अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
बोलिए पहाड़ी आवाज़ में
यह भीतर मन में ‘नमो अरिहंताणं’ और सबकुछ बोले मगर भीतर मन में और कुछ चलता हो, उलटा-पुलटा। इससे कोई परिणाम नहीं मिलता। इसलिए कहा था न कि एकांत में जाकर, ऊँची पहाड़ी आवाज़ में बोलिए। मैं तो ऊँची आवाज़ में नहीं बोलूँ तो चलेगा पर आपको ऊँची आवाज़ में बोलना चाहिए। हमारा तो मन ही अलग तरह का होता है न!
अब ऐसी एकांत जगह में जायें तो वहाँ पर यह त्रिमंत्र बोलना ऊँचे से। वहाँ नदी-नाले पर घूमने जायें तो वहाँ ऊँचे से बोलना, दिमाग में धम-धम हो ऐसे।
प्रश्नकर्ता: ऊँचे से बोलने पर जो विस्फोट होता है उसका असर सब जगह पहुँचता है। इसलिए यह ख्याल में आता है कि ऊँचे से बोलने का प्रयोजन क्या है!
दादाश्री: ऊँची आवाज़ में बोलने से फायदा बहुत ही है। क्योंकि जब तक ऊँची आवाज़ में नहीं बोलते, तब तक मनुष्य की सारी भीतरी मशीनरी (अंतःकरण) बंद नहीं होती। यह बात प्रत्येक मनुष्य के लिए है। हमारी तो भीतरी मशीनरी बंद ही होती है। पर ये दूसरे लोग ऊँची आवाज़ में नहीं बोलें न, तो उनकी भीतरी मशीनरी बंद नहीं होगी। वहाँ तक एकत्व प्राप्त नहीं होता। इसलिए हम कहते हैं कि ऊँची आवाज़ में बोलना। क्योंकि ऊँची आवाज़ में बोलने पर फिर मन बंद हो गया, बुद्धि खलास हो गई और यदि आहिस्ता बोले न, तो मन भीतर चुन चुन करता हो, ऐसा होता है कि नहीं होता है?
प्रश्नकर्ता: होता है।
दादाश्री: बुद्धि भी भीतर ऐसे द़खल देती रहती है, इसलिए हम कहते हैं कि ऊँची आवाज़ में बोलना चाहिए। और एकांत में जायें तब उतनी ऊँची आवाज़ में बोलना कि जैसे आकाश उड़ा देना हो, ऐसे बोलना। क्योंकि ऊँची आवाज़ में बोलने से भीतर सब (सारा अंतःकरण) बंद हो जाता है।
मंत्र से नहीं होता आत्मज्ञान
प्रश्नकर्ता: गुरु के दिए मंत्र-जाप करने से क्या आत्मज्ञान जल्दी होता है?
दादाश्री: नहीं। संसार में अड़चनें कम होंगी पर ये तीन मंत्र (त्रिमंत्र) साथ में बोलोगे तो।
प्रश्नकर्ता: तो ये मंत्र अज्ञानता दूर करने के लिए ही हैं न?
दादाश्री: नहीं, त्रिमंत्र तो आपकी संसार की अड़चनें दूर करने के लिए हैं। अज्ञानता दूर करने के लिए मैंने जो आत्मज्ञान आपको दिया है (ज्ञानविधि द्वारा) वह है।
त्रिमंत्र से, सूली का घाव सूई से सरे
ज्ञानी पुरुष बिना काम की मेहनत में नहीं उतारते। कम से कम मेहनत करवाते हैं। इसलिए आपको ये त्रिमंत्र सुबह-शाम पाँच-पाँच बार बोलने को कहा है।
ये मंत्र क्यों बोलने लायक है क्योंकि इस ज्ञान के बाद आप तो शुद्धात्मा हुए पर पड़ोसी कौन रहा? चंदुभाई* (पाठक चंदूभाई की जगह स्वयं को समझे)। अब चंदुभाई* को कोई अड़चन आये तब हम कहते हैं कि, ‘चंदुभाई*, एकाध बार यह त्रिमंत्र बोलिए न, कोई अड़चन आती हो तो इससे कम हो जाएगी।’ क्योंकि वे हरएक प्रकार के संसार व्यवहार में हैं। उनको लक्ष्मी, लेन-देन सबकुछ है। इसलिए त्रिमंत्र बोलने पर आनेवाली अड़चनें कम हो जाती हैं। फिर अड़चनें अपना नैमित्तिक प्रभाव दिखायेंगी मगर इतना बड़ा पत्थर लगनेवाला हो वह कंकड़ समान लगे। इसलिए यह त्रिमंत्र दिया है।
कोई विघ्न आनेवाला हो तो यह त्रिमंत्र आधा घण्टा, एक घण्टा बोलना। सारा गुणस्थान पूर्ण कर देना (एक गुणस्थान अड़तालीस मिनट का होता है)। वर्ना रोजाना यह पाँच बार बोलना। पर ये सभी मंत्र साथ बोलना और सच्चिदानंद भी बोलना। सच्चिदानंद में सभी लोगों का मंत्र आ जाता है।
त्रिमंत्र का रहस्य यह है कि आपकी सारी सांसारिक अड़चनों का नाश होगा। आप रोजाना सवेरे बोलेंगे तो संसार की सारी अड़चनों का नाश होगा। आपको बोलने के लिए पुस्तक चाहिए तो एक पुस्तक देता हूँ। उसमें यह त्रिमंत्र लिखा है। वह पुस्तक यहाँ से ले जाना।
प्रश्नकर्ता: इन त्रिमंत्रों से चक्र शीघ्रता से चलने लगेंगे?
