अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
भूल किसकी? भुगते उसकी! क्या भूल? तब कहते हैं कि 'मैं चंदूभाई हूँ' यह मान्यता ही आपकी भूल है। क्योंकि इस जगत् में कोई दोषित नहीं है। इसलिए कोई गुनहगार भी नहीं है, ऐसा सिद्ध होता है।
बाकी, इस दुनिया में कोई कुछ कर ही नहीं सकता। लेकिन जो हिसाब बंध गया हो, वह छोड़नेवाला नहीं है। जो घोटालेवाला हिसाब हो गया है, वह घोटालेवाला फल दिए बगैर रहेगा नहीं। लेकिन अब नए सिरे से घोटाला मत करना, अब रुक जाओ। जब से यह मालूम हुआ, तब से रुक जाओ। जो पुराने घोटाले हो चुके हैं, वे तो हमें चुकाने पड़ेंगे, लेकिन नये नहीं हों, इतना देखना। संपूर्ण ज़िम्मेदारी हमारी ही है, भगवान की ज़िम्मेदारी नहीं है। भगवान इसमें हाथ नहीं डालते। इसलिए भगवान भी इसे माफ नहीं कर सकते। कई भक्त ऐसा मानते हैं कि, 'मैं पाप करता हूँ और भगवान माफ कर देंगे।' भगवान के यहाँ माफी नहीं होती। दयालु लोगों के यहाँ माफी होती है। दयालु मनुष्य से कहें कि 'साहब, मुझसे आपके प्रति बहुत भूल हो गई है।' तो वह तुरंत माफ कर देगा।
दुःख देनेवाला तो निमित्त मात्र है, लेकिन मूल भूल खुद की ही है। जो फायदा करता है, वह भी निमित्त है और जो नुकसान कराता है, वह भी निमित्त है, लेकिन वह अपना ही हिसाब है, इसलिए ऐसा होता है।
हम आपसे खुला कह देते हैं कि आपकी 'बाउन्ड्री' में किसी को उँगली डालने की शक्ति नहीं है और यदि आपकी भूल है तो कोई भी उँगली डाल सकता है। अरे, लाठी भी फटकारेगा। 'हम' तो पहचान गए हैं कि कौन घूँसे मार रहा है। सभी आपका अपना ही है! आपका व्यवहार किसी और ने नहीं बिगाड़ा। आपका व्यवहार आपने ही बिगाड़ा है। यू आर होल एन्ड सोल रिस्पोन्सिबल फोर योर व्यवहार।
A. इन समाचारों में रोज़ आता हैं कि, 'आज टैक्सी में दो आदमियों ने किसीको लूट लिया, फलाँ फ्लेट मेंकिसी महिला को बाँधकर लूट लिया।' ऐसा पढ़कर हमें भड़कने की ज़रूरत...Read More
A. जब हमें बिना किसी भूल के भुगतना पड़ता है, तब हृदय बार-बार द्रवित होकर पुकारता है कि इसमें मेरी क्या भूल? इसमें मैंने क्या गलत किया है? फिर भी जवाब नहीं...Read More
A. प्रश्नकर्ता : कुछ लोग ऐसे होते हैं कि हम चाहे कितना ही अच्छा बर्ताव करें, फिर भी वे नहीं समझते। दादाश्री : वे नहीं समझते तो उसमें अपनी ही भूल है कि हमें...Read More
A. यह तो बहू के मन में ऐसा असर हो जाता है कि, मेरी सास मुझे परेशान करती है। यह बात उसे रात-दिन याद रहती है या भूल जाती है? प्रश्नकर्ता : याद रहती ही...Read More
Q. भूल किसकी? डॉक्टर या रोगी की?
A. डॉक्टर ने मरीज़ को इन्जेक्शन दिया और डॉक्टर घर जाकर चैन से सो गया। लेकिन मरीज़ को तो सारी रात इन्जेक्शन का दर्द रहा। तो इसमें भूल किसकी? मरीज़ की! और डॉक्टर...Read More
Q. कौन सबसे अधिक दुःख भुगतता है?
A. जिसका ज़्यादा दोष, वही इस संसार में मार खाता है। मार कौन खाता है? यह देख लेना। जो मार खाता है, वही दोषित है। जो भुगते, उस पर से हिसाब निकल आएगा कि कितनी...Read More
Q. भगवान दुःख क्यों होने देते हैं?
A. जगत् नियम के अधीन चल रहा है, यह गप्प नहीं है। इसका 'रेग्युलेटर ऑफ द वर्ल्ड' भी है, जो निरंतर इस वर्ल्ड को रेग्युलेशन में ही रखता है। बस स्टैन्ड पर एक...Read More
A. लोग सहनशक्ति बढ़ाने को कहते हैं, लेकिन वह कब तक रहेगी? ज्ञान की डोर तो आखिर तक पहुँचेगी, सहनशक्ति की डोर कहाँ तक पहुँचेगी? सहनशक्ति लिमिटेड है, ज्ञान...Read More
Q. क्या उचित है और क्या अनुचित?
A. भुगते उसी की भूल, यह 'गुप्त तत्व' है। यहाँ बुद्धि थक जाती है। जहाँ मतिज्ञान काम नहीं करता, वह बात 'ज्ञानीपुरुष' के पास स्पष्ट होती है, वह 'जैसी है, वैसी'...Read More
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