अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
तब लोग मुझे पूछते हैं कि ये चोर और जेबकतरे क्या करने आए होंगे? भगवान ने क्यों इन्हें जन्म दिया होगा? अरे, वे नहीं होते तो तुम्हारी जेबें कौन खाली करेगा? भगवान क्या खुद आएँगे? तुम्हारा चोरी का धन कौन पकड़ेगा? तुम्हारा काला धन होगा तो कौन ले जाएगा? वे बिचारे तो निमित्त हैं। अतः इन सभी की आवश्यकता है।
प्रश्नकर्ता : किसी की पसीने की कमाई भी चली जाती है।
दादाश्री : वह तो इस जन्म की पसीने की कमाई है, लेकिन पहले का सारा हिसाब है न! बही खाता बाकी है इसलिए वर्ना कोई कभी हमारा कुछ भी नहीं ले सकता। किसी से ले सके, ऐसी शक्ति ही नहीं है। और ले लेना वह तो हमारा कुछ अगला-पिछला हिसाब है। इस दुनिया में कोई पैदा नहीं हुआ कि जो किसी का कुछ कर सके। इतना नियमवाला जगत् है। बहुत नियमवाला जगत् है। यह पूरा मैदान साँपों से भरा हो, लेकिन साँप हमें छू नहीं सकता, इतना नियमवाला जगत् है। बहुत हिसाबवाला जगत् है। यह जगत् बहुत सुंदर है, न्याय स्वरूप है लेकिन लोगों की समझ में नहीं आता।
A. बस में चढ़ने के लिए राइट साइड में एक व्यक्ति खड़ा है, वह रोड के साइड में खड़ा है। रोंग साइड से एक बस आई। वह उसके ऊपर चढ़ गई और उसको मार डाला। क्या इसे...Read More
Q. लोग हमें दुःख क्यों देते हैं?
A. न्याय ढूँढते-ढूँढते तो दम निकल गया है। इन्सान के मन में ऐसा होता है कि मैंने इसका क्या बिगाड़ा है, जो यह मेरा बिगाड़ता है। प्रश्नकर्ता : ऐसा होता है। हम...Read More
A. भगवान न्याय स्वरूप नहीं है और भगवान अन्याय स्वरूप भी नहीं है। किसी को दुःख नहीं हो, वही भगवान की भाषा है। न्याय-अन्याय तो लोकभाषा है। चोर, चोरी करने को...Read More
Q. किसीको दिया हुआ उधार कैसे वसूल करूँ?
A. बुद्धि तो तूफान खड़ा कर देती है। बुद्धि ही सब बिगाड़ती है न! बुद्धि यानी क्या? जो न्याय ढूँढे, उसका नाम बुद्धि। कहेगी, 'पैसे क्यों नहीं देंगे, माल तो ले गए...Read More
Q. क्या मुझे न्याय खोजना चाहिए?
A. इस जगत् में तू न्याय देखने जाता है? हुआ सो न्याय। 'इसने चाँटा मारा तो मुझ पर अन्याय किया', ऐसा नहीं लेकिन जो हुआ वही न्याय, ऐसा जब समझ में आएगा, तब यह सब...Read More
Q. विरासत और वसीयत को लेकर होनेवाले झगड़ों को कैसे निपटाएँ?
A. एक भाई हो, उसका बाप मर जाए तो जो सभी भाईर्यों की जमीन है, वह बड़े भाईर् के कब्ज़े में आ जाती है। अब बड़ा भाईर् है, वह छोटों को बार-बार धमकाता रहता है और...Read More
Q. बुद्धि से कैसे छुटकारा पाएँ?
A. प्रश्नकर्ता : बुद्धि को निकालना ही है, क्योंकि वह बहुत मार खिलाती॒है। दादाश्री : इस बुद्धि को निकालना हो तो बुद्धि खुद अपने आप नहीं जाएगी। बुद्धि 'कार्य'...Read More
Q. मेरे जीवन के लिए कौन ज़िम्मेदार है?
A. यह सारा प्रोजेक्शन आपका ही है। लोगों को क्यों दोष दें? प्रश्नकर्ता : क्रिया की प्रतिक्रिया है यह? दादाश्री : उसे प्रतिक्रिया नहीं कहते। लेकिन यह सारा...Read More
Q. कुदरत के न्याय का स्वरूप क्या है?
A. जो कुदरत का न्याय है, उसमें एक क्षण के लिए भी अन्याय नहीं हुआ। यह कुदरत जो है, वह एक क्षण के लिए भी अन्यायी नहीं हुई। कोर्ट में अन्याय हुआ होगा, लेकिन...Read More
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