अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
बच्चे मर गए फिर, उनके पीछे उनकी चिंता करने से उन्हें दुःख होता है। अपने लोग अज्ञानता के कारण ऐसा सब करते हैं। इसलिए आपको जैसा है वैसा समझकर, शांतिपूर्वक रहना चाहिए। बेकार माथापच्ची करें, उसका अर्थ क्या है? सभी जगह, कोई ऐसे हैं ही नहीं जिनके बच्चे मरे नहीं हों! ये तो सांसारिक ऋणानुबंध हैं, हिसाब लेन-देन के हैं। हमारे भी बेटा-बेटी थे, पर वे मर गए। मेहमान आया था, वह मेहमान चला गया। वह अपना सामान ही कहाँ है? हमें भी नहीं जाना क्या? हमें भी जाना है वहाँ, यह क्या तू़फान फिर? इसलिए जो जीवित हैं, उन्हें शांति दो। गया वह तो गया, उसे याद करना छोड़ दो। यहाँ जीवित हों, जितने आश्रित हों उन्हें शांति दें, उतना अपना फर्ज़। यह तो गए हुए को याद करते हैं और इन्हें शांति नहीं दे सकते हैं। यह कैसा? अतः फर्ज़ चूक जाते हो सारे। आपको ऐसा लगता है क्या? गया वह तो गया। जेब में से लाख रुपये गिर गए और वापस नहीं मिले तो हमें क्या करना चाहिए? सिर फोड़ना चाहिए?
अपने हाथ का खेल नहीं है यह और उस बेचारे को वहाँ दुःख होता है। हम यहाँ दुःखी होते हैं, उसका असर उसे वहाँ पहुँचता है। तो उसे भी सुखी नहीं होने देते और हम भी सुखी नहीं होते। इसलिए शास्त्रकारों ने कहा है कि 'जाने के बाद उपाधी मत करना।' इसलिए हमारे लोगों ने क्या किया कि 'गरुड़ पुराण बिठाओ, फलाँ बिठाओ, पूजा करो, और मन में से निकाल दो।' आपने ऐसा कुछ बिठाया था? फिर भी भूल गए, नहीं?
प्रश्नकर्ता : पर वह भुलाया नहीं जाता। बाप-बेटे के बीच व्यवहार इतना अच्छा चल रहा था। इसलिए वह भुलाया जाए ऐसा नहीं है।
दादाश्री : हाँ, भूल सकें ऐसा नहीं है, मगर हम नहीं भूलें तो उसका हमें दुःख होता है और उसे वहाँ दुःख होता है। इस तरह अपने मन में उसके लिए दुःख मनाना, वह पिता के तौर पर अपने लिए काम का नहीं है।
प्रश्नकर्ता : उसे किस प्रकार दुःख होता है?
दादाश्री : हम यहाँ दुःखी हों, उसका असर वहाँ पहुँचे बगैर रहता नहीं। इस जगत् में तो सब फोन जैसा है, टेलीविज़न जैसा है यह संसार! और हम यहाँ उपाधी करें तो वह वापस आनेवाला है?
प्रश्नकर्ता : ना।
दादाश्री : किसी भी रास्ते आनेवाला नहीं है?
प्रश्नकर्ता : ना!
दादाश्री : तो फिर उपाधी करें, तो उसे पहुँचती है और उसके नाम पर हम धर्म-भक्ति करें, तो भी उसे हमारी भावना पहुँचती है और उसे शांति होती है। उसे शांति पहुँचाने की बात आपको कैसी लगती है? और उसे शांति मिले यह आपका फर्ज़ है न? इसलिए ऐसा कुछ करो न कि उसे अच्छा लगे। एक दिन स्कूल के बच्चों को ज़रा पेडे़ खिलाएँ, ऐसा कुछ करो।
इसलिए जब आपके बेटे की याद आए, तब उसकी आत्मा का कल्याण हो ऐसा बोलना। 'कृपालुदेव' का नाम लोगे, 'दादा भगवान' कहोगे तो भी काम होगा। क्योंकि 'दादा भगवान' और 'कृपालुदेव' आत्म स्वरूप में एक ही है। देह से अलग दिखते हैं, आँखों से अलग दिखते हैं, परन्तु वस्तुतः एक ही हैं। यानी महावीर भगवान का नाम लोगे तो भी एक ही बात है। उसकी आत्मा का कल्याण हो उतनी ही हमें निरंतर भावना करनी है। हम उसके साथ निरंतर रहे, साथ में खाया-पीया, इसलिए उसका कल्याण कैसे हो ऐसी भावना करनी चाहिए। हम परायों के लिए अच्छी भावना करते हैं, तो यह तो अपने स्वजन के लिए क्या नहीं करें?
Book Name: मृत्यु समय, पहले और पश्चात... ( Page #12 Last Paragraph, Page #13 & Page #14 Paragraph #1 to #6 )
Q. अंतिम समय में अपने स्वजन की सेवा कैसे करनी चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता : किसी स्वजन का अंतकाल नज़दीक आया हो तो उसके प्रति आस-पास के सगे-संबंधियों का बरताव कैसा होना चाहिए? दादाश्री : जिनका अंतकाल नज़दीक आया हो,...Read More
Q. क्या मर्सी किलिंग (दया मृत्यु) लंबे समय से चलनेवाली पीड़ा का अंत लाने के लिए सही रास्ता है?
A. प्रश्नकर्ता : जो भारी पीड़ा सहता हो उसे पीड़ा सहने दें, और यदि उसे मार डालें तो फिर उसका अगले जन्म में पीड़ा सहना शेष रहेगा, यह बात ठीक नहीं लगती। वह भारी...Read More
Q. क्या धार्मिक क्रियाएँ मरनेवाले व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है?
A. प्रश्नकर्ता :अंतिम घंटों में अमुक लामाओं को कुछ क्रियाएँ करवाते हैं। जब मृत्यु-शय्या पर मनुष्य होता है, तब तिब्बती लामाओं में, ऐसा कहा जाता है कि वे लोग...Read More
A. प्रश्नकर्ता : ये श्राद्ध में तो पितृओं को जो आहवान होता है, वह ठीक है? उस समय श्राद्ध पक्ष में पितृ आते हैं? और कौए को भोजन खिलाते हैं, वह क्या...Read More
Q. मेरे बेटे की आकस्मिक मृत्यु का क्या कारण है?
A. प्रश्नकर्ता : मेरे बेटे का दुर्घटना में निधन हुआ है, तो उस दुर्घटना का कारण क्या होगा? दादाश्री : इस संसार में जो सब आँखों से दिखाई देता है, कान से सुनने...Read More
Q. आत्महत्या का परिणाम क्या है?
A. प्रश्नकर्ता : कोई मनुष्य यदि आत्महत्या करे तो उसकी क्या गति होती है ? भूत-प्रेत बनता है? दादाश्री : आत्महत्या करने से तो प्रेत बनता है और प्रेत बनकर भटकना...Read More
A. मनुष्यदेह में आने के बाद अन्य गतियों में जैसे कि देव, तिर्यंच अथवा नर्क में जाकर आने के बाद फिर से मनुष्य देह प्राप्त होता है। और भटकन का अंत भी मनुष्य देह...Read More
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A. जिसका अंतिम समय आ गया हो, उसे इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए। 'हे दादा भगवान, हे श्री सीमंधर स्वामी प्रभु, मैं मन-वचन-काया ...* (जिसका अंतिम समय आ गया हो...Read More
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