अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
प्रश्नकर्ता : दादाजी, गुस्से और क्रोध में क्या फर्क है?
दादाश्री : क्रोध उसे कहेंगे, जो अहंकार सहित हो। गुस्सा और अहंकार दोनों मिले, तब क्रोध कहलाता हैं और बेटे के साथ बाप गुस्सा करे, वह क्रोध नहीं कहलाता। उस क्रोध में अहंकार नहीं होता, इसलिए वह गुस्सा कहलाता है। तब भगवान ने कहा कि, 'यह गुस्सा कर रहा है फिर भी उसका पुण्य जमा करना।' तब कहा, 'यह गुस्सा कर रहा है, फिर भी?' तब कहा, 'क्रोध करे तो पाप है, गुस्से में पाप नहीं है।' क्रोध में अहंकार मिला हुआ होता है और जब आपको गुस्सा आता है, तब भीतर आपको बुरा लगता है न?
क्रोध-मान-माया-लोभ दो तरह के होते हैं।
एक प्रकार का क्रोध वह कि जो मोड़ा जा सके- निवार्य। किसी पर क्रोध आ जाए तो उसे अंदर ही अंदर मोड़ा जा सके और उसे शांत किया जा सके, ऐसे, मोड़ा जा सके वैसा क्रोध। इस स्टेज तक पहुँचे तो व्यवहार बहुत सुंदर हो जाएगा!
दूसरे प्रकार का क्रोध वह कि जो मोड़ा नहीं जा सके वैसा - अनिवार्य। बहुत प्रयत्न करने पर भी पटाखा फूटे बगैर रहता ही नहीं! वह मोड़ा नहीं जा सके वैसा, अनिवार्य क्रोध। ऐसा क्रोध खुद का अहित करता है और सामनेवाले का भी अहित करता है।
भगवान ने कहाँ तक का क्रोध चला लिया है साधुओं के लिए और चारित्रवालों के लिए? जब तक सामनेवाले मनुष्य को दुःखदायी न॒हो, उतने क्रोध को भगवान ने चला लिया है। मेरा क्रोध सिर्फ मुझेही दुःख दे, लेकिन अन्य किसी को दुःखदायी न हो उतना क्रोध चला लिया है।
Q. आपसी संबंधों में क्रोध होने के कारण क्या हैं?
A. क्रोध कब आता है? तब कहें, 'दर्शन अटक जाता है, तब ज्ञान अटकता है। तब क्रोध उत्पन्न होता है।' मान भी ऐसा है। दर्शन अटक जाता है, तब ज्ञान अटकता है, तब मान...Read More
Q. रिश्तेदारी में क्रोध की समस्याओं को कैसे निबटाएँ?
A. क्रोध खुद ही अहंकार है। अब इसका पता लगाना चाहिए कि, किस तरह से वह अहंकार है। वह पता लगाएँ तब उसे पकड़ पाएँगे कि क्रोध वह अहंकार है। यह क्रोध उत्पन्न क्यों...Read More
Q. पति-पत्नी के रिश्ते में होनेवाले क्रोध से कैसे निबटें?
A. प्रश्नकर्ता : घर में या बाहर मित्रों में सब जगह हर एक के मत भिन्न भिन्न होते हैं और उसमें हमारी धारणा के अनुसार नहीं हो तो हमें क्रोध क्यों आता है? तब क्या...Read More
Q. मुझे ऑफिस में गुस्सा क्यों आता हैं?
A. क्रोध और माया, वे तो रक्षक हैं। वे तो लोभ और मान के रक्षक हैं। लोभ की यथार्थ रक्षक माया और मान का यथार्थ रक्षक क्रोध। फिर भी मान के लिए थोड़ी बहुत माया...Read More
Q. क्रोधी लोगों के साथ कैसे व्यवहार करें?
A. प्रश्नकर्ता : लेकिन दादाजी, यदि कोई व्यक्ति कभी अपने सामने गरम हो जाए, तब क्या करना चाहिए? दादाश्री : गरम तो हो ही जाएगा न! उसके हाथ में थोड़े ही है? अंदर...Read More
Q. बच्चे अपने पिता की बजाय माता की तरफदारी क्यों करते हैं?
A. प्रश्नकर्ता : सात्विक चिढ़ या सात्विक क्रोध अच्छा है या नहीं? दादाश्री : लोग उसे क्या कहेंगे? ये बच्चे भी उसे कहेंगे कि, 'ये तो चिड़चिड़े ही हैं!' चिढ़ना...Read More
Q. बच्चे को कैसे अनुशासन में रखें?
A. प्रश्नकर्ता : कई लोगों की ऐसी बिलीफ होती है कि 'बच्चों को मारें तो ही वे सीधे होते हैं, वर्ना बिगड जाते हैं | हमें मारकर धाक में रखने ही चाहिए | तो ही...Read More
Q. ज़रूरत पड़ने पर क्रोध करें, लेकिन ड्रामेटिक।
A. एक बैंक का मेनेजर कहने लगा, 'दादाजी मैंने तो कभी भी वाइफ को या बेटे को या बेटी को एक शब्द भी नहीं कहा है | चाहे कोई गलती करे, चाहे जो करते हों, लेकिन मैं...Read More
Q. क्रोध से कैसे छुटकारा पाएँ?
A. पहले तो दया रखो, शांति रखो, समता रखो, क्षमा रखो, ऐसा उपदेश सिखाते हैं। तब ये लोग क्या कहते हैं ''अरे! मुझे क्रोध आता रहता है और तू कहता है कि क्षमा रखो,...Read More
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