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क्रोध से कैसे छुटकारा पाएँ?

पहले तो दया रखो, शांति रखो, समता रखो, क्षमा रखो, ऐसा उपदेश सिखाते हैं। तब ये लोग क्या कहते हैं ''अरे! मुझे क्रोध आता रहता है और तू कहता है कि क्षमा रखो, लेकिन मैं किस प्रकार क्षमा रखूँ?'' अतः इन्हें उपदेश किस प्रकार दिया जाना चाहिए कि आपको क्रोध आ जाए तो आप इस प्रकार मन में पछतावा करना कि 'मेरी क्या कमज़ोरी है कि मुझ से ऐसा क्रोध हो जाता है? यह मुझ से गलत हो गया।' ऐसे पछतावा करना और यदि कोई गुरु हों तो उनकी मदद लेना और फिर से ऐसी कमज़ोरी उत्पन्न न हो, ऐसा निश्चय करना। आप अब क्रोध का बचाव मत करना, बल्कि उसका प्रतिक्रमण करना।

यानी दिन में कितने अतिक्रमण होते हैं और किसके साथ हुए, उन्हें नोट करते रहना और उसी समय प्रतिक्रमण कर लेना।

प्रतिक्रमण में क्या करना होगा? आपको क्रोध हुआ और सामनेवाले व्यक्ति को दुःख हुआ, तो उसकी आत्मा को याद करके उससे क्षमा माँग लेना। अर्थात् जो हुआ उसकी क्षमा माँग लेना और फिर से नहीं करूँगा ऐसी प्रतिज्ञा करना, और आलोचना करना यानी क्या, कि हमारे पास दोष जाहिर करना कि मुझसे यह दोष हो गया है।

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