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मुझसे गलती हो गई। मैं अब और नहीं जीना चाहता। मैं खुद को मार डालना चाहता हूँ।

हम सभी गलतियाँ करने से नफरत करते हैं, लेकिन फिर भी कभी-कभी हमसे गलतियाँ हो जाती हैं। इनमें से कुछ गलतियाँ मामूली होती हैं, लेकिन कुछ जीवन बदल दें ऐसी होती हैं। विशेष रूप से ऐसी गलतियों के लिए, भय की भावना, यह जानकर कि हमने बहुत बड़ी गलती की है, बहुत परेशान करने वाली होती है और हम बहुत शर्मिंदा, दोषी और अपने आप से नाराज़गी महसूस करते हैं, इस हद तक कि हमें लगता है, 'मैं अब और जीना नहीं चाहता! मैं खुद को मार डालना चाहता हूँ!'

यदि आप ऐसा महसूस कर रहे हैं, तो आपके लिए सबसे अच्छी सलाह यह है कि आप इस बात पर ध्यान दें कि आप ऐसे विचारों को कैसे रोक सकते हैं। गलती चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, वह आपको अपनी जान लेने का अधिकार नहीं देती। अपना नज़रिया बदलें और दृष्टिकोण बढ़ाएं। इन भावनाओं में डूबे रहने के बजाय, गलती करने के बाद आप जो सबसे अच्छा काम कर सकते हैं, आप उस गलती से कैसे बाहर निकल सकते हैं उसके बारे में सोचें:

  • स्वीकार करें कि आपने गलती की है और देखें कि क्या आप इसे सुधार सकते हैं। यदि आप असमर्थ हैं, तो इसे स्वीकार करें और जितना संभव हो सके किसी भी मतभेद या असामंजस्य को समेटने का प्रयास करें।
  • अपनी गलती से सीखें। आपने जो गलत किया है, उस पर अटके रहने के बजाय उससे सीखें। यदि आप नहीं बच सके, तो कम से कम अपना अनुभव किसी और के साथ शेयर करें, ताकि वे उस गलती को करने से बच सकें।
  • पीछे मुड़कर देखना और सोचना बंद करें कि 'मैंने गलती की', वर्तमान में रहें। भूतकाल को याद करके आप दु:खी होंगे। भविष्य में क्या होगा इसके बारे में सोचकर आप भयभीत हो जाएँगे, लेकिन वर्तमान में रहकर समाधान खोजने से आपको आशा मिलेगी। कोशिश करें कि 'क्या और अगर' में न उलझें। इसके बजाय, सुधार करने की ओर ध्यान दें।
  • यदि संभव हो, तो जिस व्यक्ति को आपने दुःख पहुंचाया है उसे बताएं कि आपको इस बात का बहुत पछतावा है और उन्हें समझाएं कि वास्तव में ऐसा करने का आपका कोई इरादा नहीं था।
  • अपनी गलती स्वीकार करने से, आप देखेंगे कि लोग आपको आसानी से माफ कर देंगे। हो सकता है कि वे आपको तुरंत माफ करने को तैयार न हों। आपके द्वारा कही गई या की गई बातों को पचाने और उससे समझौता करने में उन्हें समय लगेगा। इसलिए धैर्य रखें और उसी अनुसार अपेक्षाएं रखें।
  • इस बात को समझें कि गलतियाँ हो सकती हैं, लेकिन महत्व यह रखता है कि आप इसके बारे में क्या करते हैं।
  • चीज़ों को उलझाएं मत, उन्हें सरल रखें।
  • शांत रहें और स्पष्ट रूप से सोचें।

प्रतिक्रमण का आध्यात्मिक उपाय

यह पहचानने के बाद कि आपने गलती की है, बार-बार क्षमा माँगने का आध्यात्मिक उपाय करें, जिसे प्रतिक्रमण कहा जाता है। हमारे मन से, वाणी से या वर्तन से किसी को दुःख पहुंचाया हो, ऐसी भूलों में से बाहर निकलने के लिए यह तीन स्टेप की प्रक्रिया है।

यह विधि सरल है, फिर भी बहुत असरदार है:

  1. आलोचना: आपने जिस व्यक्ति को दुःख पहुँचाया है, उसके अंदर बैठे हुए भगवान के पास अपनी भूल ‘मुझे आपसे घृणा है’ को स्वीकार करें।
  2. प्रतिक्रमण: हृदय से उस गलती के लिए क्षमा मांगे।
  3. प्रत्याख्यान: दृढ़ निश्चय करें और फिर कभी ऐसी गलती न दोहराने की शक्ति मांगें। यानी 'मैं दृढ़ निश्चय करता हूँ कि मैं फिर कभी अपनी गलती नहीं दोहराऊंगा।'

'आई एम सॉरी' कहना आसान नहीं है, लेकिन जिन लोगों को आपने चोट पहुंचाई है, उनसे माफी माँगना उन्हें और आपको शांति का अनुभव करवाएगा। समय के साथ, बार-बार क्षमा माँगने से, आप अपने दोषों, चिंता और तनाव से हल्कापन और मुक्ति का अनुभव करेंगे। क्षमा माँगने का यह तरीका एक गहरी वैज्ञानिक प्रक्रिया है और परिणाम उत्पन्न करता है! प्रतिक्रमण के यह तीन स्टेप करना महत्वपूर्ण है और जिसको आपने दुःख पहुँचाया हो उसे एक भी शब्द बिना कहे आप इसे अपने आप कर सकते हैं; आपको बस उनके भीतर बैठे हुए भगवान को याद करना है और क्षमा माँगनी है।

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