अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें05 जून |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
प्रश्नकर्ता : यहाँ के बच्चे बहुत बहस करते हैं, आर्ग्युमेन्ट बहुत करते हैं। यह आप क्या लेक्चर दे रहो हो, कहते हैं?
दादाश्री : बहस बहुत करते हैं। फिर भी प्रेम से सिखाओगे न तो बहस कम होती जाएगी। यह बहस आपका रिएक्शन है। आप अभी तक उन्हें दबाते रहे हैं न। वह उसके दिमा़ग में से जाता नहीं है, मिटता ही नहीं। इसलिए फिर वह बहस करता है। मेरे साथ एक भी बच्चा बहस नहीं करता। क्योंकि मैं सच्चे प्रेम से यह आप सबके साथ बातें कर रहा हूँ।
हमारी आवाज़ सत्तावाली नहीं होती। यानी कि सत्ता नहीं होनी चाहिए। बेटे से आप कहो न, तो सत्तावाली आवाज़ नहीं होनी चाहिए।
इसलिए आप थोड़ा प्रयोग मेरे कहे अनुसार करो न।
प्रश्नकर्ता : क्या करें?
दादाश्री : प्रेम से बुलाओ न।
प्रश्नकर्ता : वह जानता है कि मेरा उस पर प्रेम है।
दादाश्री : वैसा प्रेम काम का नहीं है। क्योंकि आप बोलते हो उस घड़ी फिर कलेक्टर की तरह बोलते हो। 'आप ऐसा करो, आपमें अक्कल नहीं है, ऐसा-वैसा।' ऐसा भी कहते हो न?
हमेशा प्रेम से ही दुनिया सुधरती है। इसके सिवाय दूसरा कोई उपाय ही नहीं है उसके लिए। यदि धाक से सुधरता हो न तो यह गवर्नमेन्ट डेमोक्रेसी.... सरकार लोकतंत्र हटा दे और जो कोई गुनाह करे, उसे जेल में डालकर उसे फाँसी दे दे।
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A. दादाश्री : तो फिर मनुष्य झगड़ें तो कैसे अच्छा लगेगा? कुत्ते झगड़ते हों तो भी अच्छा नहीं लगता हमें। यह तो कर्म के उदय से झगड़े चलते रहते हैं, पर जीभ से...Read More
Q. रिश्तों में टकराव लानेवाली समस्याओं से कैसे निपटे?
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