अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें05 जून |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
लोग मानते हैं कि भगवान ऊपरी हैं, इसलिए उनकी भक्ति करेंगे तो छूट जाएँगे। पर नहीं, कोई बाप भी ऊपरी नहीं है। तू ही तेरा ऊपरी, तेरा रक्षक भी तू और तेरा भक्षक भी तू ही। यू आर होल एन्ड सोल रिस्पोन्सिबल फॉर योर सेल्फ (आप ही अपने खुद के लिए संपूर्ण जिम्मेदार हो।) खुद ही खुद का ऊपरी है। इसमें दूसरा कोई बाप भी हस्तक्षेप नहीं करता है। हमारा बॉस है, वह भी हमारी भूल से है और अन्डरहैन्ड (मातहत) है, वह भी हमारी भूल से ही है। इसलिए भूल तो मिटानी ही पड़ेगी न!
खुद की संपूर्ण स्वतंत्रता-आज़ादी चाहिए तो खुद की सभी भूलें मिट जाएँ तब मिलेगी। भूल तो कब पता चलती है कि 'खुद कौन है?' उसका भान हो, परमात्मा का साक्षात्कार हो, तब!
इस ब्रह्मांड का हर एक जीव ब्रह्मांड का मालिक है। केवल खुद का भान नहीं है इसलिए ही जीव की तरह रहता है। खुद के देह की मालिकी का जिसे दावा नहीं है, वह पूरे ब्रह्मांड का मालिक हो गया! यह जगत् अपनी मालिकी का है, ऐसा समझ में आए, वही मोक्ष! अभी ऐसा क्यों समझ में नहीं आया है? क्योंकि हमारी ही भूलों ने बाँधा है, इसलिए। सारा जगत् अपनी ही मालिकी का है।
हमारा ऊपरी कोई बाप भी नहीं है। यह ऊपर बॉस है या बाप ऊपर बैठा है, ऐसा नहीं है। जो हो, वह आप ही हो, और आपको दंड देनेवाला भी कोई नहीं है और आपको जन्म देनेवाला भी कोई नहीं है। आप खुद जन्म लेते हो और देह धारण करते हो और फिर वापस जाते हो और आते हो। जाते हो और आते हो। आपकी मज़र्ी मुताबिक के सौदे हैं। हिन्दुस्तान में आने तक तो मानो कि कुदरती, साहजिक रूप से है, पर हिन्दुस्तान में आने के बाद थोड़ा-बहुत समझ में आता है कि हमारी कुछ भूल हो रही है।
समझदार आदमी यदि इतना ही समझे कि क्या मुझे कोई भी मनुष्य परेशान कर सके ऐसा नहीं है? तो हम कहें कि नहीं है, नहीं है, नहीं है!!! और कहे कि, मेरा कोई ऊपरी नहीं है क्या? तब कहें, नहीं है, नहीं है, नहीं है!!! तेरे ऊपरी तेरे ब्लंडर्स और मिस्टेक्स हैं। ब्लंडर्स कैसे तोड़ने? तो हम कहेंगे कि, यहाँ पर आ जाना भाई, और मिस्टेक्स कैसे मिटानी? वह हमें आपको समझाना पड़ेगा। फिर तुझे मिटानी हैं। हम रास्ता दिखाएँगे। मिस्टेक्स तुझे मिटानी हैं और ब्लंडर्स हमें तोड़ देने हैं।
Book Name: निजदोष दर्शन से... निर्दोष! (Page #3 Paragragh #4, #5, #6 & Page #4 Paragragh #1, #2)
Q. संसार में इतना दुःख और पीड़ा क्यों है?
A. दुःख सब नासमझी का ही है इस जगत् में। दूसरा कोई भी दुःख है, वह सब नासमझी का ही है। खुद ने खड़ा किया हुआ है सब, नहीं दिखने के कारण! जले तब कहें न, कि भाई!...Read More
Q. मुझे दूसरों के दोष क्यों दिखते हैं?
A. प्रश्नकर्ता : मुझे सामनेवाले मनुष्य के गुण के बजाय दोष अधिक दिखते हैं, उसका क्या कारण है? दादाश्री : सारे जगत् के लोगों को अभी ऐसा हो गया है। दृष्टि ही...Read More
Q. मैं अपनी बुद्धि पर कैसे काबू रखूँ, क्योंकि यह मुझे दूसरों के दोष दिखाती रहती है?
A. प्रश्नकर्ता : मतलब दूसरों का दोष नहीं, हमारा ही दोष है? दादाश्री : हाँ, ऐसा है न, बुद्धि को एक जगह स्थिर किए बिना काम नहीं होगा। इसलिए यदि उसका दोष देखोगे...Read More
A. आपके दोष भी हमें दिखते हैं, पर हमारी दृष्टि शुद्धात्मा की तरफ होती है, उदयकर्म की तरफ दृष्टि नहीं होती। हमें सबके दोषों का पता चल जाता है, पर उसका हम पर...Read More
A. कोई व्यक्ति अगर खुद की एक भूल भी खत्म करे, तो वो भगवान कहा जाएगा। ऐसे बहुत लोग हैं, जो आपकी गलतियाँ निकालेंगे। लेकिन कोई भी उन को खत्म नहीं कर सकता। गलती...Read More
A. 'स्वरूपज्ञान' बिना तो भूल दिखती नहीं है। क्योंकि 'मैं ही चंदूभाई हूँ और मुझ में कोई दोष नहीं है, मैं तो सयाना-समझदार हूँ,' ऐसा रहता है और 'स्वरूपज्ञान' की...Read More
Q. आत्मज्ञान प्राप्ति के लक्षण क्या है?
A. यह ज्ञान लेने के बाद बाहर का तो आप देखोगे वह अलग बात है, पर आपके ही अंदर का आप सब देखा करोगे, उस समय आप केवलज्ञान सत्ता में होओगे। पर अंश केवलज्ञान होता...Read More
Q. आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद में दोषों को खत्म कैसे करें?
A. मन-वचन-काया से प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में क्षमा माँगते रहना। हर कदम पर जागृति रहनी चाहिए। अपने में क्रोध-मान-माया-लोभ के कषाय तो भूलें करवाकर उधारी...Read More
A. इस जगत् में कोई भी मनुष्य आपका कुछ भी नुकसान करता है, उसमें वह निमित्त है। नुकसान आपका है, इसलिए 'रिस्पोन्सिबल' (जिम्मेवार) आप हो। कोई मनुष्य किसीका कुछ कर...Read More
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