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परिचय

डॉ. नीरुबहन अमीन, जिन्हें प्यार से हम ‘नीरु माँ’ कहते हैं, ज्ञानीपुरुष दादा भगवान की मुख्य शिष्या थीं। दादाश्री के मार्गदर्शन में ज्ञान प्राप्ति के बाद सतत बीस वर्षों तक परम पूज्य दादाश्री की अविरत सेवा में और उनके मार्गदर्शन में अपना जीवन बिताकर अध्यात्मविज्ञान के उच्चतम शिखर तक पहुँची। परम पूज्य दादाश्री ने उन्हें आत्मज्ञान देने की सिद्धि प्रदान की।

दादाश्री के देहविलय के बाद उन्होंने अक्रमविज्ञान के माध्यम से लोगों के कल्याण का कार्य जारी रखा। देश-विदेश में भ्रमण करके उन्होंने हज़ारों लोगों तक सत्संग और ज्ञानविधि द्वारा अक्रमविज्ञान पहुँचाया।

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ज्ञान से पहले का जीवन - परम पूज्य दादाश्री से मिलने से पहले

डॉक्टर नीरुबहन अमीन जिन्हें प्यार से सब पूज्य नीरु माँ कहते हैं, उनका जन्म २ दिसम्बर १९४४ में, औरंगाबाद में एक धनाढ्य परिवार में हुआ था। परिवार में पाँच भाईयों की सबसे छोटी और इकलौती बहन होने के कारण उन्हें शुरू से ही बहुत लाड़-प्यार मिला। बहुत छोटी उम्र से ही पूज्य नीरु माँ डॉक्टर बनना चाहती थीं, ताकि लोगों की सेवा कर सकें। उनकी स्कूली शिक्षा मुंबई में हुई थी। औरंगाबाद मेडिकल कॉलेज़ से उन्होंने एम.बी.बी.एस. और एम.डी. किया।

जब वे एम.बी.बी.एस. के अंतिम वर्ष में पढ़ाई कर रही थीं, तब उनके भैया ने उन्हें परम पूज्य दादा भगवान के बारे में बताया कि ‘एक ऐसे ज्ञानीपुरुष हैं, जो स्वरूप ज्ञान की प्राप्ति करवाते हैं और वह ज्ञान इतना शक्तिशाली है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद संसार का कोई भी दुःख या चिंता स्पर्श नहीं करतेअक्रमविज्ञान के आत्मा प्राप्ति के ज्ञानविधि नामक इस प्रयोग द्वारा दो ही घंटों में आत्मज्ञान प्राप्त हो जाता है। पूज्य नीरु माँ ने तभी पहली बार ‘आत्मा’  के बारे में सुना।

२९ जून, १९६८ को वडोदरा में पहली बार नीरु माँ, परम पूज्य दादाश्री से मिली थीं। दादाश्री को देखते ही उन्हें अनुभव हुआ कि वे उन्हें न जाने कितने ही जन्मों से जानती हैं और आज उनसे वापिस मिलना हुआ। उस समय उनके मन में बहुत तीव्र इच्छा जागी, ‘ओह कितना अच्छा हो, यदि मैं जीवन की अंतिम साँसों तक परम पूज्य दादाश्री की सेवा कर सकूँ! इस प्रथम भेंट में ही उनका हृदय पूरी तरह से ज्ञानीपुरुष के चरणों में समर्पित हो गया था।

पूज्य नीरु माँ ज्ञान से पहले का जीवन

इस वीडियो में पूज्य नीरु माँ के ज्ञान के पहले का जीवन बताया गया है। उनका जन्म २ दिसम्बर १९४४ के दिन औरंगाबाद के एक धनवान अमीन परिवार में हुआ था। जब नीरुबहन ने दादाश्री को पहली बार देखा तो उन्हें ऐसा लगा जैसे जन्मो की पहचान हो। और जानकारी के लिए यह वीडियो देखें।

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