प्रश्नकर्ता : सुधरे हुए की परिभाषा क्या है?
दादाश्री : सामनेवाले मनुष्य को आप डाँट रहे हों तब भी उसे उसमें प्रेम दिखे। आप उलाहना दे, तब भी उसे आपमें प्रेम ही दिखे की अहोहो! मेरे फादर का मुझ पर कितना प्रेम है! उलाहना दो, परन्तु प्रेम से दो तो सुधरेंगे। ये कॉलेज में यदि प्रोफेसर उलाहना देने जाएँ तो प्रोफेसरों को सब मारेंगे।
सामनेवाला सुधरे, उसके लिए हमारे प्रयत्न रहने चाहिए। पर यदि प्रयत्न रिएक्शनरी हों, वैसे प्रयत्नो में नहीं पड़ना चाहिए। हम उसे झिड़कें और उसे खराब लगे वह प्रयत्न नहीं कहलाता। प्रयत्न अंदर करने चाहिए, सूक्ष्म प्रकार से! स्थूल तरह से यदि हमें नहीं करना आता हो तो सूक्ष्म प्रकार से प्रयत्न करने चाहिए। अधिक उलाहना नहीं देना हो तो थोड़े में ही कह देना चाहिए कि हमें यह शोभा नहीं देता है। बस इतना ही कहकर बंद रखना चाहिए। कहना तो पड़ता है पर कहने का तरीका होता है।
Book Name: क्लेश रहित जीवन (Page #61 Paragraph #8, #9 & Page #62 Paragraph #1, #2)
A. दादाश्री : दुःख किसे कहते हैं? इस शरीर को भूख लगे, तब फिर खाने का आठ घंटे-बारह घंटे न मिले तब दुःख... Read More
A. प्रश्नकर्ता : दादा, घर में बेटे-बेटियाँ सुनते नहीं हैं, मैं खूब डाँटता हूँ फिर भी कोई असर नहीं... Read More
Q. शब्दों से बच्चों को दुःख होता है, तो बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करें?
A. दादाश्री : इस काल में कम बोलना, उसके जैसा कुछ भी नहीं है। इस काल में बोल पत्थर जैसे लगें, ऐसे... Read More
Q. मेरा बीवी के साथ बहुत ज़ोरदार झगड़ा हो गया है- इसमें किसकी गलती है?
A. प्रश्नकर्ता : कुछ ऐसे होते हैं कि हम चाहे जितना अच्छा व्यवहार करें फिर भी वे समझते नहीं... Read More
Q. सामनेवाला झगड़ा करने आए, तब मुझे क्या करना चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता : हमें क्लेश नहीं करना हो, परन्तु सामनेवाला आकर झगड़े तो क्या करें? उसमें एक जाग्रत हो... Read More
Q. पुरुष और स्त्री के बीच होनेवाले झगड़ों का अंतिम समाधान क्या है?
A. दादाश्री : यह रोटी और सब्ज़ी के लिए शादी करी। पति समझे कि मैं कमाकर लाऊँ, पर यह खाना कौन बनाकर देगा?... Read More
A. दादाश्री : जिसे 'एडजस्ट' होने की कला आ गई, वह दुनिया में से मोक्ष की ओर मुड़ा। 'एडजस्टमेन्ट' हुआ... Read More
Q. टेढ़ी पत्नी/पति के साथ कैसा व्यवहार करें?
A. दादाश्री : हम तो इतना जानते हैं कि झगड़ने के बाद वाइफ के साथ व्यवहार ही नहीं रखना हो तो अलग बात है।... Read More
Q. टकराव को हल करने में ‘सही इरादे’ का क्या महत्व है?
A. प्रश्नकर्ता : सामनेवाले का समाधान करने का हम प्रयत्न करें, पर उसमें परिणाम अलग ही आनेवाला है, ऐसा... Read More
Q. जीवन का ध्येय क्या होना चाहिए
A. दादाश्री : यह व्यापार किसलिए करते हो? प्रश्नकर्ता : पैसे कमाने के लिए। दादाश्री : पैसा किसके... Read More
Q. आदर्श व्यापार क्या है और इसकी सीमा क्या होनी चाहिए ?
A. दादाश्री : व्यापार कौन-सा अच्छा कि जिसमें हिंसा न समाती हो, किसी को अपने व्यापार से दुःख न हो। यह... Read More
Q. व्यापार के खतरों को ध्यान में रखें, लेकिन डर ना रखें।
A. दादाश्री : हरएक व्यापार उदय-अस्तवाला होता है। मच्छर बहुत हों तब भी सारी रात सोने नहीं देते और दो... Read More
Q. आज यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी से बिज़नेस करना चाहे तो बिज़नेस में नुकसान होता है, ऐसा क्यों ?
A. प्रश्नकर्ता : आजकल प्रामाणिकता से व्यापार करने जाएँ तो ज़्यादा मुश्किलें आती हैं, वह क्यों... Read More
Q. मुझे अपने बिज़नेस को लेकर बहुत चिंता होती है। यह चिंता कैसे बंद हो ?
A. प्रश्नकर्ता : व्यापार की चिंता होती है, बहुत अड़चनें आती हैं। दादाश्री : चिंता होने लगे कि समझना... Read More
Q. कोई ग्राहक नहीं है, कोई बिज़नेस नहीं है, मैं क्या करूँ ?
A. प्रश्नकर्ता : दुकान में ग्राहक आएँ, इसलिए मैं दुकान जल्दी खोलता हूँ और देर से बंद करता हूँ, यह ठीक... Read More
Q. हमारे पास बहुत सारा पैसा है, लेकिन घर में शांति नहीं है ?
A. प्रश्नकर्ता : कुछ लोगों के घर में लक्ष्मी ही उस प्रकार की होगी इसलएि क्लेश होता होगा? दादाश्री :... Read More
Q. उधार चुकाने की शुद्ध भावना रखें।
A. प्रश्नकर्ता : व्यापार में बहुत घाटा हुआ है तो क्या करूँ? व्यापार बंद करूँ या दूसरा करूँ?... Read More
Q. सत्ता का दुरुपयोग कितना खतरनाक है ?
A. यह तो सत्तावाला अपने हाथ नीचेवालों को कुचलता रहता है। जो सत्ता का दुरुपयोग करता है, वह सत्ता जाती... Read More
Q. अपने मातहत का रक्षण क्यों करना चाहिए ?
A. जगत् तो प्यादों को, अन्डरहैन्ड को धमकाए ऐसा है। अरे, साहब को धमका न, वहाँ हम जीतें तो काम का! जगत्... Read More
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