प्रश्नकर्ता : हमें क्लेश नहीं करना हो, परन्तु सामनेवाला आकर झगड़े तो क्या करें? उसमें एक जाग्रत हो परन्तु सामनेवाला क्लेश करे तो वहाँ तो क्लेश होगा ही न?
दादाश्री : इस दीवार के साथ लड़े, तो कितना समय लड़ सकेगा? इस दीवार के साथ एक दिन सिर टकरा जाए तो हमें उसके साथ क्या करना चाहिए? सिर टकराया इसलिए हमारा दीवार के साथ में झगड़ा हो गया, तब फिर हमें दीवार को मारना चाहिए? उसी तरह ये खूब क्लेश करवाता हो, तो वे सब दिवारें हैं! उसमें सामनेवाले का क्या देखना? हमें अपने आप समझ जाना चाहिए कि यह दीवार जैसी है, ऐसा समझना चाहिए। फिर कोई मुश्किल नहीं।
प्रश्नकर्ता : हम मौन रहें तो सामनेवाले पर उल्टा असर होता है कि इनका ही दोष है, और वे अधिक क्लेश करते हैं।
दादाश्री : यह तो हमने मान लिया है कि मैं मौन रहा इसलिए ऐसा हुआ। रात को मनुष्य उठा और बाथरूम में जाते समय अंधेरे में दीवार के साथ टकरा गया, तो वहाँ हम मौन रहे इसलिए वह टकराई?
मौन रहो या बोलो, उसे स्पर्श नहीं करता है, कोई लेना-देना नहीं है। हमारे मौन रहने से सामनेवाले पर असर होता है, ऐसा कुछ होता नहीं, या अपने बोलने से सामनेवाले पर असर होता है ऐसा भी कुछ होता नहीं है। ओन्ली साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेन्स, मात्र वैज्ञानिक सांयोगिक प्रमाण हैं। किसी की इतनी-सी भी सत्ता नहीं है। इतनी-सी सत्ता बगैर का जगत् है, उसमें कोई क्या करनेवाला है? इस दीवार के पास यदि सत्ता होती तो इन्हें भी सत्ता होती! इस दीवार से हमें झगड़ने की सत्ता है? उसी तरह सामनेवाले के साथ चीखने-चिल्लाने का क्या अर्थ? उसके हाथ में सत्ता ही नहीं है वहाँ! इसीलिए आप दीवार जैसे बन जाओ न! आप पत्नी को झिड़कते रहते हो, तो उसके अंदर भगवान बैठे हैं वे नोंध करते हैं कि यह मुझे झिड़काता है। और आपको वह झिड़काए तब आप दीवार जैसे हो जाओ तो आपके अंदर बैठे भगवान आपको हेल्प करेंगे।
Book Name: क्लेश रहित जीवन (Page #65 & Page #66 Paragraph #1)
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