किसी भी रिश्ते में दिल टूट जाना बहुत दुःखदायी होता है। ऐसा लगता है कि, जैसे हमारी पूरी दुनिया ही बदल गई हो और उस समय हमें उदासीनता और डिप्रेशन जैसी भावनाओं के उतार-चढाव से गुजरना पड़ता है। ऐसे संयोगो में सचमुच ऐसा लगता हैं कि, क्या हम कभी इस दुःख से बाहर निकल पाएँगे। धीरे-धीरे हम आत्महत्या करने के विचारों तक भी पहुँच जाते हैं।
ऐसे कठिन समय में नेगेटिव विचारों का आना स्वाभाविक है, लेकिन ब्रेकअप के बाद आत्महत्या के विचारों को तुरंत ही मन से निकाल देना चाहिए।
'घड़ी चढ़े, घड़ी उतरे, वह तो प्रेम न होय,
अघट प्रेम ही हृदय बसे, प्रेम कहिए सोय।'
सच्चा प्रेम कभी बढ़ता या घटता नहीं है। ज्ञानी का प्रेम, ऐसा ही प्रेम होता है, वह न बढ़ता है, न घटता है। ज्ञानी का ऐसा प्रेम पूरे संसार पर होता है। वह प्रेम तो परमात्मा है।
इसके विपरीत, मनुष्यों का प्रेम मोह और आसक्ति से भरा हुआ होता है। वह उनके जीवन में आने वाले लोगों और संयोगों पर निर्भर करता है। जब हमारा कोई प्रिय व्यक्ति हमें दुःख हो ऐसा कुछ कह दे, तब हमें तुरंत ही इस बात का एहसास हो जाएगा।
इसलिए, इस विषम परिस्थिति से मुक्त होने के लिए, हमें ऐसे ज्ञानी की खोज करनी चाहिए जो हमें सभी दुःखों से मुक्ति दिलवा सकें।
मानव जीवन वह कुदरत की दी हुई अनमोल भेंट है, इसलिए इसे संजोकर रखें। इसलिए, सांसारिक दुःखों में जीवन व्यर्थ करने की बजाय उसकी उचित देखभाल करें। क्योंकि, अनंत अवतारों में भटकने के बाद ही हमें यह मानव जीवन प्राप्त हुआ है। सिर्फ़ मनुष्य गति के द्वारा ही हमें इस संसार के असहनीय दुःख, वेदना और जन्म-मरण के फेरे से मुक्ति पा सकते है। इसलिए, जीवन से कभी हार मत मानिए। ब्रेकअप के बाद यदि आत्महत्या जैसे विचार आएँ, तो जो हमारें साथ हुआ है, उसे स्वीकार करने की कोशिश करें और जिस दुःख से हम गुजर रहें हैं उससे मुक्त होने के उपाय खोजें।
मनुष्य जीवन का ध्येय अपने आत्मा को प्राप्त करके मोक्षप्राप्ति का होना चाहिए। मोक्ष अर्थात् इस संसार के सभी मानसिक, शारीरिक और बाहरी कष्टों के बीच रहकर भी खुद के वास्तविक स्वरूप का यानी आत्मा के सुख का अनुभव करना है। ऐसे खुद के परम आनंद को केवल प्रत्यक्ष ज्ञानी के माध्यम से ही अनुभव किया जा सकता है।
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