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आत्मज्ञान प्राप्ति के लक्षण क्या है?

यह ज्ञान लेने के बाद बाहर का तो आप देखोगे वह अलग बात है, पर आपके ही अंदर का आप सब देखा करोगे, उस समय आप केवलज्ञान सत्ता में होओगे। पर अंश केवलज्ञान होता है, सर्वांश नहीं। अंदर खराब विचार आएँ, उन्हें देखना, अच्छे विचार आएँ उन्हें देखना। अच्छे पर राग नहीं और खराब पर द्वेष नहीं। अच्छा-बुरा देखने की हमें ज़रूरत नहीं है। क्योंकि सत्ता ही मूल अपने काबू में नहीं है। इसलिए ज्ञानी क्या देखते हैं? सारे जगत् को निर्दोष देखते हैं। क्योंकि यह सब 'डिस्चार्ज' में है, उसमें उस बेचारे का क्या दोष? आपको कोई गाली दे, वह 'डिस्चार्ज'। 'बॉस' आपको उलझन में डाले वह भी 'डिस्चार्ज' ही है। बॉस तो निमित्त है। किसीका जगत् में दोष नहीं है। जो दोष दिखते हैं, वह खुद की ही भूल है और वही 'ब्लंडर्स' हैं और उससे ही यह जगत् खड़ा है। दोष देखने से, उल्टा देखने से ही बैर बंधता है।

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