जैसे-जैसे परम पूज्य दादाश्री के अक्रम विज्ञान का संदेश दूर-दूर तक फैलने लगा, वैसे-वैसे सत्संग और ज्ञानविधि की माँग बढ़ती गई। परम पूज्य दादा भगवान के कहे अनुसार, सन् २००३ में पूज्य नीरू माँ ने पूज्य दीपकभाई को विशेष सिद्धि के साथ ‘ज्ञानविधि’ करने का आशीर्वाद दिया था। पूज्य दीपकभाई और पूज्य नीरू माँ के अथक प्रयत्नों से लाखों लोग आत्मज्ञान प्राप्त करके अपने जीवन में सुख और शांति का अनुभव कर रहे हैं।
१९ मार्च २००६ को पूज्य नीरू माँ ने नश्वर देह का त्याग किया और अब पूज्य दीपकभाई के मार्गदर्शन में यह मिशन आगे बढ़ रहा है। हर एक गुज़रते हुए दिन के साथ उनके सत्संग आध्यात्मिक की ऊँचाईयों के तऱफ बढ़ते जा रहे हैं। जिसका पूरा श्रेय वे परम पूज्य दादाश्री और पूज्य नीरू माँ की कृपा और आशीर्वाद को देते हैं। वे परम पूज्य दादाश्री द्वारा बताए गए प्रत्येक सिद्धांत का पूर्ण रूप से पालन करते हैं। वे प्योरिटी और परम विनय की प्रतिमूर्ति है। जिसे देखकर लोग सीखते हैं और प्रेरणा पाते हैं।
भारत और विश्वभर में सत्संग और ज्ञानविधि करने के अलावा पूज्य दीपकभाई सेकड़ों युवक और युवतियों को जिन्हों ने परम पूज्य दादाश्री के इस मिशन में सेवा के लिए ब्रह्मचर्य का रास्ता अपनाकर अपना जीवन समर्पित किया है, उनका मार्गनिर्देश करते हैं। इस मिशन में अधिक से अधिक युवक-युवतियाँ जुड़ते जा रहे हैं। पूज्य दीपकभाई बच्चों, युवाओं और ब्रह्मचारी युवक-युवतियों और विवाहित स्त्री-पुरुषों के लिए, सेवार्थीयों के लिए खास सत्संग करते हैं। और सार्वजनिक सत्संग भी करते हैं। इनमें से हर एक वर्ग की खास आध्यात्मिक ज़रूरतों को ध्यान में रखकर उनकी आध्यत्मिक प्रगति को महत्व दिया जाता है।
आज भी पूज्य दीपकभाई हज़ारों लोगों को सत्संग और ज्ञानविधि दे रहे हैं, जिससे उनके जीवन सुख और आंतरिक शांतिमय हो गए हैं।
ऐसे शाश्वत सुख का अनुभव करने के लिए आप भी एक बार पूज्य दीपकभाई द्वारा दी जानेवाली ज्ञानविधि में अवश्य भाग लें।
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