यदि आज कोई व्यक्ति चोरी कर रहा है, तो चोरी करने की उसकी क्रिया दृश्यमान कर्म है। इस कर्म का फल इस जीवनकाल में ही मिल जाएगा; उसे बदनामी और सज़ा दी जाएगी।
लेकिन यह भगवान नहीं है जो उसे सजा देते है!
भगवान कभी किसी को कोई सज़ा नहीं देते, न ही वह किसी को इनाम देते है। हमें जो दंड या पुरस्कार मिलता है, वह सब हमारे अपने कर्मों का परिणाम होता है। और यह परिणाम हमें कुदरत देती है।
इस जगत का न्याय निश्चेतन-चेतन (मिकेनिकल) जड़ है, कुदरत का न्याय एसा है कि हमने जो भी कर्म बांधे है उन सभी ले परिणाम त्वरित (ओटोमेटिक) ही आ जाता है। यदि हमने बुरे कर्म बांधे हो, तो दुःख भुगतना होगा। और यदि हमने अच्छे कर्म बांधे हो, तो हमे सुख प्राप्त होगा। इस तरह कुदरत का न्याय जगत को नियंत्रित करता है। एक क्षण मात्र के लिए भी यह जगत नियम के बहार गया नहीं।
भगवान के लिए, सही या गलत, अच्छा या बुरा जैसी कोई चीज नहीं है; क्योंकि भगवान किसी भी चीज़ में किसी भी हस्तक्षेप नहीं करते हैं। हालाँकि, भगवान को सर्व सत्ताधीश मानना, जो हमें दंड देते है जब हम दोषी होते है; ऐसे मे, हम भगवान के प्रति डर से जी रहे है। भगवान से डरने के बजाय, हमें हमारी गलतियों से डरना चाहिए, जिसकी वजह से हमे दुःख और सज़ा भुगतनी पड़ती है।
फिर लोग हमें एसी सलाह क्यों देते हैं कि, 'भगवान से डरना चाहिए?'
इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, आइए हम यह समझें कि भगवान से डरने का क्या अर्थ है:
भगवान से डरने का अर्थ यह है उनके प्रति हमारे मन में उत्कृष्ट विनयभाव है, जो अच्छे के लिए है, क्योंकि यह सभी उनकी बातों को मानने और उनके दिखाए मार्ग पर ईमानदारी से चलने के लिए प्रतिबद्धता लाता है। यद्यपि ऐसा है कि व्यक्ति अगर भगवान से डरता है, तो उसका भय वास्तव में भगवान के प्रति उसकी असीम श्रद्धा को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि उनकी इच्छा, भगवान की इच्छा के अनुसार जीवन जीने कि है न के उनके स्वयं की सोच और समझ के अनुसार। और यह भी दर्शाता है कि वह भगवान को कैसे प्रसन्न करना चाहता है, जिसे वह सबसे अधिक प्रेम करता है; इसलिए किसी भी तरह से खुद अपराध न हो इस बात का उन्हें डर है।
क्या भगवान मेरी गलतियों के लिए मुझे माफ़ करेंगे?
भलेही हम कितनी भी सावधानी बर्ते हैं लेकिन हम गलतियाँ तो करते हैं। हालाँकि, भगवान को हमें माफ करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह कभी किसी को सही या गलत नहीं देखते है। भगवान प्रत्येक जिव मात्र के भीतर रहनेवाले शुद्धात्मा है, जो निष्पक्ष रूप से ज्ञाता –द्रष्टा स्वभाव में ही रहते है!
लेकिन क्या आप जानते हो कि प्रतिक्रमण करके क्षमा माँगने के ३-चरण के दृष्टिकोण को अपनाने से, भगवान की साक्षी में, हम अपनी सभी गलतियों से जड़ से ही छुटकारा पा सकते हैं जो हमें दुख पहुंचाती हैं?
चलिये देखते हैं कैसे…
कहते हैं एक व्यक्ति को आज चोरी करनी थी। अब,यदि वह, शुद्ध इरादे से भगवान के सामने अपनी गलती का बचाव या नहीं छिपाता है:
ऐसा करने पर, उनकी पुरानी राय जो थी की, 'चोरी करने में कुछ भी गलत नहीं है,' उसमे परिवर्तन होना शुरू होता है, 'चोरी करना गलत है।'
जो भी गलती की गई है, वह गलत राय (अभिप्राय) का नतीजा है। एक अभिप्राय बदलना सबसे बड़ी उपलब्धि है। एक बार जब व्यक्ति के भीतर अभिप्राय पूरी तरह से बदल जाता है, फिर वह व्यक्ति कुदरत की द्रष्टि से अपराधी नहीं रहती, और कुदरत उसे दंड नहीं देती है।
प्रतिक्रमण हमारे पाप कर्म के मूल में से नष्ट करने में मदद करता है '(अर्थात हमारा अभिप्राय) जिसके परिणामस्वरूप हम से यह गलती हो जाती है। जब जड़े ही मूल से निकल जाती है, तो इसका अर्थ यह है कि हम फिर से ऐसी गलती नहीं करेंगे।
प्रतिक्रमण हमारे पाप कर्म के मूल में से नष्ट करने में मदद करता है '(अर्थात हमारा अभिप्राय) जिसके परिणामस्वरूप हम से यह गलती हो जाती है। जब जड़े ही मूल से निकल जाती है, तो इसका अर्थ यह है कि हम फिर से ऐसी गलती नहीं करेंगे।
A. आप भगवान की खोज में है। आप भगवान को जानना चाहते हैं। आप भगवान के कार्य को जानना चाहते हैं। आप भगवान... Read More
A. इस दुनिया में, यदि आपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, तो लोग आपको इंजीनियर कहते हैं; और यदि आप किसी... Read More
