'स्वरूपज्ञान' बिना तो भूल दिखती नहीं है। क्योंकि 'मैं ही चंदूभाई हूँ और मुझ में कोई दोष नहीं है, मैं तो सयाना-समझदार हूँ,' ऐसा रहता है और 'स्वरूपज्ञान' की प्राप्ति के बाद आप निष्पक्षपाती हुए, मन-वचन-काया पर आपको पक्षपात नहीं रहा। इसलिए खुद की भूलें, आपको खुद को दिखती हैं। जिसे खुद की भूल पता चलेगी, जिसे प्रतिक्षण अपनी भूल दिखेगी, जहाँ-जहाँ हो वहाँ दिखे, नहीं हो वहाँ नहीं दिखे, वह खुद 'परमात्मा स्वरूप' हो गया! 'वीर भगवान' हो गया!!! 'यह' ज्ञान प्राप्त करने के बाद खुद निष्पक्षपाती हो गया, क्योंकि 'मैं चंदूभाई नहीं, मैं शुद्धात्मा हूँ' यह समझने के बाद ही निष्पक्षपाती हो पाते हैं। किसीका ज़रा-सा भी दोष दिखे नहीं और खुद के सभी दोष दिखें, तभी खुद का कार्य पूरा हुआ कहलाता है। पहले तो 'मैं ही हूँ' ऐसा रहता था, इसलिए निष्पक्षपाती नहीं हुए थे। अब निष्पक्षपाती हुए इसलिए खुद के सभी दोष दिखने शुरू हुए और उपयोग अंदर की तरफ ही होता है, इसलिए दूसरों के दोष नहीं दिखते हैं! खुद के दोष दिखने लगे, इसलिए 'यह ज्ञान' परिणमित होना शुरू हो जाता है। खुद के दोष दिखाई देने लगे इसलिए दूसरों के दोष दिखते नहीं हैं। इस निर्दोष जगत् में कोई दोषित है ही नहीं, वहाँ किसे दोष दें? दोष है, तब तक दोष, वह अहंकार भाग है, और वह भाग धुलेगा नहीं, तब तक सारे दोष निकलेंगे नहीं, तब तक अहंकार निर्मूल नहीं होगा। अहंकार निर्मूल हो जाए, और तब तक दोष धोने हैं।
Book Name: निजदोष दर्शन से... निर्दोष! (Page #64 Paragragh #3 & Page #65 Paragragh #1)
Q. क्या इस संसार में होनेवाली हरएक चीज़ के लिए भगवान ज़िम्मेदार हैं?
A. लोग मानते हैं कि भगवान ऊपरी हैं, इसलिए उनकी भक्ति करेंगे तो छूट जाएँगे। पर नहीं, कोई बाप भी ऊपरी... Read More
Q. संसार में इतना दुःख और पीड़ा क्यों है?
A. दुःख सब नासमझी का ही है इस जगत् में। दूसरा कोई भी दुःख है, वह सब नासमझी का ही है। खुद ने खड़ा किया... Read More
Q. मुझे दूसरों के दोष क्यों दिखते हैं?
A. प्रश्नकर्ता : मुझे सामनेवाले मनुष्य के गुण के बजाय दोष अधिक दिखते हैं, उसका क्या कारण है? दादाश्री... Read More
Q. मैं अपनी बुद्धि पर कैसे काबू रखूँ, क्योंकि यह मुझे दूसरों के दोष दिखाती रहती है?
A. प्रश्नकर्ता : मतलब दूसरों का दोष नहीं, हमारा ही दोष है? दादाश्री : हाँ, ऐसा है न, बुद्धि को एक जगह... Read More
A. आपके दोष भी हमें दिखते हैं, पर हमारी दृष्टि शुद्धात्मा की तरफ होती है, उदयकर्म की तरफ दृष्टि नहीं... Read More
A. कोई व्यक्ति अगर खुद की एक भूल भी खत्म करे, तो वो भगवान कहा जाएगा। ऐसे बहुत लोग हैं, जो आपकी गलतियाँ... Read More
Q. आत्मज्ञान प्राप्ति के लक्षण क्या है?
A. यह ज्ञान लेने के बाद बाहर का तो आप देखोगे वह अलग बात है, पर आपके ही अंदर का आप सब देखा करोगे, उस... Read More
Q. आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद में दोषों को खत्म कैसे करें?
A. मन-वचन-काया से प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में क्षमा माँगते रहना। हर कदम पर जागृति रहनी चाहिए।... Read More
A. इस जगत् में कोई भी मनुष्य आपका कुछ भी नुकसान करता है, उसमें वह निमित्त है। नुकसान आपका है, इसलिए... Read More
subscribe your email for our latest news and events