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बेरोजगारी और कर्ज की स्थिति में जब आत्महत्या करने का मन हो तब क्या करें?

जब हमारे पास नौकरी न हो, भारी कर्ज हो और सामने आई हुई मुश्किलों का कोई अंत न दिख रहा हो, तब ऐसी परिस्थितियाँ हमें बहुत सी परेशानियों में घेर देती हैं। यह समय इतना कठिन होता है कि, चिंता, तनाव और अनिश्चितता का डर हमें घेर लेता है। फिर परिस्थितियाँ भी ऐसी ही आ जाती हैं कि, हमें इन मुश्किलों से निकलने की कोई आशा ही दिखाई नहीं देती। ऐसी लाचारी के समय में, भारी कर्ज की स्थिति में, जब कोई दूसरा रास्ता दिखाई नहीं देता, तब आत्महत्या करके जीवन समाप्त कर लेना ही एकमात्र उपाय दिखता है। लेकिन यह सही रास्ता नहीं है!

ज़रा सोचिए कि, क्या आत्महत्या करने से हमारी वर्तमान मुश्किलों का अंत आ जाएगा? इसका सबसे छोटा जवाब है, ‘नहीं’। ऐसा करने से तो परिस्थिति और भी बिगड़ जाती है। इतना तो सोचिए कि, जो लोग हम पर निर्भर हैं, उनका क्या होगा? हमें ऐसा लगता है कि, आत्महत्या करने से सारी मुश्किलों का अंत आ जाएगा। पर ऐसा नहीं है, बल्कि ऐसे कार्य के परिणाम स्वरूप हमारे परिवारजनों की वास्तविक मुश्किलों की शुरुआत होती है, जिनका अंत भी निश्चित नहीं होता। इस विषय पर हमारे लिए कल्पना करना भी मुश्किल हो जाएगा कि, हमारे जाने के बाद उन लोगों की स्थिति कैसी होगी?

इसलिए, सामने आई हुई मुश्किलों का सामना करने में ही हमारा हित समाया हुआ है। एक साथ सभी समस्याओं का समाधान लाना संभव नहीं है। यदि हम सभी समस्याओं को एक साथ हल करने जाएँगे, तो उलझन में पड़ जाएँगे और फिर परिस्थिति पर नियंत्रण करना भी मुश्किल हो जाएगा। इसके बजाय, एक समय में एक समस्या को प्राथमिकता देकर उसका हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए।

यह ध्यान में रखें कि, चिंता करने से कभी भी कोई समाधान नहीं मिलता, बल्कि परिस्थितियाँ और अधिक खराब हो जाती हैं। वास्तव में, चिंता से ही अंतराय आते हैं।

नीचे बताए गए उपायों से हम कर्ज़ से जुड़ी समस्याओं का समाधान ला सकते हैं:

  • हम नई जॉब ढूँढने का प्रयत्न कर सकते हैं। जॉब ढूँढते समय मन को स्थिर रखकर पॉज़िटिव दृष्टिकोण अपना सकते हैं। हो सकता है कि, हमें जैसी जॉब चाहिए वैसी जॉब न भी मिले। लेकिन भलाई इसी में है कि, जब तक हम अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते, तब तक हमें विशेष प्रकार की जॉब की पसंद को छोड़कर जो अवसर मिले उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।
  • हम जॉब ढूँढ रहे हैं, इस बारे में अपने आसपास के लोगों को भी अवगत करा सकते हैं। हम जितना लोगों से संपर्क बढ़ाएँगे, उतनी ही हमारे जॉब मिलने की संभावनाएं बढ़ेंगी। इस विषय में कभी भी मौन रहकर दुःख में नहीं रहना चाहिए। जैसे-जैसे हम जॉब ढूँढने के लिए लोगों के संपर्क में आएँगे, वैसे-वैसे हमें यह समझ में आएगा कि सामने वाले लोग भी इस विषय में हमारी मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं।
  • हम फाइनेंसियली और इमोशनली अपने परिवार और मित्रों से भी मदद माँग सकते हैं।
  • जॉब के अनुरूप अभ्यास करके इंटरव्यू की तैयारी कर सकते हैं।
  • जब तक नई जॉब नहीं मिलती, तब तक अपने मन को किसी उपयुक्त काम में लगाकर व्यस्त रखें, नहीं तो हमारी चिंताएँ ही हमें घेर लेंगी। इस तरह मन को डायवर्ट करने से, तमाम मुश्किलों के बीच भी हमें अंतर शांति रहेगी।
  • हमें पॉज़िटिव रहना चाहिए। पॉज़िटिव रहने से आगे परिणाम भी पॉज़िटिव ही आते हैं।
  • याद रखना कि, समय के अनुसार संयोग भी बदलते हैं, इसलिए हमें धैर्य रखना चाहिए।

पेंडिंग बिल या कर्ज चुकाते समय नीचे दी गई समझ अपनाई जा सकती है:

  • बिलों के पेमेंट को प्राथमिकता दें। जितने बिल भरने हों, उनकी एक लिस्ट बनाकर, उसमें से जिन बिलों का पेमेंट पहले करना हो, उन्हें पहले प्राथमिकता दे सकते हैं।
  • अपने अतिरिक्त खर्चों में कटौती करके इस विषय में गंभीरता से सोच सकते हैं कि, हमारे जीवन निर्वाह के लिए कितनी वस्तुएँ आवश्यक हैं।
  • जहाँ तक संभव हो सके, उतना बिना ब्रांड वाली वस्तुएँ खरीदकर खर्चों में कमी लाई जा सकती है।
  • ऐसा समय भी आ सकता है कि, हमें अपनी बचत में से खर्च करने की ज़रूरत पड़े।
  • हम अपने रिश्तेदारों से लोन माँगकर मदद करने के लिए पूछ सकते हैं और जब हमारी आर्थिक स्थिति सुधर जाए, तब उस लोन की रकम को तुरंत ही चुका देंगे, ऐसा प्रॉमिस भी कर सकते हैं।

इन सभी से समझना है कि, आत्महत्या करने का प्रयत्न करना और ‘मुझे मरना है’, ऐसा सोचना इससे मुश्किलों का अंत नहीं आने वाला है। वे सिर्फ़ मामलों को अधिक बिगाड़ेंगे। ऐसे चुनौतीपूर्ण संयोग हमें मज़बूत बनाने के लिए ही आते हैं। इसलिए, हमें दृढ़ निश्चय और पॉज़िटिव दृष्टिकोण रखकर इस मुश्किल समय को भी सरलता से पार कर लेंगे, ऐसी भावना रखनी चाहिए।

‘अब हमारे पास कुछ भी नहीं बचा’, ‘अब क्या करें?’, ‘अब कोई उम्मीद नहीं रही!’, इस प्रकार के कमज़ोर विचारों के भँवर में फँसने के बजाय, ‘अब सब अच्छा ही होगा’, ‘जो भी परिस्थिति आएगी, मैं सँभाल लूँगा’, ऐसे पॉज़िटिव विचार करें। जब भी मन में नेगेटिव विचार आए, तब उसके सामने पॉज़िटिव विचार सेट करके हम अपने मन को डायवर्ट कर सकते हैं।

तदुपरांत, ऐसे मुश्किल समय में यदि हम दूसरों को दोषित देखेंगे, तो यह हमारे ही अंतराय का कारण बनेगा। सिर्फ़ अपने ध्येय को केद्र में रखकर इस मुश्किल समय से निकल सकते हैं। यदि हम जीवन में पॉज़िटिविटी को अपनाएँगे तो स्वतः ही अनुकूल संयोग मिलने लगेंगे।

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