दुःख सब नासमझी का ही है इस जगत् में। दूसरा कोई भी दुःख है, वह सब नासमझी का ही है। खुद ने खड़ा किया हुआ है सब, नहीं दिखने के कारण! जले तब कहें न, कि भाई! कैसे आप जल गए? तब कहता है, 'भूल से जल गया, कोई जान-बूझकर जलूँगा?' ऐसे ये सारे दुःख भूल से हैं। सब दुःख अपनी भूल का परिणाम है। भूल चली जाएगी तो हो गया।
प्रश्नकर्ता : कर्म चिकने होते हैं, उसके कारण हमें दुःख भुगतना पड़ता है?
दादाश्री : अपने ही कर्म किए हुए हैं, अपनी ही भूल है। किसी अन्य का दोष इस जगत् में है ही नहीं। दूसरे तो निमित्त मात्र हैं। दुःख आपका है और सामनेवाले निमित्त के हाथों दिया जाता है। ससुर की मृत्यु का पत्र पोस्टमेन दे जाए, उसमें पोस्टमेन का क्या दोष?
Book Name: निजदोष दर्शन से... निर्दोष! (Page #4 Paragragh #3, #4, #5)
Q. क्या इस संसार में होनेवाली हरएक चीज़ के लिए भगवान ज़िम्मेदार हैं?
A. लोग मानते हैं कि भगवान ऊपरी हैं, इसलिए उनकी भक्ति करेंगे तो छूट जाएँगे। पर नहीं, कोई बाप भी ऊपरी... Read More
Q. मुझे दूसरों के दोष क्यों दिखते हैं?
A. प्रश्नकर्ता : मुझे सामनेवाले मनुष्य के गुण के बजाय दोष अधिक दिखते हैं, उसका क्या कारण है? दादाश्री... Read More
Q. मैं अपनी बुद्धि पर कैसे काबू रखूँ, क्योंकि यह मुझे दूसरों के दोष दिखाती रहती है?
A. प्रश्नकर्ता : मतलब दूसरों का दोष नहीं, हमारा ही दोष है? दादाश्री : हाँ, ऐसा है न, बुद्धि को एक जगह... Read More
A. आपके दोष भी हमें दिखते हैं, पर हमारी दृष्टि शुद्धात्मा की तरफ होती है, उदयकर्म की तरफ दृष्टि नहीं... Read More
A. कोई व्यक्ति अगर खुद की एक भूल भी खत्म करे, तो वो भगवान कहा जाएगा। ऐसे बहुत लोग हैं, जो आपकी गलतियाँ... Read More
A. 'स्वरूपज्ञान' बिना तो भूल दिखती नहीं है। क्योंकि 'मैं ही चंदूभाई हूँ और मुझ में कोई दोष नहीं है,... Read More
Q. आत्मज्ञान प्राप्ति के लक्षण क्या है?
A. यह ज्ञान लेने के बाद बाहर का तो आप देखोगे वह अलग बात है, पर आपके ही अंदर का आप सब देखा करोगे, उस... Read More
Q. आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद में दोषों को खत्म कैसे करें?
A. मन-वचन-काया से प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में क्षमा माँगते रहना। हर कदम पर जागृति रहनी चाहिए।... Read More
A. इस जगत् में कोई भी मनुष्य आपका कुछ भी नुकसान करता है, उसमें वह निमित्त है। नुकसान आपका है, इसलिए... Read More
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