Q. क्या भगवान है? भगवान कहाँ है?
A. क्या यह स्वर्ग में है? आकाश में? मंदिर में है? हमारे हृदय में? या कहीं और? भगवान के सही पते को न... Read More
Q. भगवान को किसने बनाया? भगवान कहाँ से आए?
A. जब हम इस खूबसूरत दुनिया को अपने आस-पास देखते हैं, तो हमें अक्सर आश्चर्य होता है कि, 'इस दुनिया को... Read More
Q. क्या भगवान ने एस दुनिया को बनाया है?
A. तथ्य यह है कि भगवान इस दुनिया के निर्माता बिल्कुल नहीं हैं! अगर हम कहें कि भगवान सृष्टिकर्ता है,... Read More
Q. क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सामूहिक रूप से सृष्टि का निर्माण किया है?
A. एक धार्मिक मान्यता है कि: ‘ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सामूहिक रूप से सृष्टि का निर्माण... Read More
Q. क्या वर्तमान में कोई जीवंत भगवान हाज़िर है? वह कहाँ है? वह हमें कैसे मदद कर सकते है?
A. हाँ, वह है! लेकिन इससे पहले कि हम यह अद्भुत जीवंत भगवान के बारे में अधिक जानें, हम कुछ और स्पष्टता... Read More
Q. भगवान को प्रार्थना कैसे करें
A. प्रार्थना एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम भगवान से जुड़ते हैं और उनसे शक्ति प्राप्त कर सकते... Read More
Q. भगवान, मुझे आपकी जरूरत है आप कहाँ हो? भगवान कृपया मेरी मदद कीजिये!
A. बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि भगवान दयालु है, वह क्षमाशील है और वह हमसे बेहद प्यार करते है;... Read More
Q. इश्वर के प्रेम को कैसे प्राप्त करें?
A. भगवान का प्रेम शुद्ध प्रेम है। यह दिव्य प्रेम है और इसीलिए भगवान के प्रेम का प्रताप बहुत अलग... Read More
Q. भगवान पर ध्यान कैसे केन्द्रित करे?
A. बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि हमें भगवान की पूजा करनी चाहिए। और हम विभिन्न माध्यमों जैसे जप,... Read More
Q. मूर्तिपूजा का महत्व क्या है?
A. मूर्तिपूजा हमारे जीवन में बहुत महत्त्व का आधार है! मूर्तिपूजा के पीछे कई कारण और जबरदस्त फायदे हैं।... Read More
A. ईश्वर वह आत्मा है जो आपके भीतर, हमारे भीतर, हर जीव के भीतर रहते है। देह बाहरी पैकिंग है और जो भीतर... Read More
Q. वास्तव में भगवान का अनुभव करने की कुंजी क्या है?
A. क्या आप जानते हैं कि भगवान का अनुभव करने का अर्थ है स्वयं का अनुभव करना, क्योंकि भगवान वही हैं जो... Read More
A. अगर हमें यह पता हो कि भगवान कैसे होते हैं, तब हम यह जान पाएंगें कि हम भगवान जैसे कैसे बन सकते... Read More
Q. अंबा माता और दुर्गा माता कौन हैं?
A. देवी अंबिका, जिन्हें दुर्गा माँ और अम्बे माँ के नाम से भी जाना जाता है, देवी में से एक हैं, जिन्हें... Read More
Q. देवी सरस्वती क्या दर्शाती हैं?
A. माँ सरस्वती ज्ञान कि देवी है! सरस्वती का अर्थ है 'वह जो आत्म-ज्ञान के सार की ओर ले जाती है'। यह... Read More
Q. लक्ष्मीजी कहाँ रहती हैं? उनके क्या कायदे हैं?
A. लक्ष्मीजी देवी हैं, धन की देवी। धन और दौलत की भूख आज पूरी दुनिया को चला रही है। लेकिन पैसे कमाने... Read More
subscribe your email for our latest news and events