यदि आपने सिर्फ एक राजा को जीत लिया तो उसका दल, नगर और अधिकार सब कुछ मिल जाता है। उसकी पूरी सेना मिल जाती है। यदि आप सेना को जीतने जाएँगे तो आप राजा को नहीं जीत पाएँगे। उसी तरह आपने विषय रूपी राजा को जीत लिया तो सब कुछ आपके अधिकार में आ जाएगा। ठीक उसी तरह यदि आप ब्रह्मचर्य का पालन करके विषय और उसके आवेग पर विजय प्राप्त करते हैं, तो आप दुनिया पर विजय प्राप्त करते हैं। आप दुनिया में किसी पर आश्रित नहीं रहते। ऐसा इसलिए क्योंकि वास्तव में ब्रह्मचर्य शरीर का राजा है। अतः मोक्ष प्राप्ति के लिए, आपको ब्रह्मचर्य पालन करने की आवश्यकता हैl
बह्मचर्य का पालन क्यों करना चाहिए? इसके पीछे क्या विज्ञान है वह परम पूज्य दादाश्री के शब्दों में जानियेः
प्रश्नकर्ता : लेकिन किस फायदे के लिए ब्रह्मचर्य पालन करना चाहिए?
दादाश्री : यदि यहाँ पर हमें कुछ लगा हो और खून निकल रहा हो तो फिर बंद क्यों करते हैं? क्या फायदा?
प्रश्नकर्ता : ज़्यादा खून न बह जाए।
दादाश्री : खून बह जाए तो क्या होगा?
प्रश्नकर्ता : शरीर में बहुत वीकनेस आ जाएगी।
दादाश्री : तो यह अधिक अब्रह्मचर्य से ही वीकनेस आ जाती है। ये सभी रोग अब्रह्मचर्य की वजह से ही है। क्योंकि जो कुछ खाना खाते हो, पीते हो, सांस लेते हो, इन सभी का परिणाम होते, होते, होते उसका... जिस तरह इस दूध से दही बनाते हैं तो दही, वह अंतिम परिणाम नहीं है। दही से फिर, वह होते होते फिर मक्खन बनता है, मक्खन से घी बनता है। घी वह अंतिम परिणाम है। उसी तरह इसमें ब्रह्मचर्य पुद्गलसार है पूरा!
इसलिए इस जगत् में दो चीज़ों का अपव्यय नहीं करना चाहिए। एक तो लक्ष्मी और दूसरा वीर्य। जगत् की लक्ष्मी गटर में ही जा रही है। अत: लक्ष्मी खुद के लिए इस्तेमाल नहीं होनी चाहिए। बेकार में दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और हो सके तब तक ब्रह्मचर्य पालन करना चाहिए। जो आहार खाते हैं, उसका अर्क बनकर अंत में वह अब्रह्मचर्य से खत्म हो जाता है। इस शरीर में कुछ नसें ऐसी होती है जो वीर्य संभालती हैं और वह वीर्य इस शरीर को संभालता है। इसलिए हो सके तब तक ब्रह्मचर्य संभालना चाहिए।
जिसे सांसारिक सुखों की ज़रूरत है, भौतिक सुखों की जिसे इच्छा हैं, उसे शादी कर लेनी चाहिए। लेकिन जिसे भौतिक सुख पसंद ही नहीं हों और सनातन सुख चाहिए, उसे शादी नहीं करनी चाहिए। उसे ब्रह्मचारी जीवन चुनना चाहिए। उसे मन, वचन, काया से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
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