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आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद में दोषों को खत्म कैसे करें?

मन-वचन-काया से प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में क्षमा माँगते रहना। हर कदम पर जागृति रहनी चाहिए। अपने में क्रोध-मान-माया-लोभ के कषाय तो भूलें करवाकर उधारी करवाएँ, ऐसा माल है। वे भूलें करवाते ही हैं और उधारी खड़ी करते हैं, पर उसके सामने हमें तुरन्त ही, तत्क्षण मा़फी माँगकर जमा करके चोखा कर लेना चाहिए। यह व्यापार पैन्डिग नहीं रखना चाहिए। यह तो दरअसल ऩकद व्यापार कहलाता है।

प्रश्नकर्ता : अभी जो भूलें होती हैं, वे पिछले जन्म की हैं न?

दादाश्री : पिछले जन्म के पापों को लेकर ही ये भूलें हैं। पर इस जन्म में फिर भूलें मिटती ही नहीं हैं और बढ़ाते जाते हैं। भूल को मिटाने के लिए भूल को भूल कहना पड़ता है। उसका पक्ष नहीं लेना चाहिए। यह ज्ञानी पुरुष की चाबी कहलाती है। इससे चाहे जैसा ताला खुल जाता है।

ज्ञानी पुरुष आपकी भूल के लिए क्या कर सकते हैं? वे तो मात्र आपकी भूल बताते हैं, प्रकाश डालते हैं, रास्ता दिखाते हैं कि भूलों का पक्ष मत लेना। पर यदि भूलों का पक्ष लें कि, 'हमें तो इस दुनिया में रहना है, तो ऐसा कैसे कर सकते हैं?' अरे! यह तो भूल को पोषण देकर उसका पक्ष मत लेना। एक तो मुआ, भूल करता है और ऊपर से कल्पांत करता है, तोकल्प(कालचक्र) के अंत तक रहना पड़ेगा!

भूल को पहचानने लगा, तो भूल मिटती है। कुछ लोग कपड़े खींच- खींचकर नापते हैं और ऊपर से कहते हैं कि आज तो पाव गज कपड़ा कम दिया। यह तो इतना बड़ा रौद्रध्यान और फिर उसका पक्ष? भूल का पक्ष नहीं लेना होता है। घीवाला घी में किसीको पता नहीं चले ऐसे मिलावट करके पाँच सौ रुपये कमाता है। वह तो मूल के साथ वृक्ष बो देता है। अनंत जन्म खुद ही खुद के बिगाड़ देता है।

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