अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें23 फरवरी |
22 फरवरी | to | 24 फरवरी |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
अधिक पढ़ेंप्रश्नकर्ता : 'थियरी ऑफ इवोल्युशन' (उत्क्रंतिवाद) के अनुसार जीव एक इन्द्रिय, दो इन्द्रिय ऐसे 'डेवलप' होता-होता मनुष्य में आता है और मनुष्य में से फिर वापस जानवर में जाता है। तो यह 'इवोल्युशन थियरी' में ज़रा विरोधाभास लगता है। वह ज़रा स्पष्ट कर दीजिए।
दादाश्री : नहीं। उसमें विरोधाभास जैसा नहीं है। 'इवोल्युशन की थियरी' सब सही है। केवल मनुष्य तक ही 'इवोल्युशन की थियरी' करेक्ट है, फिर उसके आगे की बात वे लोग जानते ही नहीं है।
प्रश्नकर्ता : मनुष्य में से पशु में वापस जाता है क्या? प्रश्न यह है।
दादाश्री : ऐसा है, पहले डार्विन की थियरी 'उत्क्रांतिवाद' के अनुसार 'डेवलप' होता-होता मनुष्य तक आता है और मनुष्य में आया इसलिए 'इगोइज़म' (अहंकार) साथ में होने से कर्ता होता है। कर्म का कर्त्ता होता है, इसलिए फिर कर्म के अनुसार उसे भोगने जाना पड़ता है। 'डेबिट' (पाप) करे, तब जानवर में जाना पड़ता है और ' क्रेडिट' (पुण्य) करे, तब देवगति में जाना पड़ता है अथवा तो मनुष्यगति में राजापद मिलता है। अतः मनुष्य में आने के बाद फिर 'क्रेडिट' और 'डेबिट' पर आधारित है।
Book Name: मृत्यु समय, पहले और पश्चात... (Page #38 Paragraph #4, #5 & Page #39 Paragraph #1, #2, #3)
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