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जब आपने किसी को इतना अधिक दुःख पहुँचाया हो कि, वह व्यक्ति को आत्महत्या करने का मन करें, तब क्या करें?

Suicide Prevention

यदि आपको ऐसा लगे कि, किसी व्यक्ति को आत्महत्या के विचार आने का कारण हम हैं, तो सबसे पहले हमें समझना चाहिए कि, हमारे वर्तन का उस व्यक्ति पर क्या बुरा प्रभाव पड़ा है। हो सकता है कि, वह व्यक्ति सेल्फ नेगेटिविटी, अकेलापन, घबराहट, चिंता, भय, और यहाँ तक कि डिप्रेशन का अनुभव कर रहा होगा।

हमें खुद से पूछना चाहिए, “यदि मेरे साथ ऐसा होता, तो क्या मुझे अच्छा लगता? अगर मैं भी उसी स्थिति में होता तो मुझे कैसा लगता?” खुद को उनकी जगह पर रखकर देखिए! फिर, उनके साथ अपना व्यवहार सुधारने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

आगे क्या करें?

  • स्थिति बिगड़ने से पहले अपने बुरे व्यवहार के लिए उनसे माफी माँग लें। उनसे कहें कि, “मुझमें अक्कल नहीं है, प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिए”, इससे वह खुश हो जाएँगे और वादा करें कि फिर कभी ऐसा नहीं करेंगे।
  • उनके साथ खुलकर बातचीत करके तनाव दूर करें।
  • अब से उनके प्रति सच्चे और प्रमाणिक रहें।
  • समझें कि, परिस्थितियाँ तुरंत नहीं बदलेंगी। इसमें समय लगेगा, इसलिए धीरज रखें।
  • अपने बुरे व्यवहार का खुद पर और उन पर क्या प्रभाव पड़ा है, उसका विश्लेषण करें।
  • किस कारण से ऐसा व्यवहार हो गया, जिसके कारण सामने वाला व्यक्ति आत्महत्या के विचारों तक पहुँच गया, उसे ढूंढकर उसे रोकने का प्रयास करें।
  • ईश्वर को याद कीजिए, सच्चे दिल से मन ही मन उस व्यक्ति से ह्रदय पूर्वक क्षमा माँगें और यह दृढ़ निश्चय करें कि, दोबारा कभी भी किसी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करेंगे।

हमारी कही बात से सामने वाला आत्महत्या करे, अगर ऐसी स्थिति हो गई हो तो हमें आधे से एक घंटे तक लगातार प्रतिक्रमण करना चाहिए कि, “क्यों मैं इस स्थिति तक पहुँच गया? यह सब मेरे निमित्त से हुआ?

यदि किसी को दुःख हो जाए तो माफी कैसे माँगे?

जब हम किसी को आत्महत्या का विचार करवाने के लिए कारण बने हों, तब ऐसी परिस्थिति का एकमात्र समाधान माफी माँगना है।

यदि हम किसी को दुःख पहुँचाने का कारण बन गए हैं, तो सच्चे हृदय से किए गए पश्चात्ताप के द्वारा वह धुल जाता है। इस बारे में परम पूज्य दादा भगवान कहते हैं:

प्रश्नकर्ता: क्या यह बात सच है कि, 'पश्चाताप के घड़े में चाहे जैसा भी पाप हो तो...

दादाश्री: हल्का हो जाता है, पश्चाताप के कारण।

प्रश्नकर्ता: क्या (पाप) पूर्ण रूप से जलकर खाक नहीं हो जाते?

दादाश्री: पूर्णतया जल भी जाते हैं। ऐसे कितने ही पाप तो जल भी जाते हैं और खत्म हो जाते हैं। पश्चाताप का साबुन ही ऐसा है कि ज़्यादातर कपड़ों पर काम करता है।

प्रश्नकर्ता: और उसमें भी (पश्चाताप) आपके समक्ष करे तो फिर क्या बचेगा?

दादाश्री: कल्याण हो जाता है। अर्थात् पश्चाताप के ‘साबुन’ जैसा दुनिया में कोई ‘साबुन’ नहीं है।

जिस व्यक्ति को हमसे दुःख हुआ है, उसके भीतर बैठे हुए भगवान को नमस्कार कर के मन में माफी माँगनी चाहिए, दिल से हमारी गलती के लिए पश्चाताप करना चाहिए और दोबारा ऐसा नहीं करने का दृढ़ निश्चय करना चाहिए।

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