इस काल में ऐसे प्रेम के दर्शन हज़ारों को परमात्म प्रेम स्वरूप श्री दादा भगवान में हुए। एक बार जो कोई उनकी अभेदता चखकर गया, वह निरंतर उनके निदिध्यासन या तो उनकी याद में रहता है, संसार की सब जंजालों में जकड़ा हुआ होने के बावजूद भी!
हज़ारों लोगों को पूज्यश्री वर्षों तक एक क्षण भी बिसरते नहीं, वह इस काल का महान आश्चर्य है!! हज़ारों लोग पूज्यश्री के संसर्ग में आए, पर उनकी करुणा, उनका प्रेम हर एक पर बरसता हुआ सबने अनुभव किया। हर एक को ऐसा ही लगता है कि मुझ पर सबसे अधिक कृपा है,राजीपा(गुरजनों की कृपा और प्रसन्नता) है!
और संपूर्ण वीतरागों के प्रेम की तो वर्ल्ड में कोई मिसाल ही न मिले! एक बार वीतराग के, उनकी वीतरागता के दर्शन हो जाएँ, वहाँ खुद सारी ज़िन्दगी समर्पण हो जाए। उस प्रेम को एक क्षण भी भूल न सके!
सामनेवाला व्यक्ति किस प्रकार आत्यंतिक कल्याण को पाए, निरंतर उसी लक्ष्य के कारण यह प्रेम, यह करुणा फलित होती हुई दिखती है। जगत् ने देखा नहीं, सुना नहीं, श्रद्धा में नहीं आया, अनुभव नहीं किया, ऐसा परमात्म प्रेम प्रत्यक्ष में प्राप्त करना हो तो प्रेमस्वरूप प्रत्यक्ष ज्ञानी की ही भजना करनी। बाकी, वह शब्दों में किस तरह समाए?!
Book Name: प्रेम (संपादकीय Paragraph #6,#7,#8,#9)
Q. सच्चे प्रेम की परिभाषा क्या है?
A. दादाश्री : वोट इज़ द डेफिनेशन ऑफ लव? प्रश्नकर्ता : मुझे पता नहीं। वह समझाइए। दादाश्री : अरे, मैं... Read More
Q. आकर्षण और प्रेम में क्या अंतर है?
A. प्रश्नकर्ता : तो प्रेम और राग ये दोनों शब्द समझाइए। दादाश्री : राग, वह पौद्गलिक वस्तु है और प्रेम,... Read More
Q. आकर्षण और खिंचाव के पीछे का विज्ञान क्या है?
A. यह किसके जैसा है? यह लोहचुंबक होता है और यह आलपिन यहाँ पड़ी हो और लोहचुंबक ऐसे-ऐसे करें तो आलपिन... Read More
Q. सच्चे प्रेम और भावना(इमोशन) में क्या फर्क है?
A. प्रश्नकर्ता : यह प्रेमस्वरूप जो है, वह भी कहलाता है कि हृदय में से आता है और इमोशनलपन भी हृदय में... Read More
Q. शुद्ध प्रेम का उदभव कैसे होता है?
A. अर्थात् जहाँ प्रेम न दिखे, वहाँ मोक्ष का मार्ग ही नहीं। हमें नहीं आए, बोलना भी नहीं आए, तब भी वह... Read More
Q. प्रेम स्वरूप कैसे बन सकते हैं?
A. असल में जगत् जैसा है वैसा वह जाने, फिर अनुभव करे तो उसे प्रेमस्वरूप ही होगा। जगत् 'जैसा है वैसा'... Read More
Q. शुद्ध प्रेम कैसे उत्पन्न किया जाए? प्रेम स्वरुप कैसे बना जाए?
A. अब जितना भेद जाए, उतना शुद्ध प्रेम उत्पन्न होता है। शुद्ध प्रेम को उत्पन्न होने के लिए क्या जाना... Read More
Q. ईश्वरीय प्रेम क्या है? ऐसा प्रेम कहाँ से प्राप्त होगा?
A. यह प्रेम तो ईश्वरीय प्रेम है। ऐसा सब जगह होता नहीं न! यह तो किसी जगह पर ऐसा हो तो हो जाता है, नहीं... Read More
Q. आत्यंतिक मोक्ष कैसे हो सकता है?
A. प्रश्नकर्ता : इस ज्ञान के बाद हमें जो अनुभव होता है, उसमें कुछ प्रेम, प्रेम, प्रेम छलकता है, वह... Read More
A. प्रश्नकर्ता: इसमें प्रेम और आसक्ति का भेद ज़रा समझाइये। दादाश्री: जो विकृत प्रेम है, उसीका नाम... Read More
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