अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें05 जून |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
प्रश्नकर्ता : मृत्यु क्या है?
दादाश्री : मृत्यु तो, ऐसा है न, यह कमीज़ सिलवाई अर्थात् कमीज़ का जन्म हुआ न, और जन्म हुआ, इसलिए मृत्यु हुए बगैर रहती ही नहीं! किसी भी वस्तु का जन्म होता है, उसकी मृत्यु अवश्य होती है। और आत्मा अजन्म-अमर है, उसकी मृत्यु ही नहीं होती। मतलब जितनी वस्तुएँ जन्मती हैं, उनकी मृत्यु अवश्य होती है और मृत्यु है तो जन्म पाएँगी। जन्म के साथ मृत्यु जोइन्ट हुआ है। जन्म हो, वहाँ मृत्यु अवश्य होती ही है!
प्रश्नकर्ता : मृत्यु किस लिए है?
दादाश्री : मृत्यु तो ऐसा है न, इस देह का जन्म हुआ न वह एक संयोग है, उसका वियोग हुए बगैर रहता ही नहीं न! संयोग हमेशा वियोगी स्वभाव के ही होते हैं। हम स्कूल में पढ़ने गए थे, तब शुरूआत की थी या नहीं, बिगिनिंग? फिर एन्ड आया कि नहीं आया? हरएक चीज़ बिगिनिंग और एन्डवाली ही होती है। यहाँ पर इन सभी चीज़ों का बिगिनिंग और एन्ड होता है। नहीं समझ में आया तुझे?
प्रश्नकर्ता : समझ में आया न!
दादाश्री : ये सभी चीज़ें बिगिनिंग-एन्डवाली, परन्तु बिगिनिंग और एन्ड को जो जानता है, वह जाननेवाला कौन है?
बिगिनिंग-एन्डवाली सभी वस्तुएँ हैं, वे टेम्परेरी (अस्थायी) वस्तुएँ हैं। जिसका बिगिनिंग होता है, उसका एन्ड होता है, बिगिनिंग हो उसका एन्ड होता ही है अवश्य। वे सभी टेम्परेरी वस्तुएँ हैं, मगर टेम्परेरी को जाननेवाला कौन है? तू परमानेन्ट है, क्योंकि तू इन वस्तुओं को टेम्परेरी कहता है, इसलिए तू परमानेन्ट है। यदि सभी वस्तुएँ टेम्परेरी होतीं तो फिर टेम्परेरी कहने की ज़रूरत ही नहीं थी। टेम्परेरी सापेक्ष शब्द है। परमानेन्ट है, तो टेम्परेरी है।
Book Name: मृत्यु समय, पहले और पश्चात...(Page #28 Paragraph #5, #6 & Page #29 Paragraph #1 to #6)
A. प्रश्नकर्ता : तो मृत्यु किस लिए आती है? दादाश्री : वह तो ऐसा है, जब जन्म होता है, तब ये मन-वचन-काया की तीन बेटरियाँ हैं, जो गर्भ में से इफेक्ट (परिणाम)...Read More
Q. क्या आपको मृत्यु का डर नहीं है?
A. यह निरंतर भयवाला जगत् है। एक क्षणभर के लिए भी निर्भयतावाला यह जगत् नहीं है और जितनी निर्भयता लगती है, उतना उसकी मूर्छा में है जीव। खुली अँाखों से सो रहे...Read More
Q. मृत्यु के अंतिम घंटों में क्या होता है?
A. मरते समय सारी ज़िन्दगी में जो किया हो, उसका सार (हिसाब) आता है। वह सार पौना घंटे तक पढ़ता रहे, फिर देह बंध जाता है। फलतः दो पैरों में से चार पैर हो जाते...Read More
Q. क्या वास्तव में पुनर्जन्म है?
A. प्रश्नकर्ता : जीवात्मा मरता है, फिर वापस आता है न? दादाश्री : ऐसा है न, फॉरेनवालों का वापस नहीं आता है, मुस्लिमों का वापस नहीं आता है, लेकिन आपका वापस आता...Read More
Q. क्या मृत्यु के बाद जीवन है?
A. दादाश्री : मृत्यु के बाद जन्म और जन्म के बाद मृत्यु है, बस। यह निरंतर चलता ही रहता हैं! अब यह जन्म और मृत्यु क्यों हुए हैं? तब कहे कॉज़ेज़ एन्ड इफेक्ट,...Read More
Q. आत्मा जब शरीर को छोड़कर जाता है, उसके बाद क्या होता है?
A. प्रश्नकर्ता : यानी यह देह छोड़ना और दूसरा धारण करना, उन दोनों के बीच में वैसे, कितना समय लगता है? दादाश्री : कुछ भी समय नहीं लगता। यहाँ भी होता है, इस देह...Read More
Q. क्या मनुष्य का जन्म हमेशा मनुष्य योनि में ही होता है?
A. प्रश्नकर्ता : मनुष्य में से मनुष्य में ही जानेवाले हैं न? दादाश्री : वह खुद की समझ में भूल है। बाकी स्त्री की कोख से मनुष्य ही जन्म लेता है। वहाँ कोई गधा...Read More
Q. क्या यह सच है कि कोई व्यक्ति मनुष्य योनि में से जानवर योनि में जा सकता है?
A. प्रश्नकर्ता : 'थियरी ऑफ इवोल्युशन' (उत्क्रंतिवाद) के अनुसार जीव एक इन्द्रिय, दो इन्द्रिय ऐसे 'डेवलप' होता-होता मनुष्य में आता है और मनुष्य में से फिर वापस...Read More
Q. क्या ज्ञान प्राप्ति का आनंद इसी जन्म तक सीमित है?
A. प्रश्नकर्ता : मात्र यह सनातन शांति प्राप्त करे तो वह इस जन्म के लिए ही होती है या जन्मों जन्म की होती है? दादाश्री : नहीं। वह तो परमानेन्ट हो गई, वह तो।...Read More
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