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मृत्यु क्या है?

प्रश्नकर्ता : मृत्यु क्या है?

दादाश्री : मृत्यु तो, ऐसा है न, यह कमीज़ सिलवाई अर्थात् कमीज़ का जन्म हुआ न, और जन्म हुआ, इसलिए मृत्यु हुए बगैर रहती ही नहीं! किसी भी वस्तु का जन्म होता है, उसकी मृत्यु अवश्य होती है। और आत्मा अजन्म-अमर है, उसकी मृत्यु ही नहीं होती। मतलब जितनी वस्तुएँ जन्मती हैं, उनकी मृत्यु अवश्य होती है और मृत्यु है तो जन्म पाएँगी। जन्म के साथ मृत्यु जोइन्ट हुआ है। जन्म हो, वहाँ मृत्यु अवश्य होती ही है!

प्रश्नकर्ता : मृत्यु किस लिए है?

दादाश्री : मृत्यु तो ऐसा है न, इस देह का जन्म हुआ न वह एक संयोग है, उसका वियोग हुए बगैर रहता ही नहीं न! संयोग हमेशा वियोगी स्वभाव के ही होते हैं। हम स्कूल में पढ़ने गए थे, तब शुरूआत की थी या नहीं, बिगिनिंग? फिर एन्ड आया कि नहीं आया? हरएक चीज़ बिगिनिंग और एन्डवाली ही होती है। यहाँ पर इन सभी चीज़ों का बिगिनिंग और एन्ड होता है। नहीं समझ में आया तुझे?

प्रश्नकर्ता : समझ में आया न!

दादाश्री : ये सभी चीज़ें बिगिनिंग-एन्डवाली, परन्तु बिगिनिंग और एन्ड को जो जानता है, वह जाननेवाला कौन है?

बिगिनिंग-एन्डवाली सभी वस्तुएँ हैं, वे टेम्परेरी (अस्थायी) वस्तुएँ हैं। जिसका बिगिनिंग होता है, उसका एन्ड होता है, बिगिनिंग हो उसका एन्ड होता ही है अवश्य। वे सभी टेम्परेरी वस्तुएँ हैं, मगर टेम्परेरी को जाननेवाला कौन है? तू परमानेन्ट है, क्योंकि तू इन वस्तुओं को टेम्परेरी कहता है, इसलिए तू परमानेन्ट है। यदि सभी वस्तुएँ टेम्परेरी होतीं तो फिर टेम्परेरी कहने की ज़रूरत ही नहीं थी। टेम्परेरी सापेक्ष शब्द है। परमानेन्ट है, तो टेम्परेरी है।

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