अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
प्रश्नकर्ता : व्यापार में सामनेवाला व्यापारी जो होता है, वह नहीं समझे और अपने से क्रोधावेश हो जाए, तो क्या करना चाहिए?
दादाश्री : व्यापारी के साथ तो मानो कि व्यापार के लिए है, वहाँ तो बोलना पड़ता है। वहाँ भी 'नहीं बोलने' की कला है। वहाँ नहीं बोलें तो सारा काम हो जाए वैसा है। पर वह कला जल्दी आ जाए वैसी नहीं है, वह कला बहुत ऊँची है। इसलिए वहाँ पर लड़ना नहीं, अब वहाँ जो फायदा हो वह देख लेना, उसे फिर जमा कर लेना। लड़ने के बाद जो फायदा होता है न, वह हिसाब में जमा कर लेना चाहिए। बा़की घर में बिलकुल झगड़ना नहीं। घरवाले तो अपने लोग कहलाते हैं।
'नहीं बोलने' की कला, वह तो दूसरों को आए ऐसी नहीं है। बहुत कठिन है वह कला।
उस कला में तो क्या करना पड़ता है? 'वह तो सामनेवाला आए न, उससे पहले उसके शुद्धात्मा के साथ बातचीत कर लेनी चाहिए और उसे शांत कर देना चाहिए, और उसके बाद हमें बोले बिना रहना चाहिए। इससे अपना सारा काम पूरा हो जाएगा।' मैं आपको संक्षेप में कह देता हूँ। बा़की सूक्ष्म कला है यह।
यह कठोर शब्द कहा, तो उसका फल कितने समय तक आपको उसके स्पंदन देते रहेंगे। एक भी अपशब्द अपने मुँह से नहीं निकलना चाहिए। सुशब्द होना चाहिए। पर अपशब्द नहीं होना चाहिए। और उल्टा शब्द निकला मतलब खुद के भीतर भावहिंसा हो गई, वह आत्महिंसा मानी जाती है। अब यह सारा लोक चूक जाते हैं और पूरे दिन क्लेश ही करते हैं।
ये शब्द जो निकलते हैं न, वे शब्द दो प्रकार के हैं, इस दुनिया में शब्द जो हैं उनकी दो क्वॉलिटी हैं। अच्छे शब्द शरीर को निरोगी बनाते हैं और खराब शब्द शरीर को रोगी बनाते हैं। इसलिए शब्द भी उल्टा नहीं निकलना चाहिए। 'एय... नालायक।' अब 'एय...' शब्द हानिकारक नहीं है। पर 'नालायक' शब्द बहुत हानिकारक है।
Book Name: वाणी, व्यवहार में...(Page #3 Paragragh #3, #4, #5, #6 & Page #4 Paragragh #1, #2, #3)
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Q. रिश्तों में टकराव लानेवाली समस्याओं से कैसे निपटे?
A. प्रश्नकर्ता : कहना नहीं आए तो फिर क्या करना चाहिए? चुप बैठना चाहिए? दादाश्री : मौन रहना और देखते रहना कि 'क्या होता है?' सिनेमा में बच्चों को पटकते हैं,...Read More
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