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मेरे प्रियजन की मृत्यु हो गई है। मैं अकेला हूँ और मैं अब और जीना नहीं चाहता हूँ। क्या अकेलेपन में आत्महत्या करना ही एक उपाय है?

किसी प्रियजन को खोना यह आपके लिए सबसे कठिन चुनौतियों में से एक साबित हो सकता है। जब आप एक जीवनसाथी या किसी ऐसे व्यक्ति को खो देते हैं जिसके आप बहुत करीब थे, तो आपका दु:ख बहुत ज़्यादा हो सकता है। भले ही आप जानते हैं कि मृत्यु यह जीवन के कुदरती चक्र का हिस्सा है, फिर भी आपको सदमा लग सकता है, जिससे लंबे समय तक उदासी बनी रहे या आपको डिप्रेशन हो सकता है। यदि भारी डिप्रेशन आपके काबू या बस से बाहर हो तब आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण खो सकते हैं और अकेलेपन की वजह से आत्महत्या करने का निर्णय भी ले सकते हैं।

इसलिए, उदासी और डिप्रेशन के विचारों से घिरे न रहना यह बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे समाधानों की तलाश करें जो आपके वर्तमान दु:ख को कम करने में मदद कर सकें।

किसी प्रियजन को खोने के बाद पॉज़िटिव(सकारात्मक) और सही समझ के साथ कैसे सामना करें:

  • विज्ञान बताता है कि जब आप अपने प्रियजनों के लिए शोक करते हैं, तो वे जहाँ भी हों, उन्हें दुःख पहुँचता है और वे आपके दुःख का अनुभव करते हैं। इसके बजाय, पॉज़िटिव(सकारात्मक) स्पंदन भेजें जैसे, 'आत्मा को प्राप्त करके आप मुक्त हो जाएँ और जन्म और मृत्यु के चक्र से छूट जाएं।' ऐसा करने से उनको जबरदस्त फर्क पड़ेगा।
  • आप जिस भगवान को मानते हैं उनसे अपने दुःखों का सामना करने के लिए शक्ति मांगे। इससे आपको पर्याप्त शक्तियाँ प्राप्त होंगी और कुछ हद तक शांति का अनुभव करेंगे।
  • जीने के लिए पॉज़िटिव(सकारात्मक) चीज़ों की तलाश करें जैसे दूसरों की मदद करना या दान देना
  • अपने मन को व्यस्त रखें। अपने मन को निष्क्रिय न रहने दें।
  • पॉज़िटिव और सहायक लोगों की साथ में रहें।
  • अपना ध्यान रखें: व्यायाम करें, अच्छा खाएं और अच्छी नींद लें। भले ही यह ज़ाहिर सी बातें हैं, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि कैसे हम इन साधारण सी चीज़ों को भूल जाते हैं। ये आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।

सबसे बढ़कर, 'मैं अकेला हूँ' और 'मैं जीना नहीं चाहता' जैसे आत्महत्या के विचार मन में लाना आपके दर्द को ठीक नहीं करेगा, बल्कि उसे बढ़ाएगा। हो सकता है कि भविष्य में आपको इससे अधिक गंभीर दु:ख आए, ऐसी परिस्थिति में आप श्रद्धा के साथ शक्ति मांगें और मुसीबतों को पार कर जाएँ।

अक्रम विज्ञान: आप वास्तव में कौन हैं इसकी आध्यात्मिक दृष्टि और दुःखों के कायमी अंत की चाबी।

आत्मज्ञान के माध्यम से आप समझ पाएंगे कि आत्मा कभी नहीं मरता है, वह केवल अपना शरीर बदलता है। वास्तव में, आत्मा हमेशा शाश्वत आनंद में ही होता है। इसलिए, दु:ख एक सांसारिक तथ्य है और इससे आपके आत्मा को दुःख नहीं होता। दुःख का असर आपको इस जन्म में मिले हुए शरीर पर होता है। जब यह आपको वास्तव में समझ आएगा, तब आपको जो भी दुःख होगा उसे क्रमिक डिस्चार्ज कहा जाएगा और उसका असर आपको नहीं होगा। इसके बजाय, आप निरंतर आनंद की स्थिति में रहेंगे।

संक्षेप में, अनंत काल से, मनुष्य मृत्यु से संबंधित उत्तरों की खोज कर रहा है। सौभाग्य से, आध्यात्मिक विज्ञान इन उत्तरों को प्रदान करता है। यह विज्ञान यहीं नहीं रुकता - समझ के आधार पर, आपके पास ऐसे समाधान होंगे जो दु:ख के समय में आपकी और आपके प्रियजनों की बहुत मदद करेंगे। सच्ची समझ से, आप किसी प्रियजन को खोने का सामना कर पाएंगे और आगे बढ़ने में सक्षम होंगे।

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