अनुभव करावाते है, तब कॉज़ेज़(कारण) बंद हो जाएंगे और इसके साथ ही नई दुनिया का निर्माण बंद हो जाएगा।

Related Questions
  1. भगवान क्या है?
  2. भगवान कौन है?
  3. क्या भगवान है? भगवान कहाँ है?
  4. भगवान को किसने बनाया? भगवान कहाँ से आए?
  5. क्या भगवान ने एस दुनिया को बनाया है?
  6. क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सामूहिक रूप से सृष्टि का निर्माण किया है?
  7. क्या वर्तमान में कोई जीवंत भगवान हाज़िर है? वह कहाँ है? वह हमें कैसे मदद कर सकते है?
  8. भगवान को प्रार्थना कैसे करें
  9. मेरे गलत काम के लिए क्या भगवान मुझे माफ करेंगे या सजा देंगे?
  10. भगवान, मुझे आपकी जरूरत है आप कहाँ हो? भगवान कृपया मेरी मदद कीजिये!
  11. इश्वर के प्रेम को कैसे प्राप्त करें?
  12. भगवान पर ध्यान कैसे केन्द्रित करे?
  13. मूर्तिपूजा का महत्व क्या है?
  14. परमेश्वर के क्या गुण हैं?
  15. वास्तव में भगवान का अनुभव करने की कुंजी क्या है?
  16. भगवान कैसे बनें?
  17. अंबा माता और दुर्गा माता कौन हैं?
  18. देवी सरस्वती क्या दर्शाती हैं?
  19. लक्ष्मीजी कहाँ रहती हैं? उनके क्या कायदे हैं?
×
Share on