अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
जिसका ज़्यादा दोष, वही इस संसार में मार खाता है। मार कौन खाता है? यह देख लेना। जो मार खाता है, वही दोषित है।
जो भुगते, उस पर से हिसाब निकल आएगा कि कितनी भूल थी! घर के दस सदस्य हैं। उनमें से दो को घर कैसे चलता होगा, उसका विचार तक नहीं आता। दो सदस्य ऐसा सोचते हैं कि घर में हेल्प करनी चाहिए। दो-तीन सदस्य घर चलाने में मदद करते हैं, एक तो पूरा दिन घर किस तरह चलाना, उसीकी चिंता में रहता है और दो सदस्य तो आराम से सोते रहते हैं। तब भूल किसकी? भाई, भुगते उसी की, चिंता करे उसीकी। जो आराम से सोते हैं, उसे कुछ भी नहीं।
भूल किसकी है? तब कहेंगे कि कौन भुगत रहा है, इसका पता लगाओ। नौकर के हाथों से दस गिलास टूट गए तो उसका असर घर के लोगों पर होगा या नहीं होगा? अब घर के लोगों में बच्चों को तो कुछ भुगतने का नहीं होता, लेकिनउनके माँ-बाप अकुलाते रहेंगे। उसमें भी माँ थोड़ी देर बाद आराम से सो जाएगी, लेकिन बाप हिसाब लगाता रहेगा, कि पचास रुपयों का नुकसान हुआ। वह ज़्यादा एलर्ट है, इसलिए ज़्यादा भुगतेगा। 'भुगते उसी की भूल'।
भूल को हमें ढूँढने नहीं जाना पड़ता। बड़े-बड़े जज़ों या वकीलों को भी ढूँढने नहीं जाना पड़ता। उसके बजाय यह सूत्र दिया है, यह थर्मामीटर, कि 'भुगते उसी की भूल'। यदि कोई इतना पृथक्करण करते-करते आगे बढ़ता चलेगा, तो सीधा मोक्ष में पहुँच जाएगा।
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