अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें15 दिसम्बर |
13 दिसम्बर | to | 16 दिसम्बर |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
अधिक पढ़ेंप्रश्नकर्ता : तो मृत्यु किस लिए आती है?
दादाश्री : वह तो ऐसा है, जब जन्म होता है, तब ये मन-वचन-काया की तीन बेटरियाँ हैं, जो गर्भ में से इफेक्ट (परिणाम) देती जाती हैं। वे इफेक्ट पूर्ण होते हैं, तब 'बेटरियों' से हिसाब पूरा हो जाता है। तब तक वे बेटरियाँ रहती हैं और फिर खतम हो जाती हैं, उसे मृत्यु कहते हैं। पर तब फिर अगले जन्म के लिए भीतर नयी बेटरियाँ चार्ज हो गई होती हैं। अगले जन्म के लिए भीतर नयी बेटरियाँ चार्ज होती ही रहती है और पुरानी 'बेटरियाँ' 'डिस्चार्ज' होती है। ऐसे 'चार्ज-डिस्चार्ज' होता ही रहता है। क्योंकि उसे 'रोंग बिली़फ' है। इसलिए 'कॉज़ेज़' उत्पन्न होते हैं। जब तक 'रोंग बिली़फ' हैं, तब तक राग-द्वेष और कॉज़ेज़ उत्पन्न होते हैं। और वह 'रोंग बिली़फ' बदले और 'राइट बिली़फ बैठे, तब फिर राग-द्वेष और 'कॉज़ेज़' उत्पन्न होते नहीं।
Book Name: मृत्यु समय, पहले और पश्चात... (Page #29 Paragraph #7, #8 & Page #30 Paragraph #1)
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