अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
दादाश्री : तो फिर मनुष्य झगड़ें तो कैसे अच्छा लगेगा? कुत्ते झगड़ते हों तो भी अच्छा नहीं लगता हमें।
यह तो कर्म के उदय से झगड़े चलते रहते हैं, पर जीभ से उल्टा बोलना बंद करो। बात को पेट में ही रखो, घर में या बाहर बोलना बंद करो। कई स्त्रियाँ कहती हैं, 'दो धौल लगाओ तो अच्छा, पर ये आप जो बोलते हो न तो मेरी छाती में घाव लगते हैं!' अब लो, छूता नहीं और कैसे घाव लगते हैं!
खुद टेढ़ा है मुआ। अब रास्ते में ज़रा छप्पर पर से एक इतना पत्थर का टुकड़ा गिरे, खून निकले, वहाँ क्यों नहीं बोलता? यह तो जान-बूझकर उसके ऊपर रौब मारना है। इस तरह पतिपना बताना है। फिर बुढ़ापे में आपको बहुत अच्छा देगी। पति कुछ माँगे तो, 'ऐसे क्या कच-कच करते रहते हो, सोए पड़े रहो न', कहेगी। इसलिए जान-बूझकर पड़े रहना पड़ता है। यानी आबरू ही जाती है न। इससे अच्छा तो मर्यादा में रहो। घर पर झगड़ा-वगड़ा क्यों करते हो? लोगों से कहो, समझाओ कि घर में झगड़े मत करना। बाहर जाकर करना और बहनों, तुम भी मत करना हाँ!
प्रश्नकर्ता : वाणी से कुछ भी क्लेश नहीं होता। पर मन में क्लेश उत्पन्न हुआ हो, वाणी से नहीं कहा हो, पर मन में बहुत होता है, तो उसे क्लेश रहित घर कहना चाहिए?
दादाश्री : वह और अधिक क्लेश कहलाता है। मन बेचैनी का अनुभव करे उस समय क्लेश होता ही है और बाद में हमें कहेगा, 'मुझे चैन नहीं पड़ता।' वह क्लेश की निशानी। हल्के प्रकार का हो या भारी प्रकार का। भारी प्रकार के क्लेश तो ऐसे होते हैं कि हार्ट भी फेल हो जाता है। कितने तो ऐसा बोल बोलते हैं कि हार्ट तुरन्त खाली हो जाता है। सामनेवाले को घर खाली ही करना पड़ता है, घर का मालिक आ जाए, फिर!!
Book Name: वाणी, व्यवहार में...(Page #49 Paragragh #5, #6, #7 & Page #50 Paragragh #1, #2, #3)
Q. शब्दों का रिश्तों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
A. प्रश्नकर्ता : पर इन शब्दों पर से बहुत झगड़े होते हैं। दादाश्री : शब्दों से तो जगत् खड़ा हो गया है। जब शब्द बंद हो जाएँगे, तब जगत् बंद हो जाएगा। सारी...Read More
A. मनुष्य होकर प्राप्त संसार में द़खल नहीं करे, तो संसार इतना सरल और सीधा चलता रहेगा। पर यह प्राप्त संसार में द़खल ही करता रहता है। जागा तब से ही द़खल। और...Read More
Q. घर में वादविवाद को कैसे टालें?
A. प्रश्नकर्ता : कईबार घर में बड़ी लड़ाई हो जाती है, तो क्या करें? दादाश्री : समझदार व्यक्ति हो न तो लाख रुपये दें, तो भी झगड़ा नहीं करे। और यह तो बिना पैसे...Read More
Q. बच्चों के साथ कैसे बातचीत करें?
A. प्रश्नकर्ता : बच्चों के साथ बच्चा हो जाएँ और उस प्रकार से व्यवहार करें, तो वह किस तरह? दादाश्री : बच्चों के साथ अभी बच्चे की तरह व्यवहार रखते हो? हम बड़े...Read More
Q. बच्चों को कैसे सँभाले? बच्चें वादविवाद क्यों करते हैं?
A. प्रश्नकर्ता : यहाँ के बच्चे बहुत बहस करते हैं, आर्ग्युमेन्ट बहुत करते हैं। यह आप क्या लेक्चर दे रहो हो, कहते हैं? दादाश्री : बहस बहुत करते हैं। फिर भी...Read More
Q. जब कोई झूठ बोल रहा हो, तब क्या हमें कुछ नहीं बोलना चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता : पर वे गलत बोलते हों या गलत करते हों तो भी हमें नहीं बोलना चाहिए? दादाश्री : बोलना चाहिए। ऐसा कह सकते हैं, 'ऐसा नहीं हो तो अच्छा, ऐसा नहीं हो...Read More
Q. व्यवसाय में कठोर वचन बोलने से कैसे बचें?
A. प्रश्नकर्ता : व्यापार में सामनेवाला व्यापारी जो होता है, वह नहीं समझे और अपने से क्रोधावेश हो जाए, तो क्या करना चाहिए? दादाश्री : व्यापारी के साथ तो मानो...Read More
A. प्रश्नकर्ता : कोई कुछ बोल जाए, उसमें हम समाधान किस तरह करें? समभाव किस तरह रखें? दादाश्री : अपना ज्ञान क्या कहता है? कोई आपका कुछ कर सके ऐसा है ही नहीं।...Read More
Q. रिश्तों में टकराव लानेवाली समस्याओं से कैसे निपटे?
A. प्रश्नकर्ता : कहना नहीं आए तो फिर क्या करना चाहिए? चुप बैठना चाहिए? दादाश्री : मौन रहना और देखते रहना कि 'क्या होता है?' सिनेमा में बच्चों को पटकते हैं,...Read More
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