किस धर्म की शरण में जाएँ?
प्रश्नकर्ता: सभी धर्म कहते हैं कि, ‘मेरी शरण में आओ’, तो जीव किसकी शरण में जाए?
दादाश्री: सभी धर्मों का तत्व क्या है? तब कहते हैं कि, ‘स्वयं ही शुद्धात्मा है’, यह जानना। शुद्धात्मा ही कृष्ण है, शुद्धात्मा ही महावीर है, शुद्धात्मा ही भगवान है। ‘सभी धर्मों को छोड़ दो और मेरी शरण में आओ’ ऐसा कहते हैं। अर्थात यह कहना चाहते हैं कि, ‘तू यह देह-धर्म को छोड़ दे, मनोधर्म को छोड़ दे, इन्द्रिय-धर्म सब छोड़ दे और स्वयं के स्वाभाविक धर्म में आ जा, आत्म्धर्म में आ जा’। और लोगों ने इसे गलत तरह से समझा। ‘मेरी शरण’ मतलब कि कृष्ण भगवान की शरण, ऐसा समझा। और कृष्ण किसे समझते हैं? मुरलीवाले को। अब यदि कोई शरीर पर लगाने वाली दवा को पी जाए, तो उसमे डॉक्टर का क्या दोष? ऐसे ही पी गए हैं और इसलिए भटक रहे हैं।
Reference: दादावाणी दिसंबर 2002 (Page #26 - Paragraph #5 to #7)
योगेश्वर श्री कृष्ण
प्रश्नकर्ता: स्वधर्म यानी क्या है? अपने वैष्णवों में कहते हैं न कि स्वधर्म में रहो और परधर्म में मत जाना!
दादाश्री: अपने लोग स्वधर्म शब्द को समझे ही नहीं! वैष्णव धर्म वह स्वधर्म है और शैव या जैन या अन्य कोई धर्म, वे परधर्म हैं, ऐसा समझ बैठे हैं। कृष्ण भगवान ने कहा है कि, ‘परधर्म भयावह,’ इससे लोग ऐसा समझे कि वैष्णव धर्म के अलावा अन्य किसी भी धर्म का पालन करेंगे तो भय है। इस तरह हर एक धर्मवाले ऐसा ही कहते हैं कि परधर्म यानी कि दूसरे धर्म में भय है, लेकिन कोई स्वधर्म या परधर्म को समझा ही नहीं। परधर्म मतलब देह का धर्म और स्वधर्म मतलब आत्मा का स्वयं का धर्म। इस देह को नहलाते हो, धुलाते हो, एकादशी करवाते हो, वे सभी देहधर्म हैं, परधर्म हैं, इसमें आत्मा का एक भी धर्म नहीं है, स्वधर्म नहीं है। यह आत्मा ही अपना स्वरूप है। कृष्ण भगवान ने कहा है कि, ‘स्वरूप के धर्म का पालन करना, वह स्वधर्म है। और ये एकादशी करते हैं या अन्य कुछ करते हैं, वह तो पराया धर्म है, उसमें स्वरूप नहीं है।’
‘खुद का आत्मा ही कृष्ण है’ ऐसा समझ में आए, उसकी पहचान हो जाए, तभी स्वधर्म का पालन किया जा सकता है। जिसे अंदरवाले कृष्ण की पहचान हो गई, वही सच्चा वैष्णव कहलाता है। आज तो कोई भी सच्चा वैष्णव नहीं बन पाया है! ‘वैष्णव जन तो तेने रे कहीए...’ उस परिभाषा के अनुसार भी, एक भी वैष्णव नहीं हुआ है!
Reference: Book Name: आप्तवाणी 2 (Page #372 - Paragraph #1 to #3)
‘वस्तु स्व-गुणधर्म में परिणामित हो, वह धर्म है।’ -दादाश्री
साइन्टिफिक तरीके से यदि समझें तो जैसे सोना सोने के गुणधर्म में हो, तभी वह सोना कहलाता है, पीतल को बफिंग करके रखें तो वह कभी भी सोना नहीं बन सकता। वैसे ही वस्तु जब खुद के स्व-गुणधर्म में, स्व-स्वभाव में परिणामित होती है, तब वह वस्तु उसके गुणधर्म में है, वस्तु खुद के धर्म में है, ऐसा कहा जा सकता है और वस्तु उसके गुणधर्म से कभी भी भिन्न नहीं हो सकती। आत्मा जब खुद के गुणधर्म में ही रहे, खुद के स्वभाव में आकर स्व-स्वभाव में ही स्थित हो जाए, तब आत्मा आत्मधर्म में है, ऐसा कहा जा सकता है। इसे ही सर्वज्ञ भगवान ने स्वधर्म, आत्मधर्म, रियल धर्म कहा है।
Reference: Book Excerpt: आप्तवाणी 2 (Page #11 - Paragraph #2 & #3)
