अरिहंत किसे कहा जाता है? जो वर्तमान में हाज़िर हों, उन्हें। निर्वाण हो चूका हो उन्हें सिद्ध कहते हैं। मोक्ष में विराजमान ऐसे सिद्ध भगवंत को अरिहंत नहीं कहा जाएगा।
भरतक्षेत्र के जो चौबीस तीर्थंकर हो चुके हैं, उन्हें अरिहंत कहते हैं। लेकिन यदि सोचा जाए तो वे लोग सिद्ध बन चुके हैं। ‘नमो सिद्धाणं’ बोलते हैं उसमें वे आ ही जाते हैं; लेकिन लोग ये चौबीस तीर्थंकरों को ही अरिहंत कहते हैं। उन्हें पता नहीं कि ये तीर्थंकर सिद्ध हो गए हैं। सीमंधर स्वामी आज अरिहंत हैं। देह सहित प्रत्यक्ष विचरण कर रहे हों, तो ही ‘अरिहंत’ कहलाते हैं।
चौबीसी के अंतिम तीर्थंकर श्री महावीर भगवान ने उनके निर्वाण से पहले कहा था की अब चौबीसी बंद हो रही है, अब तीर्थंकर नहीं होंगे। इसलिए महावीर भगवान ने कहा कि महाविदेह क्षेत्र में जो तीर्थंकर हैं उन्हें भजना, क्योंकि वहाँ पर वर्तमान तीर्थंकर हैं।
महावीर भगवान ने सब बताया था! महावीर भगवान जानते थे कि अब अरिहंत नहीं होंगे। ये लोग किसे भजेंगे? इसलिए उन्होंने बताया कि वर्तमान में सीमंधर स्वामी हैं और अन्य उन्नीस तीर्थंकर भी हैं। जब यह बात ज़ाहिर हुई, तब मोक्षमार्ग शुरू हो गया। सालों पहले कुंदकुंदाचार्य ने भी यही बात बताई थी।
अरिहंत भगवंतों की भजना करने से बहुत ऊँचा फल मिलता है। इस तरह समझकर बोलें: “पूरे ब्रह्मांड में अरिहंत जहाँ कहीं भी हों उन्हें नमस्कार करता हूँ।“ ऐसा करने से अद्भुत फल मिलेगा।
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