अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
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आज के इस पंचम आरे(कालचक्र का एक भाग) के जो सारे जीव हैं, वे कैसे जीव हैं? पूर्वविराधक जीव हैं। इसीलिए गुरु में जो प्रकृति के दोष के कारण भूलचूक हो जाए तो उल्टा देखते हैं और लोग विराधना कर डालते हैं। इसलिए गुरु बनाने के बाद यदि विराधना करनी हो, आपकी कमज़ोरी ही खड़ी होनेवाली हो तो गुरु बनाना मत। नहीं तो भयंकर दोष है। गुरु बनाने के बाद विराधना मत करना। चाहे जैसे गुरु हों, फिर भी अंत तक उनकी आराधना में ही रहना। आराधना नहीं हो सके तो विराधना तो कभी करना ही मत। क्योंकि गुरु की भूल देखना, वह पाँचवी घाती है। इसलिए तो ऐसा सिखाते हैं कि, 'भाई देख, गुरु पाँचवी घाती हैं, इसलिए यदि गुरु की भूल दिखी तो तू मारा गया समझना।'
एक व्यक्ति आकर कहता है, मुझे गुरु ने कहा है कि, 'चला जा यहाँ से, अब यहाँ हमारे पास मत आना।' तब से मुझे वहाँ जाने का मन नहीं होता।
तब मैंने उसे समझाया कि नहीं जाए तो भी हर्ज नहीं है, परंतु फिर भी गुरु से मा़फी माँग लेना न! जो मा़फी माँग ले वह यहाँ से, इस दुनिया से मुक्त हो जाएगा। मुँह पर तो मा़फी माँग ली। अब मन से मा़फी माँग लेना और इस कागज़ पर जो लिखकर दिया है, उस अनुसार घर पर प्रतिक्रमण करते रहना। तब फिर उसे प्रतिक्रमण विधि लिखकर दी।
तूने जो गुरु बनाए हैं, उनकी निंदा में मत पड़ना। क्योंकि दूसरा सबकुछ उदयकर्म के आधीन है। मनुष्य कुछ भी कर ही नहीं सकता। अब आपत्ति नहीं उठाना भी गुनाह है। परंतु आपत्ति वीतरागता से उठानी है, ऐसे उस पर धूल उड़ाकर नहीं। 'ऐसा नहीं होना चाहिए' कह सकते हैं, परंतु नाटकीय! क्योंकि वे तो उदयकर्म के अधीन हैं। अब उनका दोष निकालकर क्या करना है? आपको कैसा लगता है?
प्रश्नकर्ता : हाँ, ठीक है।
दादाश्री : फिर गुरु का जो उपकार है, उसे मानना चाहिए। क्योंकि उन्होंने आपको इस बाउन्ड्री से बाहर निकाला, वह उपकार भूलना नहीं। जिन गुरु ने इतना भला किया हो, उनके गुण किस तरह से भूल सकते हैं? इसलिए उनके वहाँ जाना चाहिए। गुरु अवश्य बनाने चाहिए और एक गुरु बनाने के बाद उन गुरु के प्रति ज़रा-सा भी भाव बिगाड़ना नहीं चाहिए। इतना सँभाल लेना चाहिए, बस।
Q. गुरु की आवश्यकता क्यों है ?
A. प्रश्नकर्ता : गुरु रास्ता बता दें, उस रास्ते पर चलें। फिर गुरु की ज़रूरत है या गुरु को छोड़ देना चाहिए? दादाश्री : नहीं, ज़रूरत है ठेठ तक। प्रश्नकर्ता :...Read More
Q. गुरु के गुण क्या हैं? गुरु की परिभाषा क्या है ?
A. प्रश्नकर्ता : सच्चे गुरु के लक्षण क्या हैं? दादाश्री : जो गुरु प्रेम रखें, जो गुरु अपने हित में हों, वे ही सच्चे गुरु होते हैं। ऐसे सच्चे गुरु कहाँ से...Read More
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A. प्रश्नकर्ता : जो महानपुरुष हो गए है हज़ारों साल पहले , उन्हें हम समर्पण करें, तो वह समर्पण किया कहलाएगा? अथवा उससे अपना विकास होगा क्या? या प्रत्यक्ष...Read More
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A. प्रश्नकर्ता : गुरु और ज्ञानीपुरुष, उन दोनों में फर्क समझाइए। दादाश्री : ज्ञानीपुरुष और गुरु में तो बहुत फर्क है। गुरु हमेशा संसार के लिए ही बनाए जाते...Read More
Q. सच्चा गुरु किसे कहते है? आध्यात्मिक गुरु कों किस तरह पसंद करना चाहिए ?
A. उत्थापन, वह तो भयंकर गुनाह गुरु को गुरु के रूप में मानना मत, और मानो तो फिर पीठ मत फेरना उनकी तरफ। तुझे वह पसंद नहीं हो तो लोटा रख! लोटे में हर्ज नहीं है।...Read More
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A. प्रश्नकर्ता : तो गुरु बनाते समय शिष्य में कैसे गुण होने चाहिए? दादाश्री : अभी के शिष्य में अच्छे गुण कहाँ से होंगे! वह भी इस कलियुग में? बा़की, शिष्य तो...Read More
Q. गुरु में श्रद्धा रखने से हमें क्या फायदा होता है ?
A. प्रश्नकर्ता : गुरु पर हमें यदि श्रद्धा हो, फिर गुरु में चाहे जो हो, परंतु अपनी श्रद्धा हो तो वह फलती है या नहीं फलती? दादाश्री : अपनी श्रद्धा फलेगी, लेकिन...Read More
Q. दोष किसका ? गुरु या शिष्य का ?
A. प्रश्नकर्ता : अभी तो गुरु पैसों के पीछे ही पड़े होते हैं। दादाश्री : वह तो ये लोग भी ऐसे हैं न? लकड़ी टेढ़ी है, इसलिए यह आरी भी टेढ़ी आती है। यह लकड़ी ही...Read More
Q. मोक्षमार्ग में कठिनाई क्या है ?
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