Q. श्रीमद् भगवद् गीता का रहस्य क्या है? भगवद् गीता का सार क्या है?
A. गीता का रहस्य,यहाँ दो ही शब्दों में प्रश्नकर्ता: कृष्ण भगवान ने अर्जुन को किसलिए महाभारत का युद्ध... Read More
Q. विराट कृष्ण दर्शन या विश्वदर्शन के समय अर्जुन ने क्या अनुभव किया था? और ये विराट स्वरुप क्या है?
A. अर्जुन को विराट दर्शन प्रश्नकर्ता: कृष्ण भगवान ने अर्जुन को विश्वदर्शन करवाया था, वह क्या... Read More
Q. भगवद् गीता में श्री कृष्ण भगवान ने ‘निष्काम कर्म’ का अर्थ क्या समझाया है?
A. यथार्थ निष्काम कर्म प्रश्नकर्ता: निष्काम कर्म में किस तरह कर्म बँधते हैं? दादाश्री: ‘मैं... Read More
Q. ब्रह्म संबंध और अग्यारस का वास्तविक अर्थ क्या है? सच्ची भक्ति की परिभाषा क्या है?
A. ब्रह्मनिष्ठ तो ज्ञानी ही बनाते हैं ‘खुद’ परमात्मा है, लेकिन जब तक वह पद प्राप्त नहीं हो जाता, तब... Read More
Q. भगवद् गीता के अनुसार स्थितप्रज्ञा यानि क्या?
A. स्थितप्रज्ञ या स्थितअज्ञ? एक महापंडित हमारी परीक्षा लेने के लिए पूछने आए थे, ‘स्थितप्रज्ञ दशा क्या... Read More
A. पुरुष और प्रकृति सारा संसार प्रकृति को समझने में फँसा है। पुरुष और प्रकृति को तो अनादि से खोजते आए... Read More
A. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय... प्रश्नकर्ता: फिर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ समझाइए। दादाश्री: वासुदेव... Read More
Q. गोवर्धन पर्वत को छोटी ऊँगली पर उठाना – सत्य है या लोक कथा?
A. कृष्ण का गोवधर्न - गायों का वर्धन कृष्ण भगवान के काल में हिंसा बहुत बढ़ गई थी। तब कृष्ण भगवान ने... Read More
Q. ठाकोरजी की पूजा-भक्ति किस तरह करनी चाहिए?
A. ठाकुर जी की पूजा दादाश्री: पूजा करते समय तो कंटाला नहीं आता न? प्रश्नकर्ता: नहीं। दादाश्री: पूजा... Read More
Q. पुष्टिमार्ग का उद्देश्य क्या है? श्री कृष्ण भगवान को नैष्ठिक ब्रह्मचारी क्यों कहा गया है?
A. पुष्टिमार्ग क्या है? वल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग निकाला। पाँच सौ सालों पहले जब मुसलमानों का बहुत... Read More
Q. कृष्ण भगवान का सच्चा भक्त कौन है? वास्तविक कृष्ण या योगेश्वर कृष्ण कौन हैं?
A. कृष्ण का साक्षात्कार प्रश्नकर्ता: मीरा को, नरसिंह को, कृष्ण का साक्षात्कार किस तरह हुआ... Read More
Q. भगवद् गीता के अनुसार, जगत कौन चलाता है?
A. प्रकृति पर ईश्वर की भी सत्ता नहीं ! प्रश्नकर्ता: गीता का पहला वाक्य कहता है कि, ‘प्रकृति प्रसवे... Read More
A. अंतिम विज्ञान, प्रश्नोत्तरी के रूप में सारी गीता प्रश्नोत्तरी के रूप में है। अर्जुन प्रश्न करता है... Read More
Q. भगवान श्री कृष्ण की सत्य और लोक कथाएँ
A. भगवान रासलीला खेले ही नहीं। आपको किसने कहा कि भगवान रासलीला खेले थे? वे तो सारी बाते हैं। कृष्ण तो... Read More
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