मृत्यु के रहस्य
हम हमारे कर्म के अनुसार लोगों से मिलते और बिछड़ते है|जब हम शोक करते है तब हमारे सपंदन मृत व्यक्ति के आत्मा तक पहुचकर उन्हें कष्ट देते है| इसलिए हमें उनके आत्मा की प्रगति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए|
“मृत्यु”, एक ऐसा शब्द है, जिसे याद करते ही शोक,भय और दुःख का अनुभव होता है। हर व्यक्ति को अपने जीवन में किसी ना किसी की मृत्यु का साक्षी तो बनना होता ही है। मृत शरीर देखते ही मन में मृत्यु के बारे में अनगिनत विचार आने लगते हैं। उसमें अगर अपने किसी करीबी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाए तो परिवार के सदस्य पूरी तरह से दुःख में डूब जाते हैं। ऐसे वक़्त में मृत्यु के स्वरूप की वास्तविकता और उसके रहस्य का समाधान नहीं मिलने पर दुःख और भय कम ही नहीं होते। ऊपर से, जिनकी मृत्यु होती है, वे अपना अनुभव बता नहीं पाते और जो जन्म लेता है वह जन्म से पहले की अवस्था को जानता नहीं। इस कारण से मृत्यु से पहले, मृत्यु के समय और मृत्यु के बाद किन-किन परिस्थितियों से गुज़रना पड़ता है, यह रहस्य गुप्त रह जाता है।
मृत्यु क्या है? मृत्यु के क्या कारण हैं? मृत्यु के बाद क्या होता है? क्या पुनर्जन्म है? अगर इन सभी रहस्यों को समझ लिया जाए, तो मृत्यु का भय दूर हो सकता है! दुःख के प्रसंगों में समाधान रहता है, इतना ही नहीं बल्कि मृत्यु की हक़ीक़त समझ में आ जाए तो मनुष्य जीवन का महत्त्व भी समझ में आ जाए। परिणामस्वरूप, मृत्यु एक दुःखद घटना नहीं बल्कि महोत्सव बन जाती है!
परम पूज्य दादा भगवान ने मृत्यु के तमाम रहस्यों के वैज्ञानिक समाधान दिए हैं, जो पाठकों को यहाँ प्राप्त होते हैं। इतना ही नहीं, मृत्यु के बाद दोबारा जन्म न लेना पड़े और जन्म-मरण के चक्कर में से हमेशा के लिए छूट सकें उसके उपाय भी सूक्ष्मता से समझाए गए हैं। तो चलिए, मृत्यु से संबंधित तमाम प्रश्नों के व्यवहारिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समाधान प्राप्त करें।
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