अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
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भगवान का एड्रेस
भगवान कहाँ रहते होंगे? उनका एड्रेस क्या है? कभी खत वत लिखना चाहें तो? वे कौन से मुहल्ले में रहते हैं? उनका स्ट्रीट नंबर क्या होगा?
प्रश्नकर्ता: यह तो मालूम नहीं है, लेकिन सभी कहते हैं, ऊपर रहते हैं।
दादाश्री: सब कहते हैं, और आपने भी मान लिया? हमें पता तो लगाना चाहिए न? देखो मैं आपको भगवान का सही ठिकाना बताता हूँ। गॉड इज इन एवरी क्रीचर व्हेदर विजिबल और इनविजिबल (भगवान सभी जीवों में रहते हैं, फिर भले ही वे आँख से दिखनेवाले ऐसे हों या न दिखनेवाले जीव हों।) आपके और मेरे बीच में दूरबीन (सूक्ष्मदर्शी) से भी दिखाई नहीं दें, ऐसे अनंत जीव हैं। उनमें भी भगवान बैठे हुए हैं। इन सभी में शक्ति के रूप में हैं और हमारे अंदर व्यक्त हो गए हैं। संपूर्ण प्रकाशमान हो गए हैं। इसलिए हम प्रकट परमात्मा हो चुके हैं! गज़ब का प्रकाश हुआ है!! यह जो आपको दिखाई देते हैं, वे तो अंबालाल मूलजीभाई, भादरण के पाटीदार हैं और कोन्ट्रेक्ट का व्यवसाय करते हैं, लेकिन भीतर जो प्रकट हो गए हैं, वे तो गज़ब का आश्चर्य हैं। वे ‘दादा भगवान’ हैं। लेकिन आपको कैसे समझ मे आए? यह देह तो पैकिंग (खोखा) है। भीतर बैठे हैं, वे भगवान हैं। यह आपका भी चंदूलाल रूपी पैकिंग है और भीतर भगवान विराजे हैं। यह गधा है, तो यह भी गधे का पैकिंग है और भीतर भगवान विराजे हैं। लेकिन इन अभागों की समझ में नहीं आता, इसलिए गधा सामने आए, तो गाली देते हैं, जिसे भीतर बैठे भगवान नोट करते हैं और कहते हैं, ‘हम्म्... मुझे गधा कह रहा है, जा अब तुझे भी एक जन्म गधे का मिलेगा।’ यह पैकिंग तो कैसा भी हो सकता है। कोई सागवान का होता है, कोई आम की लकड़ी का होता है। ये व्यापारी पैकिंग देखते हैं या भीतर का माल देखते हैं?
प्रश्नकर्ता: माल देखते हैं।
दादाश्री: हाँ, पैकिंग का क्या करना है? काम तो माल से ही है न? कोई पैकिंग सड़ा हुआ हो, टूटा-फूटा हो, लेकिन माल तो अच्छा है न?
हमने इस अंबालाल मूलजीभाई के साथ क्षण के लिए भी तन्मयता नहीं की है। जब से हमें ज्ञान उपजा तब से दिस इज माई फर्स्ट नेबर (ये मेरे प्रथम पड़ौसी हैं) पड़ौसी की तरह ही रहते हैं हम।
* चंदूलाल = जब भी दादाश्री 'चंदूलाल' या फिर किसी व्यक्ति के नाम का प्रयोग करते हैं, तब वाचक, यथार्थ समझ के लिए, अपने नाम को वहाँ पर डाल दें।
1) यदि भगवान का अस्तित्व नहीं होता तो हमें कोई भी व्यक्ति के लिए सुख और दुःख महसूस ही नहीं होता? इसलिए भगवान का अस्तित्व हैं ही। तो आईए जाने “भगवान कहाँ हैं? क्या भगवान का अस्तित्व हैं? भगवान क्या करते हैं?”
2) महाविदेह क्षेत्र में श्री सीमंधर स्वामी वर्तमान में हाज़िर तीर्थंकर हैं, जिनका भरतक्षेत्र के साथ ऋणानुबंध होने कारण, वे हमें केवल उनके दर्शन से ही मुक्ति दिला सकते हैं।
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