अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
मोक्षमार्ग में दो चीज़ें नहीं होती। स्त्री के विचार और लक्ष्मी के विचार! जहाँ स्त्री का विचार मात्र हो, वहाँ धर्म नहीं होता, लक्ष्मी का विचार मात्र हो वहाँ धर्म नहीं होता। इन दो मायाओं के कारण तो यह संसार खड़ा है। हाँ, इसलिए वहाँ धर्म ढूँढना भूल है। जब कि अभी लक्ष्मी के बिना कितने केन्द्र चलते हैं?
प्रश्नकर्ता : एक भी नहीं।
दादाश्री : वह माया छूटती नहीं न! गुरु में भी माया प्रवेश कर गई होती है। कलियुग है न! इसलिए प्रवेश कर जाती है न, काफी कुछ? इसलिए जहाँ पर स्त्री संबंधी विचार हैं, जहाँ पैसे संबंधी लेन-देन है, वहाँ सच्चा धर्म नहीं हो सकता। संसारियों के लिए नहीं, परंतु जो उपदेशक होते हैं, जिनके उपदेश के आधार पर चलते हैं, वहाँ यह नहीं होना चाहिए। नहीं तो इन संसारियों के वहाँ भी यही है और आपके वहाँ भी यही है? ऐसा नहीं होना चाहिए। तीसरा क्या? सम्यक् दृष्टि होनी चाहिए।
इसलिए लक्ष्मी और स्त्री संबंध हों, वहाँ पर खड़े मत रहना। गुरु देखकर बनाना। लीकेजवाला हो तो मत बनाना। बिल्कुल भी लीकेज नहीं चाहिए। गाड़ी में घूमता हो तो हर्ज नहीं, परंतु चारित्र में फेल हो तो हर्ज है। बा़की यह अहंकार हो उसका हर्ज नहीं है, कि 'बापजी, बापजी' करें तो खुश हो जाता है, उसमें हर्ज नहीं है। चारित्र से फेल नहीं हो तो लेट गो करना चाहिए। सबसे मुख्य वस्तु चारित्र है!
Q. गुरु की आवश्यकता क्यों है ?
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Q. गुरु और ज्ञानीपुरुष में क्या फ़र्क़ है ?
A. प्रश्नकर्ता : गुरु और ज्ञानीपुरुष, उन दोनों में फर्क समझाइए। दादाश्री : ज्ञानीपुरुष और गुरु में तो बहुत फर्क है। गुरु हमेशा संसार के लिए ही बनाए जाते...Read More
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Q. गुरु में श्रद्धा रखने से हमें क्या फायदा होता है ?
A. प्रश्नकर्ता : गुरु पर हमें यदि श्रद्धा हो, फिर गुरु में चाहे जो हो, परंतु अपनी श्रद्धा हो तो वह फलती है या नहीं फलती? दादाश्री : अपनी श्रद्धा फलेगी, लेकिन...Read More
Q. गुरु की विराधना या बुराई करने के क्या नुकसान है ?
A. आज के इस पंचम आरे(कालचक्र का एक भाग) के जो सारे जीव हैं, वे कैसे जीव हैं? पूर्वविराधक जीव हैं। इसीलिए गुरु में जो प्रकृति के दोष के कारण भूलचूक हो जाए तो...Read More
Q. दोष किसका ? गुरु या शिष्य का ?
A. प्रश्नकर्ता : अभी तो गुरु पैसों के पीछे ही पड़े होते हैं। दादाश्री : वह तो ये लोग भी ऐसे हैं न? लकड़ी टेढ़ी है, इसलिए यह आरी भी टेढ़ी आती है। यह लकड़ी ही...Read More
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