अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें15 दिसम्बर |
13 दिसम्बर | to | 16 दिसम्बर |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
अधिक पढ़ेंजगत् तो प्यादों को, अन्डरहैन्ड को धमकाए ऐसा है। अरे, साहब को धमका न, वहाँ हम जीतें तो काम का! जगत् का ऐसा व्यवहार है। जब कि भगवान ने एक ही व्यवहार कहा था कि तेरे 'अंडर' में जो आया उसका तू रक्षण करना। अंडरहैन्ड का रक्षण करें, वे भगवान हुए हैं। मैं छोटा था तब से ही अन्डरहैन्ड का रक्षण करता था।
अभी यहाँ कोई नौकर चाय की ट्रे लेकर आए और वह गिर जाए तब सेठ उसे धमकाते हैं कि 'तेरे हाथ टूटे हुए हैं? दिखता नहीं है?' अब वह तो नौकर रहा बेचारा। वास्तव में नौकर कभी कुछ तोड़ता नहीं है, वह तो 'रोंग बिली़फ' से ऐसा लगता है कि नौकर ने तोड़ा। वास्तव में तोड़नेवाला दूसरा ही है। अब वहाँ निर्दोष को दोषी ठहराते हैं, नौकर फिर उसका फल देता है, किसी भी जन्म में।
प्रश्नकर्ता : तो उस समय तोड़नेवाला कौन हो सकता है?
दादाश्री : वह हम 'ज्ञान' देते हैं उस समय सब खुलासा दे देते हैं। यह तोड़नेवाला कौन, चलानेवाला कौन, वह सब 'सॉल्व' कर देते हैं। अब वहाँ वास्तव में क्या करना चाहिए? भ्राँति में भी क्या अवलंबन लेना चाहिए? नौकर तो 'सिन्सियर' है, वह तोड़े ऐसा नहीं है।
प्रश्नकर्ता : चाहे जितना 'सिन्सियर' हो पर नौकर के हाथों टूट गया तो परोक्ष रूप से वह जिम्मेदार नहीं है?
दादाश्री : जिम्मेदार है! पर हमें वह कितना जिम्मेदार है वह समझना चाहिए। हमें सबसे पहले उसे पूछना चाहिए कि 'तू जला तो नहीं न?' जल गया हो तो दवाई लगाना। फिर धीरे से कहना कि अब जल्दी मत चलना आगे से।
Book Name: क्लेश रहित जीवन (Page #137 Paragraph #3, #4, #5 & Page #138 Paragraph #1, #2 ,#3)
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