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ज्ञानी की तत्व दृष्टि।

कोई व्यक्ति अगर खुद की एक भूल भी खत्म करे, तो वो भगवान कहा जाएगा। ऐसे बहुत लोग हैं, जो आपकी गलतियाँ निकालेंगे। लेकिन कोई भी उन को खत्म नहीं कर सकता। गलती निकालना आना चाहिए, अगर आपको यह पता नहीं है कि किसी को उसकी गलतियाँ कैसे दिखाएँ तो वह आपकी ही गलती है। किसी व्यक्ति को उसकी भूल दिखाना एक बहुत बड़ा काम है। जो किसी व्यक्ति को उसकी गलतियाँ दिखाने के बाद उसे यह बताए कि उन गलतियों को कैसे खत्म किया जा सकता है, वही भगवान है। सिर्फ ज्ञानीपुरुष ही यह काम कर सकते हैं।

हमें इस जगत् में कोई दोषित दिखता ही नहीं है। जेबकतरा हो या चारित्रहीन हो, उन्हें भी हम निर्दोष ही देखते हैं। हम 'सत् वस्तु' को ही देखते हैं। वह तात्विक दृष्टि है। पैकिंग को हम देखते नहीं हैं। वेरायटीज़ ऑफ पैकिंग हैं, उनमें हम तत्त्वदृष्टि से देखते हैं। 'हमने' संपूर्ण निर्दोष दृष्टि की और सारे जगत् को निर्दोष देखा। इसलिए ही 'ज्ञानी पुरुष' आपकी 'भूल' मिटा सकते हैं! औरों की बिसात नहीं।

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