अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
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प्रश्नकर्ता : बच्चों के साथ बच्चा हो जाएँ और उस प्रकार से व्यवहार करें, तो वह किस तरह?
दादाश्री : बच्चों के साथ अभी बच्चे की तरह व्यवहार रखते हो? हम बड़े हों तो उसका भय लगा रहता है। वैसा भय नहीं लगे उस प्रकार से व्यवहार करना चाहिए। उसे समझाकर उसका दोष निकालना चाहिए, डराकर नहीं निकालना चाहिए। नहीं तो डराकर काम नहीं लगता। आप बड़ी उम्र के, वे छोटी उम्र के। डर जाएँगे बेचारे! पर उससे कोई दोष जाएगा नहीं, दोष तो बढ़ता रहेगा अंदर। पर यदि समझाकर निकालो तो जाएगा, नहीं तो जाएगा नहीं।
प्रश्नकर्ता : ऐसा होता है, यह तो मेरा खुद का अनुभव है वही कह रहा हूँ, मेरा जो प्रश्न है यही बात है। यह मेरा खुद का ही प्रश्न है और बार-बार मेरे साथ ऐसा हो ही जाता है।
दादाश्री : हाँ, इसीलिए मैं यह उदाहरण दे रहा हूँ कि बेटा आपका बारह साल का हो, अब आप उससे सारी बातें करो, तो उन सभी बातों में कितनी ही बातें वह समझ सकेगा और कितनी ही बातें नहीं समझ सकेगा। आप क्या कहना चाहते हो वह उसकी समझ में नहीं आता है। आपका व्यू पोइन्ट क्या है वह उसकी समझ में नहीं आता, इसलिए आपको धीरे से कहना चाहिए कि, 'मेरा हेतु ऐसा है, मेरा व्यू पोइन्ट ऐसा है, मैं ऐसा कहना चाहता हूँ।' तुझे समझ में आया या नहीं आया मुझे कहना। और मेरी बात तुझे समझ में नहीं आए तो मैं समझाने का प्रयत्न करूँगा, ऐसा कहना।
इसलिए अपने लोगों ने कहा है न कि भाई, सोलह वर्ष के बाद, बच्चों को फ्रेन्ड की तरह स्वीकारना, ऐसा नहीं कहा? फ्रेन्डली टोन में हो तो अपना टोन अच्छा निकलता है। नहीं तो रोज़ बाप होने जाएँ न, तो कुछ अच्छा नहीं होता है। चालीस वर्ष का हो गया हो और हम बाप होने फिरें, तो क्या होगा?!
Book Name: वाणी, व्यवहार में.. (Page #61 Paragragh #8, #9 & Page #62 Paragragh #1, #2, #3, #4)
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A. प्रश्नकर्ता : कहना नहीं आए तो फिर क्या करना चाहिए? चुप बैठना चाहिए? दादाश्री : मौन रहना और देखते रहना कि 'क्या होता है?' सिनेमा में बच्चों को पटकते हैं,...Read More
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