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मृत्यु का रहस्य!

“मृत्यु”, एक ऐसा शब्द है, जिसे याद करते ही शोक,भय और दुःख का अनुभव होता है। हर व्यक्ति को अपने जीवन में किसी ना किसी की मृत्यु का साक्षी तो बनना होता ही है। मृत शरीर देखते ही मन में मृत्यु के बारे में अनगिनत विचार आने लगते हैं। उसमें अगर अपने किसी करीबी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाए तो परिवार के सदस्य पूरी तरह से दुःख में डूब जाते हैं। ऐसे वक़्त में मृत्यु के स्वरूप की वास्तविकता और उसके रहस्य का समाधान नहीं मिलने पर दुःख और भय कम ही नहीं होते। ऊपर से, जिनकी मृत्यु होती है, वे अपना अनुभव बता नहीं पाते और जो जन्म लेता है वह जन्म से पहले की अवस्था को जानता नहीं। इस कारण से मृत्यु से पहले, मृत्यु के समय और मृत्यु के बाद किन-किन परिस्थितियों से गुज़रना पड़ता है, यह रहस्य गुप्त रह जाता है।

मृत्यु क्या है? मृत्यु के क्या कारण हैं? मृत्यु के बाद क्या होता है? क्या पुनर्जन्म है? अगर इन सभी रहस्यों को समझ लिया जाए, तो मृत्यु का भय दूर हो सकता है! दुःख के प्रसंगों में समाधान रहता है, इतना ही नहीं बल्कि मृत्यु की हक़ीक़त समझ में आ जाए तो मनुष्य जीवन का महत्त्व भी समझ में आ जाए। परिणामस्वरूप, मृत्यु एक दुःखद घटना नहीं बल्कि महोत्सव बन जाती है!

परम पूज्य दादा भगवान ने मृत्यु के तमाम रहस्यों के वैज्ञानिक समाधान दिए हैं, जो पाठकों को यहाँ प्राप्त होते हैं। इतना ही नहीं, मृत्यु के बाद दोबारा जन्म न लेना पड़े और जन्म-मरण के चक्कर में से हमेशा के लिए छूट सकें उसके उपाय भी सूक्ष्मता से समझाए गए हैं। तो चलिए, मृत्यु से संबंधित तमाम प्रश्नों के व्यवहारिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समाधान प्राप्त करें।

मृत्यु के रहस्य

हम हमारे कर्म के अनुसार लोगों से मिलते और बिछड़ते है|जब हम शोक करते है तब हमारे सपंदन मृत व्यक्ति के आत्मा तक पहुचकर उन्हें कष्ट देते है| इसलिए हमें उनके आत्मा की प्रगति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए|

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Top Questions & Answers

  1. Q. मृत्यु क्या है?

    A. मृत्यु जीवन का एक सत्य है, एक अनिवार्य हक़ीक़त है। हम सभी इस हक़ीक़त को जानते हैं, फिर भी मृत्यु के नाम... Read More

  2. Q. मृत्यु का कारण क्या है?

    A. देखने जाएँ तो मृत्यु के अनेक कारण हो सकते हैं। किसी को बीमारी के कारण मृत्यु आती है, तो किसी को... Read More

  3. Q. क्या सच में पुनर्जन्म है?

    A. मृत्यु के बाद आत्मा देह छोड़ कर चला जाता है यह तो सभी मानते हैं, पर आत्मा जाता कहाँ है? क्या... Read More

  4. Q. मृत्यु के बाद क्या होता है?

    A. मृत्यु के बाद आत्मा एक देह छोड़ता है और दूसरी तरफ़ जहाँ पिता का वीर्य और माता का रज दोनों के इकट्ठा... Read More

  5. Q. मृत्यु के भय से कैसे छूटें?

    A. मृत्यु को टाल सकें ऐसा नहीं है यह जानने के बावजूद मृत्यु का भय हर किसी को रहता ही है। मृत्यु का भय... Read More

  6. Q. अंतिम समय में क्या जागृति रखें?

    A. व्यक्ति को अंतिम समय में बहुत सी इच्छाएँ अधूरी रह जाएँगी ऐसा लगता है। जब अचानक मृत्यु नज़दीक आती... Read More

  7. Q. जन्म-मृत्यु के चक्कर में से कैसे छूटें?

    A. अगर आत्मा अजन्म-अमर है, तो फिर आवागमन यानी कि जन्म के बाद मृत्यु, मृत्यु के बाद फिर से जन्म के... Read More

Spiritual Quotes

  1. मृत्यु का भय तो अहंकार को रहता है, आत्मा को कुछ नहीं। अहंकार को भय रहता है कि मैं मर जाऊँगा, मैं मर जाऊँगा।
  2. जन्म-मरण अर्थात् उसके कर्म का हिसाब पूरा हो गया, एक अवतार का जो हिसाब बांधा था, वह पूरा हो गया, इसलिए मरण हो जाता है।
  3. यह एक्सपायर होना, उसका मतलब क्या है, समझता है? बहीखाते का हिसाब पूरा होना, वह। इसलिए हमें क्या करना है? हमें बहुत याद आए वह, तो वीतराग भगवान से कहना कि उसे शांति दीजिए।
  4. जो अहंकार है न, उसे आवागमन है। आत्मा तो मूल दशा में ही है। अहंकार फिर बंद हो जाता है, इसलिए उसके फेरे बंद हो जाते है!
  5. भगवान की दृष्टि से इस संसार में क्या चल रहा है? तब कहे, उनकी दृष्टि से तो कोई मरता ही नहीं। भगवान की जो दृष्टि है, वह दृष्टि यदि आपको प्राप्त हो, एक दिन के लिए दें वे आपको, तो यहाँ चाहे जितने लोग मर जाएँ, फिर भी आपको असर नहीं होगा, क्योंकि भगवान की दृष्टि में कोई मरता ही नहीं है।
  6. जन्म व मरण आत्मा का नहीं है। आत्मा परमानेन्ट वस्तु है। यह जन्म व मरण ‘इगोइज़म’ का है।
  7. जन्म लेते ही आरी चलनी शुरू हो जाती है! लेकिन लोग तो, जब लकड़ी के दो टुकड़े हो जाएँ, उसे मृत्यु कहते हैं! वह तो शुरू से कट ही रहा था।
  8. जीवन में जल्दी मरने की भावना करना, वह भी आर्तध्यान और रौद्रध्यान है और नहीं मरने की भावना करना, वह भी आर्तध्यान और रौद्रध्यान है। जब स्टेशन आए तब उतर पड़ना। मरने की भी नहीं और न मरने की भी भावना नहीं रखनी चाहिए।
  9. जिस दुनिया में मर जाना है, ऐसी दुनिया पुसाए ही कैसे? हम अमर हैं।

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