अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
सच्चा प्रेम तो किसी भी संयोगों में टूटना नहीं चाहिए। इसलिए प्रेम उसका नाम कहलाता है कि टूटे नहीं। यह तो प्रेम की कसौटी है। फिर भी थोड़ा-बहुत प्रेम है, वह माता का प्रेम है।
प्रश्नकर्ता : आपने ऐसा कहा कि माँ का प्रेम हो सकता है, बाप को नहीं होता। तो इन्हें बुरा नहीं लगेगा?
दादाश्री : फिर भी माँ का प्रेम है, उसका विश्वास होता है। माँ बच्चे को देखे, तब खुश। इसका कारण क्या है? कि बच्चे ने अपने घर में ही, अपने शरीर में ही नौ महीने मुकाम किया था। इसलिए माँ को ऐसा लगता है कि मेरे पेट से जन्मा है और उसको ऐसा लगता है कि माँ के पेट से मैं जन्मा हूँ। इतनी अधिक एकता हो गई है। माँ ने जो खाया उससे ही उसका खून बनता है। इसलिए यह एकता का प्रेम है एक प्रकार का। फिर भी वास्तव में, रियली स्पीकिंग प्रेम नहीं है यह। रिलेटिवली स्पीकिंग प्रेम है। इसलिए सिर्फ प्रेम किसी जगह हो तो माँ के साथ होता है। वहाँ प्रेम जैसी कोई निशानी दिखती है। परन्तु वह भी पुदगालिक प्रेम है और वह प्रेम है वह भी कितने भाग में? कि जब मदर को अच्छी लगे ऐसी चीज़ हो, उस पर बेटे धावा बोलें तो दोनों लड़ते हैं, तब प्रेम फ्रेक्चर हो जाता है। बेटा अलग रहने चला जाता है। कहेगा, 'माँ, तेरे साथ नहीं रास आएगा।'
यह रिलेटिव सगाई है, रियल सगाई नहीं है। सच्चा प्रेम हो न, तो बाप मर गया न, उसके साथ बेटा बीस वर्ष का हो वह भी साथ में जाए। उसका नाम प्रेम कहलाता है। ऐसे जाता है सही एक भी लड़का?!
प्रश्नकर्ता : कोई गया नहीं।
Q. क्या आपके घर में सच्चा प्रेम है?
A. घरवालों के साथ 'नफा हुआ' कब कहलाता है कि घरवालों को अपने ऊपर प्रेम आए। अपने बिना अच्छा नहीं लगे, कि कब आएँ, कब आएँ ऐसा लगे। लोग शादी करते हैं पर प्रेम...Read More
Q. क्या आपको अपने बच्चों के प्रति प्रेम है?
A. यानी वस्तु समझनी पड़ेगी न! अभी आपको ऐसा लगता है कि प्रेम जैसी वस्तु है इस संसार में? प्रश्नकर्ता : अभी तो, बच्चों को प्यार करते हैं उसे ही प्रेम मानते हैं...Read More
Q. बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता : प्रेम में जितना पावर है, उतना सत्ता में नहीं न?! दादाश्री : ना। पर आपको प्रेम उत्पन्न होता नहीं न? जब तक वह कचरा निकल न जाए! कचरा सब निकलता ...Read More
Q. किशोर बच्चों को सलाह कैसे दे?
A. प्रश्नकर्ता : व्यवहार में कोई गलत कर रहा हो तो उसे टोकना पड़ता है, तो उससे उसे दुख होता है। तो वह किस तरह उसका निकाल करें? दादाश्री : टोकने में हर्ज नहीं...Read More
Q. इन दिनों प्रेम क्यों नाकाम रहा है?
A. प्रश्नकर्ता : ये लड़के-लड़कियाँ प्रेम करते हैं अभी के जमाने में,वे मोह से करते हैं इसलिए फेल होते हैं? दादाश्री : सिर्फ मोह! ऊपर चेहरा सुंदर दिखता है,...Read More
A. प्रश्नकर्ता : दो लोग प्रेमी हों और घरवालों का साथ नहीं मिले तो आत्महत्या कर लेते हैं। ऐसा बहुत बार होता है तो वह प्रेम है, उसे क्या प्रेम माना...Read More
A. प्रश्नकर्ता : परन्तु बहुत बार हमें द्वेष नहीं करना हो तब भी द्वेष हो जाता है, उसका क्या कारण? दादाश्री : किसके साथ? प्रश्नकर्ता : कभी पति के साथ ऐसा हो...Read More
Q. क्या रिश्तों में सच्चा प्रेम होता है?
A. जगत् आसक्ति को प्रेम मानकर उलझता है। स्त्री को पति के साथ काम और पति को स्त्री के साथ काम, ये सब काम से ही खड़ा हुआ है। काम नहीं हो तो अंदर सभी चिल्लाते...Read More
A. प्रश्नकर्ता : मोह और प्रेम, इन दोनों के बीच की भेदरेखा क्या है? दादाश्री : यह पतंगा है न, यह पतंगा दीये के पीछे पड़कर और याहोम हो जाता है न? वह खुद की...Read More
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