अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
यह ज्ञान लेने के बाद बाहर का तो आप देखोगे वह अलग बात है, पर आपके ही अंदर का आप सब देखा करोगे, उस समय आप केवलज्ञान सत्ता में होओगे। पर अंश केवलज्ञान होता है, सर्वांश नहीं। अंदर खराब विचार आएँ, उन्हें देखना, अच्छे विचार आएँ उन्हें देखना। अच्छे पर राग नहीं और खराब पर द्वेष नहीं। अच्छा-बुरा देखने की हमें ज़रूरत नहीं है। क्योंकि सत्ता ही मूल अपने काबू में नहीं है। इसलिए ज्ञानी क्या देखते हैं? सारे जगत् को निर्दोष देखते हैं। क्योंकि यह सब 'डिस्चार्ज' में है, उसमें उस बेचारे का क्या दोष? आपको कोई गाली दे, वह 'डिस्चार्ज'। 'बॉस' आपको उलझन में डाले वह भी 'डिस्चार्ज' ही है। बॉस तो निमित्त है। किसीका जगत् में दोष नहीं है। जो दोष दिखते हैं, वह खुद की ही भूल है और वही 'ब्लंडर्स' हैं और उससे ही यह जगत् खड़ा है। दोष देखने से, उल्टा देखने से ही बैर बंधता है।
Q. क्या इस संसार में होनेवाली हरएक चीज़ के लिए भगवान ज़िम्मेदार हैं?
A. लोग मानते हैं कि भगवान ऊपरी हैं, इसलिए उनकी भक्ति करेंगे तो छूट जाएँगे। पर नहीं, कोई बाप भी ऊपरी नहीं है। तू ही तेरा ऊपरी, तेरा रक्षक भी तू और तेरा भक्षक...Read More
Q. संसार में इतना दुःख और पीड़ा क्यों है?
A. दुःख सब नासमझी का ही है इस जगत् में। दूसरा कोई भी दुःख है, वह सब नासमझी का ही है। खुद ने खड़ा किया हुआ है सब, नहीं दिखने के कारण! जले तब कहें न, कि भाई!...Read More
Q. मुझे दूसरों के दोष क्यों दिखते हैं?
A. प्रश्नकर्ता : मुझे सामनेवाले मनुष्य के गुण के बजाय दोष अधिक दिखते हैं, उसका क्या कारण है? दादाश्री : सारे जगत् के लोगों को अभी ऐसा हो गया है। दृष्टि ही...Read More
Q. मैं अपनी बुद्धि पर कैसे काबू रखूँ, क्योंकि यह मुझे दूसरों के दोष दिखाती रहती है?
A. प्रश्नकर्ता : मतलब दूसरों का दोष नहीं, हमारा ही दोष है? दादाश्री : हाँ, ऐसा है न, बुद्धि को एक जगह स्थिर किए बिना काम नहीं होगा। इसलिए यदि उसका दोष देखोगे...Read More
A. आपके दोष भी हमें दिखते हैं, पर हमारी दृष्टि शुद्धात्मा की तरफ होती है, उदयकर्म की तरफ दृष्टि नहीं होती। हमें सबके दोषों का पता चल जाता है, पर उसका हम पर...Read More
A. कोई व्यक्ति अगर खुद की एक भूल भी खत्म करे, तो वो भगवान कहा जाएगा। ऐसे बहुत लोग हैं, जो आपकी गलतियाँ निकालेंगे। लेकिन कोई भी उन को खत्म नहीं कर सकता। गलती...Read More
A. 'स्वरूपज्ञान' बिना तो भूल दिखती नहीं है। क्योंकि 'मैं ही चंदूभाई हूँ और मुझ में कोई दोष नहीं है, मैं तो सयाना-समझदार हूँ,' ऐसा रहता है और 'स्वरूपज्ञान' की...Read More
Q. आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद में दोषों को खत्म कैसे करें?
A. मन-वचन-काया से प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में क्षमा माँगते रहना। हर कदम पर जागृति रहनी चाहिए। अपने में क्रोध-मान-माया-लोभ के कषाय तो भूलें करवाकर उधारी...Read More
A. इस जगत् में कोई भी मनुष्य आपका कुछ भी नुकसान करता है, उसमें वह निमित्त है। नुकसान आपका है, इसलिए 'रिस्पोन्सिबल' (जिम्मेवार) आप हो। कोई मनुष्य किसीका कुछ कर...Read More
subscribe your email for our latest news and events