दादाश्री: इन त्रिमंत्रो को बोलने से दूसरे नये पाप नहीं बँधते, इधर-उधर उलटे रास्ते पर भटक नहीं जाते और पुराने कर्म पूरे होते जाते हैं।
यह त्रिमंत्र तो ऐसा है न कि नासमझ बोले तो भी फायदा होगा और समझदार बोले तो भी फायदा होगा। पर समझदार को अधिक फायदा होगा और नासमझ को मुँह से बोला उतना ही फायदा होगा। एक केवल यह टेपरेकर्ड (मशीन) बोलता है न, उसे फायदा नहीं होगा। पर जिसमें आत्मा है, वह बोलेगा तो उसे फायदा होगा ही।
यह जगत शब्द से ही खड़ा हुआ है। अच्छे मनुष्य का शब्द बोलने पर आपका कल्याण हो जायेगा और बुरे मनुष्य का शब्द बोलने पर उलटा हो जायेगा। इसलिए ही यह सब समझना है।
*चन्दूलाल = जब भी दादाश्री 'चन्दूलाल' या फिर किसी व्यक्ति के नाम का प्रयोग करते हैं, तब वाचक, यथार्थ समझ के लिए, अपने नाम को वहाँ पर डाल दें।
1.मंत्र, वह विज्ञान है, गप्प नहीं है। उनमें भी ‘त्रिमंत्र,’ वह तो संसार विघ्नहर्ता है। त्रिमंत्र निष्पक्षपाती मंत्र है, सर्व धर्म समभाव सूचक है, सर्वधर्म के रक्षक देवी-देवता इससे राज़ी रहते हैं। मंत्र का असर कब होता है? ‘ज्ञानीपुरुष’ के हाथों यदि विधिपूर्वक दिया गया हो, तो वह गज़ब का असर करे, ऐसा है।
2. मंत्र, मन को आनंद देते हैं, मन को शक्ति देते हैं और मन को ‘तर’ करते हैं। जबकि भगवान के दिए गए मंत्र विघ्नों का नाश करते हैं। हमारा दिया हुआ ‘त्रिमंत्र’ सर्व विघ्नों का नाश करता है। इस ‘त्रिमंत्र’ की आराधना से तो भाले का घाव सूई जैसा लगता है। बाकी सभी मंत्र तो मन को तर करते हैं!
Book Name: त्रिमंत्र (Page #34 – Paragraph #6 & #7, Entire Page #35 & #36, Page #37- Paragraph #1 to #4)
Q. योग और ध्यान के कितने प्रकार होते हैं?
A. ज्ञानयोग : अज्ञानयोग प्रश्नकर्ता: योगसाधना करते हैं, उससे विकास होता है न? दादाश्री: पहले हमें तय करना चाहिए कि योगसाधना करके हमें क्या प्राप्त करना है?...Read More
Q. मैं ध्यान क्यों नहीं कर पाता और मैं एकाग्र कैसे रहूँ?
A. एक ध्यान में था या बेध्यान में था, उतना ही भगवान पूछते हैं। हाँ, वे बेध्यान में नहीं थे। किसी ने ‘नहीं हो रहा’ उसका ध्यान किया। किसी ने ‘हो रहा है’ उसका...Read More
Q. क्या ध्यान से मन पर नियंत्रण पाया जा सकता है?
A. मन पर काबू प्रश्नकर्ता: मन पर कंट्रोल कैसे किया जा सकता हैं? दादाश्री: मन पर तो कंट्रोल हो ही नहीं सकता। वह तो कम्पलीट फिज़िकल है, मशीनरी की तरह। वह तो...Read More
Q. ध्यान कैसे करें? सच्चे ध्यान (आध्यात्मिक ध्यान) के बारे में समझाइए।
A. जगत् के लोग ध्यान में बैठते हैं, लेकिन क्या ध्येय निश्चित किया? ध्येय की फोटो देखकर नहीं आया है, तो फिर किसका, भैंसे का ध्यान कर रहा है? बिना ध्येय का...Read More
Q. ॐ क्या है? ओमकार का ध्यान क्या है?
A. ॐ की यथार्थ समझ प्रश्नकर्ता: दादा, ॐ क्या है? दादाश्री: नवकार मंत्र बोलें, एकाग्र ध्यान से, वह ॐ और ‘मैं शुद्धात्मा हूँ’ उसके सहित नवकार बोले तो ‘ॐकार...Read More
Q. कुंडलिनी चक्र यानी क्या? और कुंडलीनी जागृत करते समय क्या होता है?
A. कुंडलिनी क्या है? प्रश्नकर्ता: ‘कुंडलिनी’ जगाते हैं, तब प्रकाश दिखता है। वह क्या है? दादाश्री: उस प्रकाश को देखनेवाला शुद्धात्मा है, जो उस प्रकाश के साथ...Read More
Q. क्या योग (ब्रह्मरंध्र) आयुष्य को बढ़ा सकता है?
A. योग से आयुष्य का एक्सटेन्शन? प्रश्नकर्ता: योग से मनुष्य हज़ारों-लाखों सालों तक जीवित रह सकता है क्या? दादाश्री: लाखों तो नहीं, लेकिन हज़ार-दो हज़ार सालों के...Read More
Q. क्या योग साधना (राजयोग) आत्म साक्षात्कार पाने में मदद करती है?
A. योगसाधना से परमात्मदर्शन प्रश्नकर्ता: योगसाधना से परमात्मदर्शन हो सकता है? दादाश्री: योगसाधना से क्या नहीं हो सकता? परन्तु किसका योग? प्रश्नकर्ता: ये...Read More
subscribe your email for our latest news and events