प्रश्नकर्ता: प्रतिक्रमण विधि क्या है ?
दादाश्री: उदाहरण के तौर पर अगर आप से किसी चंदूलाल को दुःख हो गया तो आपको 'चंदूलाल' के मन-वचन-काया के योग भावकर्म, द्वव्यकर्म, नो कर्म से भिन्न ऐसे 'शुद्धात्मा भगवान' को याद करके कहना है, "हे शुद्धात्मा भगवान मैंने कठोर शब्द बोले, वह मेरी भूल है, जिसके लिए मैं माफी माँगता हूँ। मुझे माफ करो और मैं निश्चय करता हूँ कि ऐसा फिर कभी नहीं करूँगा। ऐसी भूल मुझसे फिर कभी नहीं हो उसके लिए मुझे शक्ति दो, शक्ति दो, शक्ति दो"
जब आप प्रतिक्रमण करें, तब दादा भगवान या शुद्धात्मा भगवान को याद करके करें। सबसे पहले अपने भूल की आलोचना करें अर्थात अपनी भूल को स्वीकार करें। फिर प्रतिक्रमण अर्थात अपनी भूल की माफी माँगिए ताकि वह भूल धूल जाएगी। और अंत में प्रत्याख्यान कीजिए। प्रत्याख्यान अर्थात वह भूल मैं दुबारा नहीं करूँगा ऐसा निश्चय।
* चंदूलाल = जब भी दादाश्री 'चंदूलाल' या फिर किसी व्यक्ति के नाम का प्रयोग करते हैं, तब वाचक, यथार्थ समझ के लिए, अपने नाम को वहाँ पर डाल दें।
Book Name: प्रतिक्रमण
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