
सीमंधर स्वामी ब्रह्मांड में हैं। वह आज अरिहंत है, इसलिए उन्हें नमस्कार करो। वे अभी भी मौजूद है। अरिहंत के रूप में होने चाहिए, तब हमें फल मिलता है। इसीलिए अगर हम, यह समझके, कि सारे ब्रम्हाण्ड में अरिहंत जहां भी है, उन्हें हम नमस्कार करते है, तो बहुत सुन्दर फल मिलता है।
आइए, हम परम पूज्य दादाश्री के साथ हुए संवाद के माध्यम से, अरिहंत भगवान के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं...
प्रश्नकर्ता: क्या अरिहंत देहधारी होते है?
दादाश्री: हाँ, देहधारी ही होते है। अगर देहधारी नहीं है, तो उन्हें अरिहंत नहीं कहा जा सकता। उनका एक शरीर (देहधारी) और एक नाम (नामधारी) है।
यह ‘नमो अरिहंताणं’ जो हम बोलते हैं वह किसे पहुँचता है? अन्य क्षेत्रों में जहाँ-जहाँ अरिहंत हैं उन्हें पहुँचता है। महावीर भगवान को नहीं पहुँचता। डाक तो हमेशा उसके पते पर ही पहुँचेगी। जबकि लोग क्या समझते हैं कि यह ‘नमो अरिहंताणं’ बोलकर हम महावीर भगवान को नमस्कार पहुँचाते हैं। वे चौबीस तीर्थंकर तो मोक्ष में जाकर बैठे हैं, वे तो ‘नमो सिद्धाणं’ हो चुके हैं। वे भूतकालीन तीर्थंकर कहलाते हैं। यानी कि आज सिद्ध भगवान कहलाते हैं और जो वर्तमान तीर्थंकर हैं, उन्हें अरिहंत कहा जाता हैं।
Book Name: त्रिमंत्र (Page #6 and Page #8)
A. नमो अरिहंताणम मैं उस प्रभु को नमन करता हूं, जिसने सभी दुश्मनों का नाश कर दिया है,... Read More
Q. त्रिमंत्र का अर्थ क्या है और त्रिमंत्र की आराधना के क्या फायदा है?
A. त्रिमंत्र में जैनों का, वासुदेव का, और शिव का, ये तीनों मंत्र जोड़ दिए हैं। त्रिमंत्र एक... Read More
Q. अरिहंत भगवान और सिद्ध भगवान में क्या अंतर है?
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Q. "आचार्य" में कौन-कौन से गुण होते हैं?
A. प्रश्नकर्ता : 'नमो आयरियाणं'। दादाश्री : अरिहंत भगवान के बताए हुए आचार का जो पालन करते हैं और उन... Read More
Q. "उपाध्याय" में कौन-कौन से गुण होते हैं?
A. प्रश्नकर्ता : 'नमो उवज्झायाणं' विस्तार से समझाइए। दादाश्री : उपाध्याय भगवान। उसका अर्थ क्या होता... Read More
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A. प्रश्नकर्ता: ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ समझाइए। दादाश्री: वासुदेव भगवान! अर्थात् जो वासुदेव भगवान... Read More
Q. हमें कैसे पता चलेगा कि किसी को आत्मा की तीव्र इच्छा है?
A. प्रश्नकर्ता: लोए यानी क्या? दादाश्री: नमो लोए सव्वसाहूणं। लोए यानी लोक। इस लोक के अलावा दूसरा,... Read More
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Q. "जय सच्चिदानंद" का अर्थ क्या है?
A. यह त्रिमंत्र है उसमें पहले जैनों का मंत्र है, बाद में वासुदेव का और शिव का मंत्र है। और यानी... Read More
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