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स्त्री और पुरुष के बीच के आकर्षण का क्या विज्ञान है?

विषय आकर्षण क्या है?

स्त्री और परुष के बीच का आकर्षण परमाणुओं के हिसाब के कारण होता है ।

निदर्शन :

स्त्री और पुरुष के बीच में आकर्षण सुई और चुंबक के बीच आकर्षण की तरह है। अगर सुई के सामने चुंबक को घुमाएंगे तो सुई अपने आप ऊपर - नीचे घूमेगी । दोनों ही निर्जीव है , लेकिन चुंबक के गुणों के कारण दोनों में आकर्षण रहता है ।

इसी प्रकार इस देह के समान परमाणु होते हैं, तब उसीके साथ आकर्षण होता है। उसमें चुंबक है, इसमें इलेक्ट्रिकल बोडी (तेजस शरीर) है! जैसे चुंबक लोहे को खींचता है, दूसरी किसी धातु को नहीं खींचता। यह तो इलेक्ट्रिसिटी की वज़ह से परमाणु प्रभावित होते हैं और इसलिए परमाणु खिंचते हैं। जैसे पिन और चुंबक के बीच में आता है कोई अंदर? पिन को हमने सिखाया था कि तू ऊपर-नीचे होना?

अत: यह देह सारी विज्ञान है। विज्ञान से यह सब चलता है।

हम किसी खास लोगों के प्रति ही आकर्षित क्यों होते हैं, इसके बारे में तथ्य :

  1. सभी स्त्री/पुरुष के प्रति आकर्षण नहीं होता, क्योकि समान परमाणु मिलते आएँ, तब उस स्त्री/पुरुष के प्रति आकर्षण होता है। जब परमाणु मिलते न आए तो आकर्षण नहीं होता है । परमाणु मिलते आए तब आकर्षण होता है, आकर्षण होने के बाद खुद ने तय किया हो कि मुझे नहीं खिंचना है तो भी खिंच जाता है।
  2. अगर सामने वाले का स्वभाव व विचारधारा हमसे मिलती है तब भी खिचाव होता है ।
  3. यौवनावस्था से हम कल्पना करते हैं कि हमारा आदर्श साथी कैसा दिखेगा, इसलिए जब हम किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो हमारे 'डिजाइन' से मेल खाता है तो हम तुरंत उसके प्रति आकर्षित हो जाते हैं।
  4. ऐसी बिलीफ'( धारणा) होती है कि पुरुष / महिला के संगति में सुख होता है।

आकर्षण क्यों रहता है? आकर्षण के पीछे का विज्ञान क्या है?

एक तो खुद के स्वरूप का अज्ञान और वर्तमानकाल का ज्ञान, तब फिर उसे राग उत्पन्न होता है। जिस स्त्री के प्रति आकर्षण हुआ है ,अगर उसके संपूर्ण जीवन की कल्पना करें , तब आप राग और आकर्षण से मुक्त हो सकते हो । लेकिन यदि उसे यह समझ में आए कि यह गर्भ में थी तब ऐसी दिखती थी, जन्म हुआ तब ऐसी दिखती थी, छोटी बच्ची थी तब ऐसी दिखती थी, फिर ऐसी दिखती थी, आज ऐसी दिखती है, फिर ऐसी दिखेगी, बूढ़ी होने पर ऐसी दिखेगी, पक्षाघात होगा तब ऐसी दिखेगी, अर्थी उठेगी तब ऐसी दिखेगी, ऐसी सभी अवस्थाएँ जिनके लक्ष्य में है, उन्हें वैराग्य सिखाना नहीं पड़ता! यह तो, आज जो दिखता है, उसे देखकर ही जो मूर्छित हो जाते हैं । लोगों ने इस तरह विश्लेषण नहीं किया है और विषय की वास्तविक प्रकृति को नहीं जाना और इसलिए आकर्षण अभी भी बना हुआ है।

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