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जब आत्महत्या करने का मन हो तो क्या करें?

वर्तमान समय में, जहाँ भी देखें, सिर्फ़ दुःख और भोगवटा ही है। सांसारिक सुख-सुविधाएँ होने के बावजूद भी बहुत दुःख हैं। जैसे ही हम एक समस्या का समाधान करते हैं, दूसरी समस्या हमारा इंतज़ार कर रही होती है। समस्याओं की यह सुनामी ही दुःखों का कारण बन जाती है। इसके साथ ही जीवन के हर पहलू में, माँगें और अपेक्षाएँ भी आपको आत्महत्या के बारे में सोचने पर मज़बूर कर सकती हैं।

Suicide Prevention

आत्महत्या से परेशानियाँ खत्म नहीं होंगी

  • भीतर के एक कोने में हम जानते हैं कि, हम हमारी ज़िम्मेदारियों से भाग नहीं सकते और लोगों को हमसे अपेक्षाएँ भी हैं। इसलिए, हमें शांत रहना चाहिए और शांति से समस्याओं का सामना करना चाहिए। आखिरकार, जब सही समय आएगा, तब समस्याओं का समाधान हो ही जाएगा!
  • हर स्थिति या व्यक्ति जिससे हम मिलते हैं, हमारे पिछले जन्मों के कर्मों का परिणाम हैं। इसलिए, हमारे पास इस जन्म में उस दुःख को सहने और हमारी तकलीफ़ो का अंत लाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है। बेहतर है कि हम कर्मों का कर्ज़ अभी चुका दें। वर्ना, ये सभी परेशानियाँ अगले जन्म में फिर से वापस आएँगी और वह भी अधिक मात्रा में।

आत्महत्या करनी ही नहीं चाहिए, इसलिए जब आत्महत्या के विचार आएँ तब ये करें:

  • सामाजिक दबाव या लोक धारणा में न आएँ, इसके बजाय जिसमें आप श्रेष्ठ हैं, उसमें अपनी शक्तियों का उपयोग करें और ऐसे लोगों के साथ रहें जो हमें प्रेरणा दें। इससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ेगा और हमें पॉज़िटिव रहने में मदद मिलेगी।
  • ड्रग्स और शराब से दूर रहें - ये आत्महत्या के विचारों की तीव्रता को बढ़ा सकते हैं।
  • एकांत और अकेलेपन से बचें - नज़दीकी व्यक्तियों से दूर हो जाने पर परिस्थिति और अधिक गंभीर हो जाएगी। दिन में कम से कम एक बार किसी से बात अवश्य करें।
  • आत्महत्या के विचारों को सिर्फ़ अपने तक ही न रखें - किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढें, जिनके ऊपर हम विश्वास कर सकें और उन्हें बताएँ कि, परिस्थितियाँ कितनी खराब हैं और हम किन हालातों से गुज़र रहे हैं। शर्म की वजह से उन्हें यह बताने से न डरें कि आप क्या महसूस कर रहे हैं।
  • निश्चिंत रहें कि, मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति और अत्यधिक डिप्रेशन का इलाज संभव है, इसलिए विशेषज्ञ से सहायता लें।
  • जब नकारात्मक परिस्थितियाँ आए तब भी सकारात्मक (पॉजिटिव) रहें, समस्या का समाधान लाने का प्रयत्न करे।
  • हमेशा हमारे मन को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखें। जितने व्यस्त रहेंगे, नेगेटिविटी में जाने की उतनी ही कम संभावनाएँ होंगी।
  • अपना रूटीन बदलें - पार्क में टहलने जाएँ। ताज़ी हवा लें। इससे मन को शांति मिलेगी।
  • व्यायाम - इससे हम मानसिक और शारीरिक रूप से बेहतर महसूस करेंगे।
  • पौष्टिक आहार लें। बीमार रहने से हमारें दुःख और बढ़ेंगे।
  • याद रखें कि, हम अकेले नहीं हैं। कई और लोग भी इसी स्थिति से गुज़र रहे हैं और हम इससे ज़रूर निकल जाएँगे।
  • मोबाइल फोन का उपयोग सीमित मात्रा में करें।

पॉज़िटिव और नेगेटिव सोच का प्रभाव

जो व्यक्ति हर परिस्थिति में पॉज़िटिव रहता है, वह जीवन में जीतता है। ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य भी हमेशा अच्छा रहता है, वह अपने आस-पास के लोगों का मनोबल बढ़ाता है और हमेशा खुश रहता है। कठिन या चुनौतीपूर्ण समय में भी वह उस हालात की पॉज़िटिव बातों पर ध्यान देता हैं।

उदाहरण के लिए, यदि उसकी नौकरी छूट जाए, तो वह दूसरी नौकरी ढूंढने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेंगा और पॉज़िटिव रहेंगा। अपने पॉज़िटिव दृष्टिकोण के कारण वह ओपेन माइंडेड होता है और किसी भी परिस्थिति में स्पष्ट रूप से विचार करने में सक्षम होता है। अंत में, पॉज़िटिविटी नेगेटिविटी को जीत लेगी और उसे नौकरी मिल जाएगी!

इसके विपरीत, लगातार बुरे विचारों का ध्यान करने से हम पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है। नेगेटिव सोच ही दुःख का कारण है। इतना अधिक कि, जब हमारे साथ अच्छा होता है, तब भी हम उसका आनंद नहीं ले पाते। याद रखें: हमारे पास हमेशा पॉज़िटिव या नेगेटिव रहने का विकल्प होता है!

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